एमपीयूएटी के कुलपति प्रोफ़ेसर उमा शंकर शर्मा को दी भावपूर्ण विदाई

एमपीयूएटी के कुलपति प्रोफ़ेसर उमा शंकर शर्मा को दी भावपूर्ण विदाई

एमपीयूएटी के कुलपति प्रो उमा शंकर शर्मा को उनका तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, व वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को उन्हें भावपूर्ण विदाई दी। सिटीए ई के प्लेसमेंट सेंटर में आयोजित समारोह में विश्वविद्यालय के सभी संकायों के शिक्षको एवं वैज्ञानिकों ने उन्हें विदाई दी।

 

एमपीयूएटी के कुलपति प्रोफ़ेसर उमा शंकर शर्मा को दी भावपूर्ण विदाई

एमपीयूएटी के कुलपति प्रो उमा शंकर शर्मा को उनका तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, व वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को उन्हें भावपूर्ण विदाई दी। सिटीए ई के प्लेसमेंट सेंटर में आयोजित समारोह में विश्वविद्यालय के सभी संकायों के शिक्षको एवं वैज्ञानिकों ने उन्हें विदाई दी।

समारोह में एसओसी के सभी सदस्य डॉ एल के मुरडिया, डॉ सुमन सिंह, डॉ अभय कुमार मेहता, डॉ सुरेन्द कोठारी, डॉ वन्दना कौशिक, डॉ एस डी धाकड़, डॉ ऋतु सिंघवी, डॉ अजय शर्मा, डॉ अरुणाभ जोशी व डॉ सुबोध शर्मा के अतिरिक्त वित्त नियंत्रक डॉ कुमुदिनी चावरिया व नव नियुक्त कुलसचिव कविता पाठक उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर ओएसडी, नोडल अधिकारी भी उपस्थित थे।

सभी उपस्थित फैकल्टी ने माननीय कुलपति को फूलो के गुलदस्ते भेंट कर उन्हें शॉल, उपरना व पग पहना कर सम्मानित भी किया। डॉ अभय मेहता ने स्वागत उद्बोधन दिया व कुलपति के कार्यकाल पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया के एमपीयूएटी के इतिहास में इसी विश्वविद्यालय की फ़ैकल्टी रहे डॉ उमा शंकर शर्मा पहले कुलपति रहे। सभी को व्यक्तिगत रुप से जानने से उन्होंने सभी की समस्याओं का सरलता से निराकरण किया। सभी के लिए उनका रुख सकरात्मक व स्नेहपूर्ण रहा।

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प्रोफेसर उमाशंकर शर्मा ने सभी के सहयोगपूर्ण व्यवहार के लिए अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल में एमपीयूएटी में दो नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना हुई, अध्यापको व सहसेक्शनिक कर्मचारियों के प्रमोशन, सातवें वेतनमान का लाभ, ग्राम मेले का आयोजन, सुखाड़िया विश्वविद्यालय के साथ संपत्ति विवाद का निस्तारण, सैकड़ों बीघा जमीन का एमपीयूएटी के नाम नामकरण, भीलवाड़ा, वल्लभनगर में सैकड़ो बीघा कृषि भूमि विश्वविद्यालय के नाम करना उल्लेखनीय रहा।

उनके कार्यकाल में शैक्षणिक विकास के लिए एमपीयूएटी को विश्वबैंक परियोजना की स्वीकृति, अनेक अनुसंधान परियोजनाएं, प्रताप बीज पोर्टल के तहत बीज उत्पादन प्रारम्भ करना, यूआई टी के माध्यम से शहर को नई सड़को के लिए जमीन की उपलब्धता, व्यावसायिक उपयोग के लिए अनुपयोगी जमीन बेच कर कार्पस फंड की स्थापना के अनेक कार्य हुए। इस फण्ड से पेंशनर्स की समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त हुआ है तथा पेंशनर्स को भी सम्मान पूर्ण जीवन जीने का अवसर मिला है। कार्यक्रम का संचालन डॉ ऋतु सिंघवी ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ सुमन सिंह ने ज्ञापित किया।

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