मीडिया समाज का पिछलग्गू नहीं नेतृत्वकर्ता बने : प्रो. केजी सुरेश

मीडिया समाज का पिछलग्गू नहीं नेतृत्वकर्ता बने : प्रो. केजी सुरेश

MLSU: पत्रकारिता विभाग में "आजादी का आंदोलन एवं गांधी की पत्रकारिता" विषयक राष्ट्रीय वेबिनार 
 
मीडिया समाज का पिछलग्गू नहीं नेतृत्वकर्ता बने : प्रो. केजी सुरेश
प्रो. सुरेश ने कहा कि टेलीविजन और मुख्यधारा की पत्रकारिता में जनमानस से जुड़ा सरोकार नजर नहीं आता। टीआरपी की आड़ में मीडिया क्या समाज का पिछलग्गू बन रहा है। मीडिया को यह तय करना होगा कि वह समाज का पिछलग्गू बनेगा या उसे समाज का नेतृत्व करना है।

उदयपुर। मौजूदा दौर में मीडिया कई चुनौतियों से गुजर रहा है। ऐसे में पत्रकारिता को लेकर महात्मा गांधी के उद्धेश्यों की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। पत्रकार के रूप में गांधी का उद्धेश्य था कि पाठक मत तैयार करो, बल्कि पाठकों को तैयार करो ताकि जन सामान्य निर्भय होकर समाज में सरकार की कमियों को उजागर कर सके। लेकिन स्थिति के उलट गांधी के उद्धेश्यों के अनुसार आज देश में पत्रकारिता नहीं हो रही है। यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने बुधवार को राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर कही। 

वेबिनार का आयोजन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक के संयुक्त तत्वावधान में  गांधी जयंती के मौके पर "आजादी का आंदोलन एवं गांधी की पत्रकारिता" विषय पर किया गया। 

वेबिनार में सैंकड़ों छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों और मीडिया जगत से जुड़े सदस्यों को सम्बोधित करते हुए प्रो. सुरेश ने कहा कि टेलीविजन और मुख्यधारा की पत्रकारिता में जनमानस से जुड़ा सरोकार नजर नहीं आता। टीआरपी की आड़ में मीडिया क्या समाज का पिछलग्गू बन रहा है। मीडिया को यह तय करना होगा कि वह समाज का पिछलग्गू बनेगा या उसे समाज का नेतृत्व करना है। मीडिया का काम सिर्फ सूचित करना नहीं बल्कि प्रेरित करना भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी मीडिया की ताकत और अहमियत को समझते थे। प्रो. सुरेश ने बताया कि गांधी तकनीक के भी काफी करीब थे, वे आज के ट्विटर के दौर की तरह कम से कम शब्दों में अपनी बात कहने में यकीन रखते थे। 

वेबिनार में गुजरात विद्यापीठ विवि अहमदाबाद के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो विनोद पांडे ने वेबिनार में गांधी की पत्रकारिता से जुड़े कई अहम पहलुओं पर ध्यान आकर्षित किया। प्रो. पांडे ने बताया कि गांधी में लोगों से संवाद स्थापित करने की अद्भुत कला थी इसी कारण गांधी अपने व्यवहार की वजह से सफल हुए, गांधी ने जिन आंदोलनों की नींव रखी उनमें अखबारों का बड़ा रोल था। गांधी एक भी शब्द बिना विचार किए और बिना तोले नहीं बोलते थे। पत्रकारों को किस तरह स्वयं पर नियंत्रण रखना चाहिए यह गांधी ने सिखाया। प्रो. पांडे ने कहा कि गांधी ने यह खुद बताया था कि विषय और शब्दों के चयन को लेकर वे इतने संवदेनशील थे कि उसके लिए सप्ताहों तक का समय लेते थे। गांधी का उद्धेश्य पाठक तैयार करना नहीं, ब्लकि पाठकों को तैयार करना था। गांधी की पत्रकारिता से प्रेरित होकर कई पत्रों का प्रकाशन होने लगा। गांधी के ही कारण हिंदी पत्रकारिता को राजनीतिक स्वर मिला। गांधी के आगमन के बाद पत्रकारिता और जनता आत्मविश्वास से भर गए।

वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अमेरिका सिंह ने वेबिनार के अतिथि और वक्ताओं का स्वागत किया। प्रो. सिंह ने दोनों अतिथियों से वार्ता की और भविष्य में पत्रकारिता विभाग और विवि के साथ जुड़े रहने का प्रस्ताव दिया। इस दौरान प्रो. सिंह ने गांधी के सादा जीवन उच्च विचार और उनकी विचारधारा को अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि गांधी एक प्रखर पत्रकार थे जिन्होंने समाज में नई चेतना जगाई। 

कार्यक्रम के संयोजक एवम पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डाॅ. कुंजन आचार्य ने कार्यक्रम के संचालन किया। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के जनसम्पर्क अधिकारी प्रवीण भटनागर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। हरिदेव जोशी पत्रकारिता विवि के डीन डॉ मनोज लोढा, फैकल्टी डाॅ. अजय सिंह सहित कई लोग जुड़े। वेबिनार को विवि के यूट्यूब चैनल तथा फेसबुक के केम्पस न्यूज पर लाइव स्ट्रीम किया गया जिसे बड़ी संख्या में लोगों ने लाइव देखा। वेबिनार में शोधार्थियों और छात्रों ने विशेषज्ञों और वक्ताओं से सवाल किए, जिनका वक्ताओं ने विस्तार से जवाब दिया।
 

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