हर्बल गुलाल से रंगीन बनाये होली
रंगों के पर्व को रंगीन बनाने की तैयारी में जुटे लोग जरा सतर्क हो जाएं। पर्व पर हुई छोटी सी भूल कहीं होली के रंगों को बैरंग न कर दें। बाजार में बिक रहे 90 प्रतिशत रंग त्वचा के लिए हानिकारक हैं। केमिकल मिले रंग आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में हर्बल रंगों से अपनी होली को कलरफुल बनाने में ही समझदारी है। राजस्थान वन विभाग ने पहल की है हर्बल रंगो से होली को रंगीन करने की। शहर के चेतक सर्किल स्थित वन विभाग ने प्राकृतिक तरीको से तैयार किये हुए रंगो को बाजार में उतारा है।
उदयपुर 20 मार्च 2019, रंगों के पर्व को रंगीन बनाने की तैयारी में जुटे लोग जरा सतर्क हो जाएं। पर्व पर हुई छोटी सी भूल कहीं होली के रंगों को बैरंग न कर दें। बाजार में बिक रहे 90 प्रतिशत रंग त्वचा के लिए हानिकारक हैं। केमिकल मिले रंग आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में हर्बल रंगों से अपनी होली को कलरफुल बनाने में ही समझदारी है। राजस्थान वन विभाग ने पहल की है हर्बल रंगो से होली को रंगीन करने की। शहर के चेतक सर्किल स्थित वन विभाग ने प्राकृतिक तरीको से तैयार किये हुए रंगो को बाजार में उतारा है।
महंगे हैं हर्बल रंग
साधारण रंगों के मुकाबले हर्बल रंग और गुलाल बाजार में महंगे दामों पर बिक रहे हैं। कलर जहां 60 से 100 रुपये किलो के भाव बिक रहे हैं वहीं हर्बल रंगों की कीमतें 150 से 300 रुपये प्रति किलो हैं। वहीं साधारण गुलाल बाजार में दस रुपये से लेकर 50 रुपये किलो में भी बिक रहा है।
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महिलाये बनाती है रंग और गुलाल
प्रकृति ने हमें रंगों का अनमोल उपहार दिया है। इस लिए अच्छा है कि बाजार में उपलब्ध जहरीले रंग गुलालों से बचने के लिए वन विभाग ने गाँव की महिलाओ द्वारा ही रंग और गुलाल बनवाए है। वन विभाग की पहल पर स्वयं सहायता समूह चौकडिया, कौड़िया, बड़ी आदि गाँवों में महिलाये फूल, पत्तिया, अरारोट की सहायता से यह हर्बल रंग तैयार करती है। वन विभाग चेतक पर यह आसानी से उपलब्ध है। कीमत भी 150 रूपये किलो है।
उदयपुर से बाहर भी है डिमांड
उदयपुर में बने हर्बल रंग की मांग उदयपुर से बाहर भी वन विभाग के अनुसार हर वर्ष 5 से 10 क्विंटल कलर का उठाव रहता है। और यह पिछले 5-7 वर्षो से अनवरत चालू है। जबकि इस बार महाराष्ट्र के पुणे से एक क्विंटल माल का आर्डर मिला है। लोगो में पर्यावरण और अपनी त्वचा को नुक्सान से बचाने के लिए काफी जागरूकता आई है। इसलिए हर्बल रंगो की मांग बढ़ती जा रही है।
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