हानिकारक अपशिष्ट प्रबन्धन पर यूसीसीआई में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
उदयपुर चैम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्री द्वारा उदयपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च सेन्टर के संयुक्त तत्वावधान में चेम्बर भवन के पायरोटेक टेम्पसन्स सभागार में ”हानिकारक अपशिष्ट प्रबन्धन“ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, उदयपुर के क्षेत्रीय अधिकारी श्री बी.आर. पंवार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। कार्यशाला में नई दिल्ली के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के पूर्व सदस्य सचिव डाॅ. बी. सेनगुप्ता विषय विशेषज्ञ थे।
“पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन केे सम्बन्ध में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण सरकार द्वारा औद्योगिक इकाईयों को प्रदूषण रहित उत्पादन करने के लिये पाबन्द करने हेतु सख्त कदम उठाये जा रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्थापना भी सरकार द्वारा इसी उद्देश्य से की गई है।“ उपरोक्त जानकारी डाॅ. बी. सेनगुप्ता द्वारा यूसीसीआई में दी गई।
उदयपुर चैम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इन्डस्ट्री द्वारा उदयपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च सेन्टर के संयुक्त तत्वावधान में चेम्बर भवन के पायरोटेक टेम्पसन्स सभागार में ”हानिकारक अपशिष्ट प्रबन्धन“ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, उदयपुर के क्षेत्रीय अधिकारी श्री बी.आर. पंवार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे। कार्यशाला में नई दिल्ली के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के पूर्व सदस्य सचिव डाॅ. बी. सेनगुप्ता विषय विशेषज्ञ थे।
कार्यक्रम के आरम्भ में अध्यक्ष श्री हंसराज चौधरी ने मुख्य अतिथि, विषय विशेषज्ञ एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इण्डस्ट्री की ग्रोथ से ही देष की आर्थिक प्रगति सम्भव है। औद्योगिक उत्पादन के साथ कुछ प्रदूषण होना लाजमी है किन्तु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय अपनाकर इसे कम किया जा सकता है। किसी भी उद्योग का आसपास के क्षेत्रवासियों के हितों का ध्यान रखकर ही आगे बढना सम्भव है। श्री चौधरी ने प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण पर यूसीसीआई द्वारा भविश्य में और भी कार्यशालाओं का आयोजन किये जाने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, उदयपुर के क्षेत्रीय अधिकारी डाॅ. बी.आर. पंवार ने अपने सम्बोधन में प्रतिभागियों से अपील की कि मात्र हानिकारक अपशिष्ट नियमों की अनुपालना के उद्देश्य से ही नहीं अपितु अपने स्वयं के लिये तथा आगे आने वाली पीढी के लिये पर्यावरण का संरक्षण आवश्यक है। डाॅ. पंवार ने ग्रीन हाउस गैसों के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि तथा जलवायु परिवर्तन के कारण पेड-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के अस्तित्व पर मण्डराते खतरे को विस्तार से समझाया। प्रकृति एवं पर्यावरण में बढते प्रदूषण पर नियंत्रण हेतु डाॅ. पंवार ने पौधारोपण को बढावा दिये जाने पर बल दिया।
उदयपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेन्ट एण्ड रिसर्च सेन्टर के सदस्य सचिव एवं यूसीसीआई के मानद सदस्य श्री सी.एस.आर. मेहता ने विषय विशेषज्ञ का परिचय प्रस्तुत किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यशाला का संचालन उपाध्यक्षा डाॅ. अंशु कोठारी ने किया। कार्यशाला के दौरान डाॅ. बी. सेनगुप्ता ने पाॅवर पाॅईन्ट प्रेजेन्टेशन के द्वारा हानिकारण अपशिष्ट के प्रबन्धन के सम्बन्ध में वैधानिक एवं तकनिकी पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
प्रश्नकाल के दौरान प्रतिभागियों की शंकाओ एवं जिज्ञासाओं का विषय विशेषज्ञ डाॅ. बी. सेनगुप्ता द्वारा द्वारा समाधान किया गया। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से हानिकारक अपशिष्ट उत्सर्जित करने वाली औद्योगिक इकाईयों के लगभग 85 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें सिक्योर मीटर्स, रवीन्द्र हेराईज, हिताची कैमिकल्स, ब्राईट मेटल्स, उदयपुर मिनटेक, जेके लक्ष्मी सीमेन्ट, रामा फाॅस्फेट, श्रीराम रेयाॅन्स, होण्डा कार्स, यूनाईटेड स्पिरिट, सीगवर्क, जैगुअर एण्ड कम्पनी, अग्रवाल मेटल वर्क्स, वाॅल्केम इण्डिया, स्वास्तिक जिंक, माॅनसेन्टो, रोटम क्राॅप प्रोटेक्शन, हिन्दुस्तान जिंक, गैसटन एनर्जी, जेसीबी इण्डिया, जैकवार एण्ड कं, पीआई इण्डस्ट्रीज, जयपुर क्राॅफ्ट, भारत पेट्रोलियम, जेके टायर्स, इनटैक आॅर्गेनिक्स, टेम्पसन्स इंस्ट्रूमेन्ट्स आदि प्रमुख हैं।
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