"प्रभावी संचार और उन्नत प्रस्तुति कौशल" विषयक 2 दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का आरम्भ


"प्रभावी संचार और उन्नत प्रस्तुति कौशल" विषयक 2 दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का आरम्भ 

 
2 दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम

उदयपुर 16 दिसम्बर 2021-  महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,उदयपुर के संघटक  सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा संस्थागत विकास परियोजना ,राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना ,अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली  द्वारा प्रायोजित " प्रभावी संचार और उन्नत प्रस्तुति कौशल " विषयक 2 दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम का आरम्भ किया गया । स्वागत उद्बोधन के साथ परिचयात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए करते हुए आयोजन सचिव डॉ .सुधा बाबेल, विभागाध्यक्ष, वस्त्र एव परिधान अभिकल्पन विभाग, इकाई समन्वयक, अखिल भारतीय समन्वित  अनुसंधान परियोजना – गृह विज्ञान ने कहा की प्रभावी संचार और प्रस्तुति कौशल सफलता की कुंजी हैं।  

संकाय विकास कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों में सार्वजनिक बोलने की क्षमता विकसित करना, शिक्षण अधिगम स्थिति में प्रभावी संचार के लिए कौशल में वृद्धि करना तथा  विभिन्न प्रकार की प्रस्तुति देने के लिए शिक्षकों के बीच क्षमता  विकसित करना है ।  यह संकाय विकास कार्यक्रम प्रतिभागियों की सार्वजनिक वाक्पटुता  और ज्ञान में सुधार करेगा। यह प्रतिभागियों को व्यावसायिकता  और आत्मविश्वास से पेश करने के साथ-साथ दर्शकों के साथ अच्छी तरह से जुड़ने के लिए प्रभावी प्रस्तुति तकनीकों के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा, वे अपनी खुद की संचार शैली भी पहचान पायेंगे और दूसरों की संचार प्राथमिकताओं की पहचान करना भी सीखेंगे, नतीजतन मनोबल और उत्पादकता में सुधार होगा।   

प्रथम सत्र में  हैदराबाद के ख्यातनाम प्रेरक वक्ता डॉ.विवेक मोदी ने मौखिक तथा अमौखिक सम्प्रेषण की आवश्यकता और महत्व पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए कहा की विविध विचार और व्यवहार वाले लोगों के साथ तारतम्य बिठाने के साथ साथ ये संकाय छात्रों के साथ जल्दी और आसानी से जुड़ने के अवसर भी प्रदान करता है .इसके अलावा विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने के लिए तकनीकी दृष्टि से भी सक्षम बनता है। पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आपने संचार के मौखिक और गैर-मौखिक रूप और उसी की कला में महारत हासिल करने की तकनीकों पर जोर दिया। बॉडी लैंग्वेज, मुद्राओं और हावभाव से लेकर खुद की ब्रांड वैल्यू बनाने तक, प्रभावी संचार के लिए सुधारात्मक उपायों के रूप में आवश्यक व्यवहार और व्यवहार संबंधी संशोधनों के बारे में बताया। 

        
दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (नार्म), हैदराबाद के सूचना एवम संचार प्रबंधन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ .एस .के .सोंम  थे।  प्रभावशाली सम्प्रेषण तकनीकों पर विवेचनात्मक प्रस्तुति देते हुए मौखिक सम्प्रेषण को सिरे से नकारा और अमौखिक तथा दृश्यात्मक सम्प्रेषण को सर्वाधिक प्रासंगिक बताया व्यावसायिक नेटवर्किंग यथा रिसर्च गेट, डाटा वर्स, मंडले,जी बोर्ड, गूगल इनपुट इत्यादि का अर्थ, उपयोग और लाभ की गहन व्याख्या की आम लोगों से लेकर वैज्ञानिकों द्वारा प्रयुक्त सम्प्रेषण विधाओं से प्रतिभागियों को रूबरू करवाया । भाव की व्याख्या की और पॉडकास्ट के विकास पर जोर देते हुए कहा की प्रभावी संचार के लिए ऑनलाइन मंचों, थ्रेड्स और ब्लॉगों का उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने मेंडेली डेस्कटॉप का उपयोग करने का एक त्वरित प्रदर्शन की प्रस्तुति भी की। समापन धन्यवाद ज्ञापन सह आयोजन सचिव डॉ .हेमू राठौड़ द्वारा  किया गया। इस अवसर पर आयोजन समीति के डॉ.सरला लखावत, डॉ. गायत्री तिवारी, डॉ. अर्पिता जैन, डॉ .स्नेहा  जैन, डॉ.यशस्वी पालीवाल और  अंजलि जुयाल  भी मौजूद थे ।  

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