उदयपुर। उड़ीसा के सम्बलपुर में आयोजित चौथे राष्ट्रीय बहुभाषीय नाट्य समारोह ‘‘श्री रंग समागम - 2019’’ में उदयपुर की नाट्यांश नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संस्थान के कलाकारों ने नाटक ‘कमला’ का मंचन किया। पाँच दिवसीय समारोह में ‘कमला’ की प्रस्तुति दुसरे दिन हुई जिसे दर्शकों ने काफ़ी सराहा।
‘कमला’ नाटक वर्ष 1982 की सच्ची घटना पर आधारित है। इस नाटक में एक दिल्ली का प्रतिष्ठित पत्रकार ‘स्टिंग ऑपरेशन’ के तहत एक औरत को खरीद कर लाता है। पत्रकार उस औरत को बतौर सबूत पेश करना चाहता है और वो यह दिखाना चाहता है कि आज के इस आधुनिक युग में भी इन्सानों की खरीद-फरोख्त की जाती है।
लेकिन ये सारी बातें साबित करने में वो पत्रकार नारी के मान-सम्मान की धज्जियां उड़ा देता है और उसे अपनी कामयाबी के नशे में इस बात का ध्यान भी नहीं रहता। साथ ही वो यह भी भुल जाता है कि उसकी इस अमानवीय हरकत का सभ्य समाज के आधुनिक परिवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
जब इसी तरह पुरूष अपनी कामयाबी और तरक्की के नशे में इतना डूब जाता है कि वो ये भी भूल जाता है, कि नारी उपयोग और उपभोग की वस्तु नहीं, बल्कि जीता जागता इन्सान है। यह नाटक पुरूषों की तरक्की की राह में आने वाली ऐसी ही औरतों की कहानी है जिन्हें कुचल दिया जाता है, जिनकी आवाज़ को दबा दिया जाता है।
अमित श्रीमाली द्वारा निर्देशित और विजय तेन्दुलकर द्वारा लिखित मुल मराठी नाटक कमला का हिन्दी अनुवाद वसन्त देव द्वारा किया गया। नाटक में ख़रीद कर लाई गयी लड़की कमला का किरदार नेहा श्रीमाली ने निभाया। पत्रकार जयसिंह जाधव के किरदार में अमित श्रीमाली, जयसिंह की पत्नी सरिता के किरदार में रेखा सिसोदिया, सरिता के काका साहेब (वरिष्ठ पत्रकार) के किरदार में अगस्त्य हार्दिक नागदा, जयसिंह का दोस्त जैन के किरदार में राघव गुर्जरगौड़ और नौकरानी कमलाबाई की भुमिका में योगिता सिसोदिया ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
नाटक का संगीत संयोजन - अब्दुल मुबीन ख़ान द्वारा किया गया। संगीत संचालन - महेश जोशी ने किया। प्रकाश परिकल्पना - अशफ़ाक़ नुर ख़ान पठान की रही और प्रकाश संचालन - मोहम्मद रिज़वान मन्सुरी ने किया। रूप सज्जा में नेहा श्रीमाली और वेषभुषा में योगिता सिसोदिया ने भी योगदान दिया।
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