मेवाड़ सपूत महान शिक्षाविद, राजनयिक, प्रशासक, समाज सुधारक पदमविभूषण डॉ मोहन सिंह मेहता “ भाईसाहब

मेवाड़ सपूत महान शिक्षाविद, राजनयिक, प्रशासक, समाज सुधारक पदमविभूषण डॉ मोहन सिंह मेहता “ भाईसाहब

उदयपुर 20 अप्रैल 2019, आज ही के दिन 20 अप्रेल 1895 को जन्मे डॉ मोहन सिंह मेहता लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स से पीएचडी व प्रतिष्ठित बार एट लॉ डिग्री प्राप्त थे। आजादी से पूर्व वे तत्कालीन मेवाड़ राज्य में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आजादी के पश्चात वे संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे। कई देशो में भारत के राजदूत रहे डॉ मेहता विद्या भवन व् सेवा मंदिर के संस्थापक थे। डॉ मेहता राजस्थान यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति थे। उनकी एक सौ चोइसवीं जयन्ती के अवसर पर यह विशेष आलेख प्रस्तुत है।

 

मेवाड़ सपूत महान शिक्षाविद, राजनयिक, प्रशासक, समाज सुधारक पदमविभूषण डॉ मोहन सिंह मेहता “ भाईसाहब

उदयपुर 20 अप्रैल 2019, आज ही के दिन 20 अप्रेल 1895 को जन्मे डॉ मोहन सिंह मेहता लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स से पीएचडी व प्रतिष्ठित बार एट लॉ डिग्री प्राप्त थे। आजादी से पूर्व वे तत्कालीन मेवाड़ राज्य में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। आजादी के पश्चात वे संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रहे। कई देशो में भारत के राजदूत रहे डॉ मेहता विद्या भवन व् सेवा मंदिर के संस्थापक थे। डॉ मेहता राजस्थान यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति थे। उनकी एक सौ चोइसवीं जयन्ती के अवसर पर यह विशेष आलेख प्रस्तुत है।

आइये बँटे नहीं, प्रेम को बांटे

पूरे विश्व में आज एक तरह का ध्रुवीकरण है,पोलेराइजेशन है। इस ध्रुवीकरण से मानव समाज परस्पर घृणा, अविश्वास, व्यापक निराशा जैसी नकारात्मकता में गहराई से जकड़ लिया गया है। इस गंभीर परिस्थिति में जागरुक नागरिक समाज पर एक नई जिम्मेदारी आ पड़ी है। यह जिम्मेदारी है कि हम किसी प्रकार के ध्रुवीकरण का शिकार नहीं बनते हुए सम्पूर्ण मानव समाज को भेदभाव व् घृणा से मुक्त बनाये एवं प्रेम, समानता, परस्पर सम्मान व् सहयोग, साहचर्य को पुनः स्थापित करे। मेवाड़ के सपूत, शिक्षाविद, महान समाज सुधारक डॉ मोहन सिंह मेहता के मानवतावादी व् प्रकृतिवादी विचार ऐसे समय में एक राह दिखातें हैं।

मौजूदा विश्व का यह ध्रुवीकरण विचारों, आस्थाओ, आइडियोलॉजी का है। इसने समाज के हर वर्ग को भ्रम, भटकाव व् बिखराव की स्थिति में डाल दिया है।इस ध्रुवीकरण के दोनों पालों के नेतृत्व कर्ता, विचार प्रसारक तथापि इंसान की गरिमा सहित समानता, सहनशीलता, प्रेम मयी, युद्ध रहित शांतिपूर्ण समाज की स्थापना को अपनी मूल आस्था एवं जीवन दर्शन मानते है। लेकिन, व्यवहारिक रूप में व्यक्तिगत, सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में ठीक इसके विपरीत कार्य कर रहे है। ध्रुवीकरण के षड्यंत्र में लगे ये लोग राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक सत्ता प्राप्त करने एवं वैचारिक साम्राज्यवाद को स्थापित करने के अनेक आडम्बर कर रहे हैं। और, इसमें इंसान, इंसानियत गौण होती जा रही है।

