2640 में से एक नवजात शिशु थायराइड होर्मोन की कमी के साथ लेता है जन्म

2640 में से एक नवजात शिशु थायराइड होर्मोन की कमी के साथ लेता है जन्म

एन्डोक्राईनोलोजिस्ट व थायराईड व हर्मोन रोग विशेषज्ञ डाॅ. डी.सी.शर्मा ने कहा कि भारत में प्रति 2640 बच्चों में से एक नवजात शिशु थायराईड हार्मोन की कमी के साथ जन्म लेता है जो अन्य देशों की तलुना में बहुत अधिक है। सेमिनार में 100 से अधिक थायराईड रोगियों ने भाग लिया।

 
2640 में से एक नवजात शिशु थायराइड होर्मोन की कमी के साथ लेता है जन्म

एन्डोक्राईनोलोजिस्ट व थायराईड व हर्मोन रोग विशेषज्ञ डाॅ. डी.सी.शर्मा ने कहा कि भारत में प्रति 2640 बच्चों में से एक नवजात शिशु थायराईड हार्मोन की कमी के साथ जन्म लेता है जो अन्य देशों की तलुना में बहुत अधिक है। सेमिनार में 100 से अधिक थायराईड रोगियों ने भाग लिया।

वे आज आयड़ पुलिया स्थित सृजन हाॅस्पिटल में एमएमएम एन्डोक्राईन ट्रस्ट द्वारा थायराईड जागरूकता अभियान के तहत आयोजित सेनिमार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समय पर रोग की पहिचान न हो पाना या देरी से ईलाज शुरू होने से शिशु का मस्तिष्क विकसित नहीं हो पाता है और इस कारण शिशु जीवन भर मन्दबुद्धि रह सकता है।

उन्होेंने कहा कि बढ़ते बच्चों में हार्मोन की कमी शारीरिक विकास व लम्बाई बढ़ने में प्रमुख हार्मोन की बाधा रहती है। डाॅ. शर्मा ने बताया कि 14 प्रतिशत वयस्क लोगों में थायराईड की कमी रहती है। महिलाओं की संख्या पुरूषों के मुकाबले तीन गुना अधिक होने की संभावना रहती है। थायराईड की कमी के अधिकांश रोगी 20 से 45 वर्ष की आयु के बीच के पाये गये है।

उन्होंने बताया कि वजन बढ़ना, मासिक चक्र की अनियमितताएं, गर्भ न ठहरपाना, बार-बार गर्भपात होना महिलाओं में प्रमुख लक्षण पाये जाते है। यदि गर्भवती महिला में थायराईड की कमी पायी जाती है तो उस दौरान इस रोग की दवा को बढ़़ाये जाने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि बिना चिकित्सक परामर्श दवा किसी भी हालत में न लें। उन्होेंने कहा कि सही मात्रा में दवाईयों का सेवन करने से इसके कोई दुष्परिणाम नहीं होते है।

5 प्रतिशत लोगों में स्वतः ठीक होता है थायराईड- उन्होंने बताया कि मात्र 5 प्रतिशत थायराईड रोगी ऐसे होते है जिनका यह रोग स्वतः ठीक हो जाता है। वृद्धवस्था में थायराईड हार्मोन की कमी से सुस्ती, कब्ज, दिमाग की शिथिलता व उच्च रक्तचाप आदि जटिलतायें पायी जाती है। इस अवस्था में दवाएं अधिक दुष्परिणाम दे सकती है, अतः दवा की मात्रा को नियंत्रित करना आवश्यक होता है।

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