उदयपुर, 19 दिसंबर 2019। स्टोन इंडस्ट्रीज को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है। साथ ही सूचनाएं साझा कर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरना होगा। तकनीक का उपयोग कर मार्बल के वेस्ट मैनेजमेंट और वेस्ट के बेस्ट यूज पर ध्यान देना होगा। यह बात गुरूवार को चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्टी के सभागार में आयोजित ग्लोबल स्टोन टेक्नोलॉजी फोरम की तरफ से शुरू हुए दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय स्टोन सेमिनार में आए स्टोन विशेषज्ञों ने निकाला।
इन विशेषज्ञों ने चिंता भी जाहिर कि है कि वर्तमान में मार्बल इंडस्टी का दौर काफी चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है। इसके लिए समय के साथ यदि बदलाव नहीं किया गया तो खासी विपरित परिस्थितियां भी बन सकती है। उदाहरण दिया कि वर्तमान में वेटरीफाईड टाईल्स का कंसेप्ट जोर पकड रहा है, क्योंकि वो रेडी टू फिक्स स्थिति में होती है। ऐसे में उपभोक्ता भी ऐसी ही क्वालिटी पसंद करता है। ऐसे में यदि मार्बल को भी रेडी टू फिक्स श्रेणी में शामिल नहीं किया जाता है तो कई नई चुनौतियां सिर उठाएंगी।
कार्यक्रम का आयोजन सेंटर फॉर डवलपमेंट ऑफ स्टोन-सिडोस, फिक्की व रिको की ओर से किया जा रहा है। कार्यक्रम में सिडोस के वाइस चेयरमेन अशोक कुमार धूत ने कहा कि फोरम में आए माइनिंग एक्सपटर्स के लिए एक मंच उपलब्ध करवाया जाता है, जहां सभी अपने उद्योग के सामने आ रही समस्याओं का समाधान पाते हैं।
धूत ने कहा कि वर्तमान में भले ही यह क्षेत्र काफी चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है, लेकिन इसके स्टार्ट अप को गहनता से समझा जाए या उसके परिणामों आदि पर फोकस किया जाए तो इस क्षेत्र में कोई गंभीर समस्या नहीं है। वर्तमान में मार्बल के वेस्ट को लेकर कई तकनीकें अपनाई जा रही है। जिससे वेस्ट की संख्या कम हुई है और इनोवेटिव आइडिया ने नई पहचान भी दिला दी है।
ईटली के रेपोक्स के सीईओ मैसिमो बेसचेरिनी ने बताया कि ईटली में हमने देखा कि ब्लॉक या तो कटिंग के दौरान या कटिंग के बाद टूट जाते थे। ऐसे में उन्हें चिपकाया भी जाता था, लेकिन उनका उतना पैसा नहीं मिल पाता। ग्राहक हल्की सी दरार देखकर ही मना कर देते। इसके लिए हमनें प्रयोग किया। वहां हमने एक एयर कंटेनर बनाया और ब्लॉक को कटिंग पर भेजने से पहले ही उसमें रेजिन डाल दिया जाता। इससे ब्लॉक इतना मजबूत हो जाता कि वो कटिंग के दौरान भी नहीं टूटता।
ब्लॉक कटिंग के बाद जब स्लैब सामने आता तो कोई बता नहीं पाता कि इसमें दरार थी या नहीं। इसके चलते वेस्ट की संख्या घटकर शून्य रह गई। इसी तरह का प्रयोग हमने ब्लॉक को खिसकाने में किया। यहां हमने एयर बैग को दो ब्लॉक में फंसाकर हवा से ब्लॉक खिसकाने का कार्य किया। परिणाम यह रहा कि कम समय और कम मेन पावर में काम होने लगा। कांफ्रेंस में एसबीआई के डीजीएम विनोद कुमार ने कहा कि मार्बल प्लस एसबीआई पर जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी व्यक्ति अधिकत मार्बल व्यवसाय करना चाहता है तो हम उसे शीध्र से शीघ्र लोन देने के लिए प्रतिबदध हैं। ब्रांच स्तर पर इसकी अधिकत किया गया है।
पोलेंड से आए संजय कुमार शर्मा कहते हैं कि परिधानों की तरह ही मार्बल में भी डिमांड हर रोज बदल जाती है। वर्तमान में मार्बल की ढेरों वैरायटियां बाजार में उपलब्ध है। जरूरत है कि खूबसूरती को बारीकि से अंजाम देने की। इसके लिए नई मल्टी वायर स्टोन कटिंग मशीन को तैयार किया। जिससे मार्बल स्लैब की कटिंग में इतनी बारीकी रहती कि उसमें वेस्टेज की आंकडा भी कम हो जाता।
आरिफ शेख ने बताया कि मार्बल इंडस्टीज में हर रोज नए प्रयोग हो रहे हैं। पहले जहां मार्बल का उपयोग फर्श के रूप में होता था, वहीं अब मार्बल का मल्टीपर्पज इस्तेमाल होने लगा है। कांफ्रेंस में दक्षिणी राजस्थान सहित देश के विभिन्न मार्बल मंडियों के उद्यमी शामिल हुए। विभिन्न सत्रों में आरिफ शेख ने स्टोन टेक कमिंग ऑफ एज, अंशुल राठी ने खनन में डोन की उपयोगिता पर, महेश वर्मा ने बिल्डिंग एक्सटम डबल स्टक्चर यूजिंग स्टोन ब्लॉक्स के प्रयोग पर जानकारियां दी।
कांफ्रेंस में शुक्रवार को स्टोन प्रोसेसिंग टैक्नोलॉजी वैल्यू एडिशन एवं वेस्ट यूटिलाइजेशन, स्टोन केयर इंस्टालेशन एंड क्लेडिंग टेक्निक्स व ओपन इंटरेक्शन विद आर्किटैक्ट्स का आयोजन होगा। इसमें देश विदेश से आए वक्ता विषय से संबंधित विचार रखेंगे। इस दौरान यूसीसीआई के अध्यक्ष रमेश सिंघवी, उदयपुर मार्बल प्रोसेसर समिति के अध्यक्ष बनाराम चौधरी, पूर्व अध्यक्ष शरद कटारिया सहित कई मार्बल उद्यमी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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