मुलाकात: ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ के उपन्यासकार प्रेम एस गुर्जर के साथ

मुलाकात: ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ के उपन्यासकार प्रेम एस गुर्जर के साथ

मेवाड़ के युवा उपन्यासकार प्रेम शंकर गुर्जर संभाग के राजसमंद जिले के कांकरोली के मादड़ा गांव के एक किसान परिवार में जन्मे एक ऐसे उपन्यासकार है जो युवावस्था में ही लेखन की विद्या में खुद को पारंगत साबित कर चुके है। प्रेम की लिखी हुई पहली उपन्यास 'फिलोसोफर्स स्टोन' को देशभर में जानेमाने पब्लिशर 'हिन्द युगम' ने प्रकाशित किया है।

 
मुलाकात: ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ के उपन्यासकार प्रेम एस गुर्जर के साथ

मेवाड़ के युवा उपन्यासकार प्रेम शंकर गुर्जर संभाग के राजसमंद जिले के कांकरोली के मादड़ा गांव के एक किसान परिवार में जन्मे एक ऐसे उपन्यासकार है जो युवावस्था में ही लेखन की विद्या में खुद को पारंगत साबित कर चुके है। प्रेम की लिखी हुई पहली उपन्यास ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ को देशभर में जानेमाने पब्लिशर ‘हिन्द युगम’ ने प्रकाशित किया है।

वर्तमान में प्रेम गुर्जर शिक्षा विभाग प्राध्यापक पद पर उदयपुर जिले के बरवाड़ा स्कूल में कार्यरत है। स्नातक के बाद प्रेम ने हिंदी साहित्य, इतिहास एवं राजनीती विज्ञानं ने मास्टर की डिग्री हासिल की है। प्रेम की लिखी कहानियो को ‘साहित्य मंजरी’ ने हिंदी साहित्य की समकालीन टॉप-5 रचनाओं में स्थान मिला है।

प्रेम एस गुर्जर की लिखी उपन्यास ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ एक ऐसे चरवाहे की कहानी है, जो बचपन में एक ही सपना बार-बार देखता है। एक दिन वह धड़कते दिल और कांपते कदमो के साथ घर से मंज़िल की तलाश में निकल पड़ता है, उसे नहीं मालूम मंज़िल मिलगे कैसे ! किसी को नियति के रास्ते पहले से मालूम नहीं होते किन्तु सम्भावनाओ का संसार बांहे फैलाए खड़ा है। उसे विश्वास है की जब कोई नियति की तलाश में चल देता है ये सृष्टि उसके लिए वहीँ दरवाज़े खोल देती जहाँ सिर्फ दीवारे होती है। इसी दौरान लड़के को दुनिया की सबसे खूबसूरत राजकुमारी मधुलिका से प्यार हो जाता है।

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फिर शुरू होता है एक जादुई जंगल का सफर। जहाँ उसे पारस पत्थर यानि फिलोसोफर्स स्टोन को खोजना है। इससे पहले उसे जंगली लुटेरों, मायावी नगरी, जादुई जानवरो और रहस्यमयी वनदेवी के साम्राज्य को पार करते हुए काले जादू की शक्तियों के मालिक कबीलाई सरदारों से सामना करना होता है। यही नियति का सफर है।

मुलाकात: ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ के उपन्यासकार प्रेम एस गुर्जर के साथ

फिलॉसफर्स स्टोन के लेखक प्रेम एस गुर्जर ने उदयपुर टाइम्स.कॉम से बातचीत में बताया की दूध बेचने और खतिहार किसान के घर में पलने बढ़ने से शिक्षा विभाग में प्राध्यापक और उपन्यास लेखक तक के सफर में उन्होंने वह सब संघर्ष किया जो सफलता के लिए ज़रूरी थे। नौकरी के साथ-साथ साहित्य को पढ़ने के शौक के कारण कई किताबे और नॉवेल पढ़ लिए। इस दौरान विचार आया की वह भी लिख सकते है। बस ! फिर क्या था, प्रेम ने दिल और दिमाग की बात सुनी और कलम उठा ली।

“जब उपन्यास की कहानी पूरी हुई तो उसके प्रकाशन को लेकर मन में काफी संशय था। उस वक़्त मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था, इस बीच गूगल पर देश के सबसे तीन ख्यातिनाम पब्लिकेशन पर अपनी कहानी की पांडुलिपि भेज दी। दसवे दिन जब ‘हिन्द युगम’ ने उपन्यास छापने का ईमेल किया तो मैं देखते ही उछल पड़ा। प्रेम ने बताया वह पल मेरी ज़िंदगी का सबसे रोमांटिक पल था जहाँ मेरा लेखक बनने का सपना साकार होने जा रहा था ” – प्रेम एस गुर्जर

उपन्यास हिंदी में शीर्षक अंग्रेजी में

प्रेम ने अपने उपन्यास का शीर्षक ‘फिलोसोफर्स स्टोन’ में अंग्रेजी भाषा में रखने को लेकर बताया की वह आज के युवा को आकर्षित करने के लिए टाइटल को अंग्रेजी अंग्रेजी में रखा और दूसरा ‘फिलोसोफर्स स्टोन‘ यानि ‘पारस पत्थर’ पर काफी सारे उपन्यास लिखे जा चुके है। उन्होंने यह भी बताया की आज का युवा केवल रोमांटिक और कच्ची उम्र के प्यार वाली स्टोरी नहीं बल्कि थ्रिलर, जासूसी और संघर्ष भरी कहानियां भी पसंद करता है।

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