पं. संजीव अभ्यंकर के सुरों से झरा ‘‘मलहार’’

पं. संजीव अभ्यंकर के सुरों से झरा ‘‘मलहार’’

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य समारोह “मल्हार” शुक्रवार शाम प्रारम्भ हुआ। उत्सव की पहली शाम शास्त्रीय संगीत के नाम रही जब देश के नामचीन शास्त्रीय गायक पं. संजीव अभ्यंकर ने अपने सुरों के तंत्र जाल से उपसिथत दर्शकों को मंत्र मुग्ध सा कर दिया।

 

पं. संजीव अभ्यंकर के सुरों से झरा ‘‘मलहार’’

उदयपुर, 31 अगस्त 2019 । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से शिल्पग्राम में आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य समारोह “मल्हार” शुक्रवार शाम प्रारम्भ हुआ। उत्सव की पहली शाम शास्त्रीय संगीत के नाम रही जब देश के नामचीन शास्त्रीय गायक पं. संजीव अभ्यंकर ने अपने सुरों के तंत्र जाल से उपसिथत दर्शकों को मंत्र मुग्ध सा कर दिया।

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में आयोजित कार्यक्रम में पुणे से पधारे हैं पंडित संजीव अभ्यंकर जो हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के मेवाती घराने के ओजस्वी गायक और विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं ने अपनी चिरपरिचित शैली में गायन प्रस्तुत किया। शास्त्रीय गायन, भक्ति संगीत, और सुरीले संगीत का सृजन पंडित संजीव अभ्यंकर की लगन, समझ उनके गायन में स्पष्ट नजर आया। अभ्यंकर के गायनमें शुद्धता, गहराई, तीनों सप्तकों पर सहज नियंत्रण, भावपूर्णता और मिठास का सुरीला संगम श्रोताओं को सुनने को मिला।

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मेवाती घराने के मूर्धन्य गायक और गुरु पंडित जसराज के शिष्य संजीव ने अपने गायन की शुरूआत राग मियां की मल्हार में निबद्ध ताल रूपक ‘‘पिहरवा अजहु न आये…’’ से की से की जिसमें सुरों के मिठास के साथ संजीव ने अपने कंठ का माधुर्य बिखेरा। इसके बाद उन्होंने एक ताल में रचना ‘‘घनघोर घटा छाई….’’ में ऋतु वर्णन उत्कृष्ट ढंग से करते हुए अपनी गायकी के ठहराव और गहराई का आभास दर्शकों को करवाया। राघ मेघ और तीन ताल में रची रचना ‘‘डर लागे मोहे दामिनी को…’’ और एक ताल की रचना ‘‘उमड़ घुमड़ घन गरजे…’’ को मस्त अंदाज में प्रस्तुत कर दर्शकों की दाद बटोरी। मेवती घने के गायक सजीव ने इस अवसर पर मीरा का भजन सुरीले अंदाज में पेश किया। आखिर में संजीव ने राग मारू विहाग के तानेे बाने से रचित मीरा भजन ‘‘मैं तो सांवरे के रंग रांची…’’ सुना कर दर्शकों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।

संजीव अभ्यंकर के साथ हारमोनियम पर मिलिंद कुलकर्णी और तबले पर अजिंक्य जोशी ने संगत की। इससे पूर्व संजीव अभयंकर और केन्द्र के प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय समारोह का शुभारम्भ किया। प. अभ्यंकर का स्वागत किया व स्मृति चिह्न भेट किया।

तीन दिवसीय मलहार के दूसरे दिन शनिवार शाम दर्पण सभागार में नई दिल्ली की प्रसिद्ध नृत्यांगना अभिनया जागज्योथी द्वारा कुचिपुड़ी प्रस्तुत किया जायेगा।

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