झीलों के किनारों व टापुओं के ख़त्म होने से घट रहे देशी प्रवासी पक्षी


झीलों के किनारों व टापुओं के ख़त्म होने से घट रहे देशी प्रवासी पक्षी

झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गाँधी मानव कल्याण सोसाइटी के तत्वावधान में रविवार को आयोजित संवाद में समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के किनारों के ख़त्म हो जाने से पक्षियों को आवास, सहवास, ठहराव के स्थल नहीं मिल पा रहे हैं।
 
झीलों के किनारों व टापुओं के ख़त्म होने से घट रहे देशी प्रवासी पक्षी
इस अवसर पर पिछोला के अमरकुण्ड, हनुमान घाट व बारीघाट क्षेत्र से झील में तैरते हुए पॉलीथिन, मृत कबूतर, सड़ी गली खाद्य सामग्री, पूजन सामग्री, घरेलू अपशिष्ट व जलीय खरपतवार को निकाला गया। 

उदयपुर,8 दिसंबर 2019 । झीलों के किनारों व् टापुओं पर आने वाले देशी प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी तथा झीलों में खरपतवार की बढ़ोतरी पर झील प्रेमियों ने चिंता व्यक्त की है। 

झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गाँधी मानव कल्याण सोसाइटी के तत्वावधान में रविवार को आयोजित संवाद में समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों के किनारों के ख़त्म हो जाने से पक्षियों को आवास, सहवास, ठहराव के स्थल नहीं मिल पा रहे हैं।

मेहता ने कहा कि वर्ष 2010 में झीलों की मूल सीमाओं को एम् डब्लू एल ( अधिकतम भराव तल) से घटाकर ऍफ़ टी एल (फुल टेंक लेवल) पर करने तथा इस ऍफ़ टी एल पर रिंग रोड बनाने से झीलों की शोर लाइन नहीं बची है। 

ऍफ़ टी एल तथा एम् डब्लू एल के बीच की झील भूमि पर निर्माणों को रोका नहीं जा रहा है। उदयसागर में तो एक होटल व्यवसायी को लाभ पंहुचाने के लिए  के लिए सरकारी विभागों ने टापू की परिभाषा व् झील के जल विज्ञानीय व् पारिस्थितिकीय मानक ही बदल दिए हैं। इसका दुष्प्रभाव सीधे पक्षियों पर पड़ा है। यदि यह नहीं रोका गया तो उदयपुर का उदाहरण बना कर पूरे राज्य व् भारत की अनेकों झीलों को नष्ट करने की प्रक्रिया चल पड़ेगी। 

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों में गंदगी व् सिवेरेज के प्रवाह से कई प्रकार के खरपतवारों की बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इसके लिए जंहा सिवेरेज व् गंदगी का  झीलों में प्रवाह को रोकना जरुरी है, वंही ग्रास् कार्प प्रजाति की मछलियों को छोड़ा जाना चाहिए। पालीवाल ने कहा कि सभी झीलों में महाशीर मछली की पुनर्स्थापना करना जरुरी है। इस मछली का होना सुनिश्चित करता है कि झील का पर्यावरण स्वस्थ है।  

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि यह दुखद है कि देशी प्रवासी पक्षी उदयपुर की प्रसिद्ध झीलों से विमुख हो अन्य वेटलैंड को तलाश कर वंहा पंहुचने लगे हैं। यह इस बात का सूचक है कि झीले मूल स्वरुप को खो रही है। शर्मा ने कहा कि झीलों पर आने वाले पक्षियों के अवैध शिकार की भी गंभीर समस्या है। इसे रोकना होगा।

इस अवसर पर पिछोला के अमरकुण्ड, हनुमान घाट व बारीघाट क्षेत्र से झील में तैरते हुए पॉलीथिन, मृत कबूतर, सड़ी गली खाद्य सामग्री, पूजन सामग्री, घरेलू अपशिष्ट व जलीय खरपतवार को निकाला गया। 

श्रमदान में मोहन सिंह चौहान, रमेश चंद्र राजपूत, कुशल रावल, अजय सिंह कृष्णावत, दिगम्बर सिंह, सुमित विजय, ध्रुपद सिंह, धारित्र, तेज शंकर  पालीवाल, डॉ अनिल मेहता एवं नंदकिशोर शर्मा ने भाग लिया।

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