भ्रामक समाचारों से फैलने वाली दहशत से बचने की अपील की एमबी अधीक्षक ने


भ्रामक समाचारों से फैलने वाली दहशत से बचने की अपील की एमबी अधीक्षक ने

महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय अधीक्षक डॉ लाखन पोसवाल ने स्पष्ट किया है बाल चिकित्सालय के स्वाइन फ्लू वार्ड में सामान्य मरीजों की जांच नहीं की जा रही है। स्थानीय मीडिया में रविवार को प्रकाशित समाचार को तथ्यों से परे एवं भ्रामक बताते हुए उन्होने कहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर अस्पताल प्रशासन कोई कोताही नहीं बरत रहा है।

 

भ्रामक समाचारों से फैलने वाली दहशत से बचने की अपील की एमबी अधीक्षक ने

महाराणा भूपाल राजकीय चिकित्सालय अधीक्षक डॉ लाखन पोसवाल ने स्पष्ट किया है बाल चिकित्सालय के स्वाइन फ्लू वार्ड में सामान्य मरीजों की जांच नहीं की जा रही है। स्थानीय मीडिया में रविवार को प्रकाशित समाचार को तथ्यों से परे एवं भ्रामक बताते हुए उन्होने कहा कि स्वाइन फ्लू को लेकर अस्पताल प्रशासन कोई कोताही नहीं बरत रहा है।

रिपोर्ट में एक मरीज को स्वाइन फ्लू वार्ड में टीका लगाने की बात को गलत ठहराते हुए डॉ पोसवाल ने कहा कि उक्त टीकाकरण नर्सिंग स्टेशन में किया गया था न कि वार्ड में। उस वक्त वार्ड में कोई भर्ती भी नहीं था। ऐसे में मरीज को किसी प्रकार के संक्रमण की कोई संभावना नहीं थी।

डॉ पोसवाल ने बताया कि कुछ दिनों पहले एक स्थानीय समाचार पत्र में 8 घंटे में 9 बच्चों की मृत्यु का समाचार भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। तीन अलग-अलग कमेटियों की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि 28 जनवरी को शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती होने वाले कुल 13 बच्चों में से सिर्फ 1 की मृत्यु हुई थी जबकि उक्त समाचार में 5 बच्चों की मौत होना बताया गया जो सर्वथा गलत है। सभी कमेटियों ने अपनी जांच में पाया कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई और शिशु गहन चिकित्सा इकाई में चिकित्सा की सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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भ्रामक समाचारों से अस्पताल की छवि को होता है नुकसान

डॉ. पोसवाल ने कहा कि तथ्यहीन एवं भ्रामक समाचारों से अनावश्यक सनसनी पैदा होती है और आमजन में अस्पताल की नकारात्मक छवि उभरती है जिसका नुकसान गरीब मरीजों को भुगतना पड़ता है। वे महंगे निची चिकित्सालयों का रूख करने को मजबूर होते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि एमबी अस्पताल संभाग ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी स्तरीय चिकित्सा सुविधा के लिए मशहूर है। यहां तक कि स्थानीय निजी अस्पताल भी कई बार गंभीर मरीजों को एमबी अस्पताल रेफर करते हैं।

कमियों को सुधारने को सदैव तत्पर

डॉ. पोसवाल ने बताया कि एमबी अस्पताल में प्रतिदिन 5 हजार आउटडोर एवं लगभग ढाई हजार इनडोर मरीजों का इलाज होता है। इसके लिए अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। कई बार रेफर होकर आने वाले मरीज गंभीरावस्था में होते हैं जिनका इलाज कहीं पर भी संभव नहीं होता है। डॉ पोसवाल ने यह सवाल भी उठाया कि किसी अवधि विशेष में मरने वाले मरीजों की संख्या कितनी होगी इसका निर्धारण कोई कैसे कर सकता है। मीडिया या अन्य माध्यम से सामने आने वाली कमियों को दूर करने और सुविधाएं सुधारने हेतु राज्य सरकार एवं अस्पताल प्रशासन के स्तर पर लगातार प्रयास किए जाते हैं। उन्होने आमजन से अपील की कि एमबी अस्पताल में स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं राजकीय नियमानुसार निशुल्क उपलब्ध हैं।

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