एक पाले के लोग स्वयं को उदारवादी वामपंथी, लेफ्ट लिबरल मानते है तो दूसरे पाले के लोग स्वयं को राईट नेशनल, दक्षिणपंथी मानते है। लेकिन वास्तविकता की कसौटी पर परखे जाये या अनुभूत किये जाये तो ये प्रचलित पंथ अर्थात लेफ्ट लिबरल और राईट नेशनल, स्वयं में ही, सबसे बड़े ऑक्सिमोरोन, विरोधाभासी साबित हो रहे है। अपनी विचारधाराओं व आस्थाओं के कट्टरपंथ ने इन्हें असहनशील, कठोर, हिंसा पूर्ण बना दिया है। नैतिकता और मूल्यों का दम्भ भरने वाले, पंथविहीन समाज की वकालत करने वाले ये दोनों पंथ घोर पोंगेपंथी, मोरल हिपोक्रेट, इंटलेक्चुअल हिपोक्रेट साबित होते जा रहे है। यद्यपि दोनों विचारो के मूल में कई समान शास्वत मूल्य निहित है, लेकिन् वे इन दोनों पालों को परस्पर तभी स्वीकार होते हैं जब वे उन्ही के पंथ की भाषा व् शब्दावली में बोले जाये।

यह व्यापक और गहराता जा रहा ध्रुवीकरण मानव समाज के लिए खतरनाक है। इसने हिंसा, असमानता असहनशीलता को बढ़ाया ही है। स्वीकार और अंगीकार करने, प्रेम बाँटने और क्षमा करने व् मांगने, करुणा और संवेदनशीलता जैसे गुणों वाला मूल मानव स्वभाव इससे प्रदूषित हुआ है।

भाईसाहब डॉ मोहन सिंह मेहता ऐसे विपरीत समय में राह दिखाते है। भाईसाहब में उदारवाद, सर्वधर्म समभाव, सहनशीलता, अपनापन, क्षमा मांगने और करने, राष्ट्रीयता, वसुधैव कुटुम्बकम्, क्रांतिकारिता, गांधी मार्ग जैसे अनेक मूल्यों का एक रचनात्मक, परिणाम मूलक, प्रगतिवान एवं आडम्बर रहित संतुलित मिश्रण था। भाईसाहब शिक्षा व् सेवा के माध्यम से एक प्रेममयी, सौहार्द्रमयी, स्वावलंबी, सामर्थ्यवान, परस्पर हितैषी, स्वच्छ व स्वस्थ दूनियाँ बनाने का स्वप्न देखते थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में इन मूल्यों को क्रिया में, एक्शन में परिणित किया।

भाईसाहब के विचार आज भी इन अर्थो में प्रासंगिक है कि वे बदलते विश्व एवं बदलते समय की कसौटी पर खरे उतरते रहे। भाईसाहब के विचारो, दर्शन एवं कर्म में पूरे विश्व का एक प्रतिबिम्ब रहा जंहा मानव समाज एवं प्रकृति की अन्तर्निहित विविधता को सही मायने में समझा गया और शिक्षा व् सेवा के विभिन्न प्रयोगों द्वारा उन्हें वास्तविकता में परिणित किया गया।

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भाईसाहब की जयन्ती मेवाड़ सहित पूरे देश व् विश्व को यह सन्देश देती है कि हर नागरिक मानवतावादी मूल्यों की नींव पर एक ऐसे मानव समाज का निर्माण करे जंहा प्रेम, समभाव, सदभाव स्वतः पल्लवित, पुष्पित हो। विविधता बनी रहे, स्वीकार्य हो और विविधता की सुंदरता, उसका आनंद सभी को एक प्रेम मयी राह पर ले जाते हुए सर्वजन विकास सुनिश्चित करे। वैचारिक कट्टरपन, घृणा और भेदभाव जैसे नकारात्मक भावों को तिरोहित करें।

हर अच्छे विचार और कार्य को, हर इंसान को स्थान दे और उत्तेजनाओं से मुक्त रहते हुए गलत विचारो का विनम्र साधनो से शुद्धिकरण करे। प्रतिकूल लगने वाले इंसानो को भी अपना माने, उन्हें स्वीकार करे और फिर सद्भावना से परिष्कार कर उन्हें गरिमा प्रदान करे। स्वयं भी उनसे सीखे, क्योंकि मूल रूप से हर इंसान अच्छा ही होता है। डॉ मोहन सिंह मेहता ने अपने पूरे जीवन में यही किया। गांधी मार्ग भी यही है।

  Views in the article are solely of the author Dr. Anil Mehta
Ph.D(Civil Engineering)IWRM
M.E.(Irr.Water Management Engineering)
University Gold Medalist
Principal – Vidya Bhawan Polytechnic Udaipur (Raj) India
Joint Secretary – Jheel Sanrakshan Samiti (Lake Conservation Society)
9414168945

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