उदयपुर 24 नवंबर 2019। सांभर झील में हजारों की संख्या में पक्षियों की मृत्यु से सबक लेते हुए झील प्रेमियों ने राज्य की सभी झीलों में मौत के कारक बन सकने वाले घातक जीवाणुओं की उपस्थिति की जांच की मांग की है।
झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के साझे में हुए संवाद में समिति के सह सचिव डॉ अनिल मेहता ने सांभर विभीषिका के जिम्मेदार माने जा रहे क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम व ऐसे ही अन्य खतरनाक जीवाणुओ की उपस्थिति को जांचने के लिए राज्य के पर्यावरण विभाग, पशु चिकित्सा विभाग को मिलकर व्यापक अभियान चलाना चाहिये।
मेहता ने कहा कि बहुत संभावना है कि राज्य के कई तालाबो व झीलों में इस तरह के घातक जीवाणुओं की उपस्थिति हो। मेहता के अनुसार जब ऑक्सीजन की कमी होती है तब ऐसे जीवाणु तेजी से विकसित होतें है तथा मछलियों, पक्षियों की मौत का कारण बनते है।
झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों तालाबो में प्रदूषण का बढ़ना ऐसे विषैले जीवाणुओं को पैदा करता है। प्रदूषण से पानी मे ऑक्सीजन घट जाती है। उदयपुर में भी भारी मात्रा में देशी प्रवासी पक्षी आतें है। अतः यंहा भी सावधानी की जरूरत है।
गांधी मानव कल्याण सोसाइटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों तालाबो में अनेक प्रकार के केमिकल व इंसानों, पशुओं का मल मूत्र मिल रहा है। ऐसे में केवल पक्षियों को ही नही, वरन इंसानों के स्वास्थ्य को भी गंभीर खतरे हैं।
संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने पिछोला के अमरकुण्ड व हनुमान घाट पर आयोजित श्रमदान में झील क्षेत्र से तैरती गंदगी, मांस, मिठाइयां व अन्य खाद्य सामग्री, पॉलीथिन, पानी शराब की बोतले निकाली।
श्रमदान में जल योद्धा देवराज सिंह, कृष्णा कोष्ठी, मोहन सिंह चौहान, द्रुपद सिंह, सुमित विजय, भुवन माथुर, सिद्दार्थ गोस्वामी, तेज शंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।
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