मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और मुसलमानों के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
स्थानीय महाराणा कुंभा सभागार में "मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और मुसलमानों के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान" पर आयोजित परिचर्चा में अरुण चतुर्वेदी, प्रोफेसर सरवत खान, जनतांत्रिक विचार मंच के शंकर लाल चौधरी, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म मुम्बई के निदेशक इरफान इंजीनियर, चिंतक और विचारक वेद दान सुधीर, प्रो. ज़ैनब बानू आर.वी. , बोहरा यूथ के महासचिव ग़ज़नफ़र अली ओकासा, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के संरक्षक आबिद अदीब, और सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के महासचिव मंसूर अली कमांडर ने अपने विचार व्यक्त किये।
हम भारतीयों ने एक राजनैतिक दल को सरकार बनाने और चलाने के लिए बहुमत इसलिए नहीं दिया था कि वो एक राष्ट्र और राष्ट्रवाद के नाम पर इस विविध धर्म, वर्ग, वर्ण, भाषा, वेशभूषा और संस्कृति से अलंकृत राष्ट्र के आपसी सौहार्द को नष्ट कर दे और एक धर्म, एक भाषा-भूषा के नाम से आपस में नफ़रत फैलाये।
शिक्षाविद प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने स्थानीय महाराणा कुंभा सभागार में “मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और मुसलमानों के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान” पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि पद पर बोलते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जिन प्रश्नों को 1947 में ही हल कर दिया गया था, उन्हें 2014 के बाद से फड़यंत्रपूर्वक फिर से और लगातार कुरेदा जाकर राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति की जा रही है और देश भर में भय का माहौल पैदा किया जा रहा है। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आज ज्ञान के केन्द्र विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय राजनीति के अड्डे बन गये हैं। चतुर्वेदी ने वृहत्तर भारतीय राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में मौलाना आज़ाद की भारत राष्ट्र की परिकल्पना को आज भी सार्थक और प्रासंगिक बताया।
परिचर्चा की विशिष्ट अतिथि प्रो. सरवत ख़ान ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आज जिन मुद्दों और विषयों पर महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में चिंतन और चर्चा होनी चाहिए वो वहाँ नहीं हो रही है। पाठ्यक्रमों से वास्तविक इतिहास को हटाया जा कर शिक्षार्थियों और शोधार्थियों को भ्रमित किया जा रहा है। आज़ादी की जंग में मौलाना आज़ाद के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि मौलाना आज़ाद ने ग़ुलामी के दौर में पत्र पत्रिकाओं के माध्यम आम भारतीय मुसलमानों में इस्लाम और कुरान की शिक्षा के हवाले से राष्ट्र प्रेम के लिए जागरूकता पैदा की और मुसलमानों को आज़ादी की लड़ाई में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने का आव्हान किया। इसके परिणामस्वरूप देश के विभिन्न भागों से असंख्य मुसलमान इस आंदोलन में सम्मिलित हुए और तन-मन-धन से इस देश के लिये क़ुर्बानियाँ दी, जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
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परिचर्चा में जनतांत्रिक विचार मंच के शंकर लाल चौधरी ने वर्तमान शासन को पूंजीपतियों का शासन बताते हुए कहा कि गरीबों और आम आदमियों को लगातार हाशिये पर धकेला जा रहा है और देश को पूंजीपतियों के हवाले कर दिया गया है। उन्होंने कहा स्वतंत्रता संग्राम में न सिर्फ हिन्दू और मुसलमान बल्कि हमारे देश के विभिन्न भाषा-भाषियों, वर्गों और वर्ण समूहों-सम्प्रदायों का महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय योगदान रहा है जिन्हें आज जानबूझ कर भुलाया जा रहा है और आम जन को अनावश्यक मुद्दों में उलझाया जा रहा है।
सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म मुम्बई के निदेशक इरफान इंजीनियर ने अपने की-नोट संबोधन में इस प्रकार की अनेकानेक परिचर्चाएं निरंतर आयोजित करने , समाज और आमजन को जागरुक करने पर बल दिया। उन्होंने आज के विषम समय में देश और समाज हित में सभी प्रकार की प्रगतिशील शक्तियों को एकजुट होकर साम्प्रदायिक सौहार्द्र, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिये कार्य करने की महत्ती आवश्यकता बताई।
अध्यक्षता करते हुए आबिद अदीब ने कहा कि मुस्लिम समाज अभी भी पैग़म्बर मोहम्मद साहब और इस्लाम तथा पवित्र कुरान की शिक्षा जो परस्पर भाईचारे पर बल देता है, से दूर है। देश की आज़ादी और लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के बावजूद बोहरा समुदाय कठमुल्लाओं के चंगुल और आतंक से मुक्त नहीं हुआ है। स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने मुस्लिम समुदाय के साथ ही बोहरा समुदाय के योगदान का भी विशेष रुप से उल्लेख किया।
परिचर्चा में चिंतक और विचारक वेद दान सुधीर, प्रो. ज़ैनब बानू आर.वी. , बोहरा यूथ के महासचिव ग़ज़नफ़र अली ओकासा ने आज़ादी की लड़ाई में नाम -अनाम कई पुरुष और महिला स्वतंत्रता सैनानियों का उल्लेख करते हुए उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। शायर मुश्ताक़ चंचल ने देश भक्ति और क़ौमी एकता पर नज़्म पेश की।
इस अवसर पर मौलाना आज़ाद की ऑडियो तथा मुस्लिम स्वतंत्रता सैनानियों से संबंधित विडिओ फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।
प्रारम्भ में सेंट्रल बोर्ड के महासचिव कमांडर मंसूर अली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए परिचर्चा की आवश्यकता और प्रासंगिकता को रेखांकित किया। इस अवसर पर बोहरा यूथ समाज के स्त्री-पुरुषों के अलावा महावीर समता संदेश, जनतांत्रिक विचार मंच, पी.यू.सी.एल. के प्रतिनिधियों के साथ ही शहर के कई गणमान्य उपस्थित थे।
अंत में बोहरा यूथ के सचिव अनीस मियाजी ने अतिथियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
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