छिछले तालाबों में मिली पक्षियों की ज्यादा तादाद

छिछले तालाबों में मिली पक्षियों की ज्यादा तादाद

वागड़ नेचर क्लब का ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स’ कार्यक्रम
 
छिछले तालाबों में मिली पक्षियों की ज्यादा तादाद

उदयपुर, 28 जनवरी 2020। दक्षिण राजस्थान में पक्षियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत वागड़ नेचर क्लब सदस्यों द्वारा ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स’ कार्यक्रम के तहत क्षेत्र के तीन जलाशयों पर बर्डवॉचिंग की गई। इस दौरान इन जलाशयों पर विशेषज्ञों ने छिछले तालाबों में पक्षियों की ज्यादा तादाद की स्थिति को दर्ज किया।  

कार्यक्रम के तहत वागड़ नेचर क्लब की पक्षी विशेषज्ञ प्रीति मुर्डिया, डॉ. कमलेश शर्मा, विनय दवे, पर्यावरण प्रेमी दिनकर खमेसरा, सुनील व्यास, उमेश कुमार आदि के दल ने भीण्डर के  बीजमाता तालाब, बड़वई व किशन करेरी तालाब का दौरा किया और यहां पर बर्डवॉचिंग कर जानकारियां संकलित की। इस दौरान यहां पर स्थानीय और प्रवासी परिंदों की कई दुर्लभ प्रजातियों को देखकर खुशी जताई गई। 

सदस्यों ने कुछ जलाशयों पर मेहमान पक्षियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति को देखा तथा इसकी संख्या के बारे में जानकारी संकलित की। यहां पर प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज, ग्रे लेग गूज, ग्रेट क्रस्टेड ग्रीब और बड़ी संख्या में स्थानीय प्रजातियों के पक्षियों की उपस्थिति ने दल सदस्यों को अभिभूत कर दिया।

छिछले तालाबों में ज्यादा व गहरे तालाबों में दिखे कम पक्षी:

बर्डवॉचिंग दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि क्षेत्र के छिछले तालाबों में ज्यादा संख्या में पक्षियों की उपस्थिति देखी गई वहीं पानी से लबालब भरे गहरे तालाबों में कम तादाद में पक्षी दिखाई दिए। प्रदेश के ख्यातनाम पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष ज्यादा बारिश के कारण कई तालाब पूरे-पूरे भर चुके हैं और इस कारण से जलीय वनस्पति व मछलियों तक पक्षियों की पहुंच नहीं हो पाने से ऐसे लबालब तालाबों में पक्षियों की कम संख्या दिखाई देना स्वाभाविक है। 

उन्होंने बताया कि वागड़-मेवाड़ के जलाशय अपेक्षाकृत प्रदूषणमुक्त व सुरक्षित है और इनमें पाई जाने वाली वनस्पति व मछलियां इनका पसंदीदा आहार हैं ऐसे में मेहमान परिंदों को ये जलाशय पसंद आते हैं।  

बड़वई व किशन करेरी में पक्षी मित्रों के प्रयास सराहनीय:  

पक्षी विशेषज्ञों बड़वई व किशन करेरी के निरीक्षण दौरान स्थानीय पक्षीमित्रों द्वारा यहां पर परिंदों व जलाशय के संरक्षण व संवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयासों को देखा तथा इसकी सराहना की। यहां पर पक्षीमित्रों ने जलाशय के संरक्षण के साथ-साथ चारागाह विकास तथा पक्षीदर्शन के लिए हाईड निर्माण के कार्य को भी दिखाया तथा बताया कि इस चारागाह में पनपी वनस्पति के कारण यहां पर उड़ने वाले सबसे बड़े स्थानीय पक्षी सारस क्रेन के दो जोड़े अपने तीन बच्चों के साथ प्रवास कर रहे हैं। पक्षीमित्रों ने इस कार्य में ग्रामीणों से मिले सहयोग की जानकारी दी। इस मौके पर बड़वई के पुखराज व रवि कुमार तथा किशन करेरी के भेरूलाल पुरोहित व अन्य पक्षीमित्रों ने जानकारी दी।  

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