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बहुआयामी पक्ष हैं महावारी प्रबंधन के- डॉ.गायत्री तिवारी

मासिक धर्म और मासिक धर्म प्रथाओं को अभी भी कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है

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महिलाओं और लड़कियों की गरिमा, शारीरिक अखंडता और समग्र जीवन के अवसरों की रक्षा करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम

महाराणा प्रताप कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के संघटक सामुदायिक एवं व्यवहारिक महाविद्यालय के मानव विकास और पारिवारिक अध्ययन विभाग द्वारा स्नातक के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों हेतु अनिवार्य रूप से आगामी 19 जनवरी से 19 मार्च 2022 तक चलाये जा रहे ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव कार्यक्रम के मद्देज़र महावारी प्रबंधन विषयक प्रशिक्षण का ऑनलाइन आयोजन किया गया।

स्वागत उद्बोधन में महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ मीनू श्रीवास्तव ने कहा की महिलाओं और किशोरियों की कई चुनौतियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) को बढ़ावा देना केवल स्वच्छता का मामला नहीं है; यह महिलाओं और लड़कियों की गरिमा, शारीरिक अखंडता और समग्र जीवन के अवसरों की रक्षा करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

उद्देश्य  पर प्रकाश  डालते  हुए आयोजन सचिव  डॉ गायत्री  तिवारी  ने स्पष्ट  किया की  मासिक धर्म और मासिक धर्म प्रथाओं को अभी भी कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है जो मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के मार्ग में एक बड़ी बाधा हैं। देश के कई हिस्सों में खासकर ग्रामीण इलाकों में लड़कियां मासिक धर्म के बारे में तैयार और जागरूक नहीं हैं, इसलिए उन्हें घर, स्कूल और कार्यस्थल पर कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

प्रशिक्षण जतन संस्थान उदयपुर के अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा दिया गया प्रारम्भ में पावर  पॉइंट के माध्यम मरुधर सिंह द्वारा इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से कतिपय प्रश्न  पूछे गए जो माहवारी संबंधी जानकारियों पर आधारित थे।

डॉ.कैलाश बृजवासी ने बताया की मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) मासिक धर्म और रजोनिवृत्ति के बीच महिलाओं और किशोर लड़कियों के लिए स्वच्छता का एक अनिवार्य पहलू है। मासिक धर्म आयु वर्ग में महिलाओं और लड़कियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दा होने के बावजूद आपदा के बाद की प्रतिक्रियाओं में अक्सर एम.एच.एम.(मेंसुरल हाईजीन मैनेजमेंट ) की अनदेखी की जाती है। अब समय आ गया है की इस विषय में ना केवल महिला वर्ग को अपितु पुरुषों को भी जागरूक किया जाय ताकि प्रजनन स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सके।

विषय की ख्यातनाम विशेषज्ञ और उगेर की संस्थापिका डॉ लक्ष्मी मूर्ती ने माहवारी प्रबंधन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इसकी वर्तमान स्थिती से अवगत कराया पावर पॉइंट के माध्यम से आपने बताया की मासिक धर्म सभी किशोर लड़कियों और महिलाओं द्वारा अनुभव की जाने वाली एक प्राकृतिक, सामान्य जैविक प्रक्रिया है, फिर भी इसे खुले तौर पर अनावश्यक शर्मिंदगी और शर्म का कारण नहीं बताया जाता है।

भारत की 113 मिलियन किशोरियां विशेष रूप से माहवारी की शुरुआत में कमजोर होती हैं।इस समय उन्हें एक सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता है जो उनके बुनियादी स्वास्थ्य, कल्याण और शैक्षिक अवसर को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करे। स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय और घर में शौचालय के अभाव में किशोरियों और महिलाओं को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ता है। हालांकि, सुरक्षित और प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन, या 'एम.एच.एम.'(मेंसुरल हाईजीन मैनेजमेंट) किशोर लड़कियों और महिलाओं के बेहतर और मजबूत विकास के लिए एक ट्रिगर है।समापन पूर्व प्रतिभागियों की शकों का यथासंभव समाधान किया गया .इस अवसर पर विभाग की आयोजक डॉ. स्नेहा  जैन एवं श्रीमति रेखा राठोड ने सक्रियता से भाग लिया।समन्वयक  डॉ सरला लखावत द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ सत्र का समापन किया गया।

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