मात्र 8 वर्षीय बच्ची को मिर्गी से मुक्त कर मिला नया जीवन


मात्र 8 वर्षीय बच्ची को मिर्गी से मुक्त कर मिला नया जीवन

मिर्गी का सही समय पर जांच दे सकती है नया जीवन - डॉ अनीस ज़ुक्करवाला

 
मात्र 8 वर्षीय बच्ची को मिर्गी से मुक्त कर मिला नया जीवन
नैदानिक इतिहास और वीडियो-ईईजी के आधार पर, उन्होंने उसका निदान एक दुर्लभ मिर्गी रोग के एक मामले के रूप में किया, जिसे लोकप्रिय रूप से "तैस्सीनारी सिंड्रोम" कहा जाता है।

उदयपुर। 8 वर्ष की बालिका को 2 साल की उम्र से मिर्गी से पीड़ित थी। उसको तेज़ झटके आते और संक्षिप्त भ्रम की स्थिति की वजह से खड़े खड़े गिर जाया करती थी। धीरे-धीरे इन दौरों की संख्या  प्रति दिन 40-50 तक बढ़ गई। उसके माता-पिता ने राजस्थान और गुजरात के विभिन्न स्थानों पर कई बाल रोग विशेषज्ञों और न्यूरोलॉजिस्ट्स से परामर्श लिया, हालांकि, कोई राहत नहीं मिली। 

गिरने और चोटों के जोखिम के कारण, माता-पिता ने उसे स्कूल भेजना बंद कर दिया। उसकी मानसिक क्षमता भी कमजोर पड़ने लगी। उसको आखिरकार उदयपुर में एक न्यूरोसर्जन को दिखाया गया जिन्होंने उन्हें गीतांजली अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट और मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीस जुक्करवाला से परामर्श लेने की सलाह दी।  

डॉ.जुक्करवाला और उनकी टीम जिसमें डॉ. मंदार, डॉ. शशिधर, डॉ. प्रदीप और राहुल शामिल थे, ने इस बच्चे की विस्तार से जाँच की और फिर वीडियो- ईईजी द्वारा उसके मिर्गी की दौरों को रिकॉर्ड किया (जैसा कि दिए गए चित्र में दिखाया गया है)। नैदानिक इतिहास और वीडियो-ईईजी के आधार पर, उन्होंने उसका निदान एक दुर्लभ मिर्गी रोग के एक मामले के रूप में किया, जिसे लोकप्रिय रूप से "तैस्सीनारी सिंड्रोम" कहा जाता है।

इस बीमारी को पहली बार एक इटालियन न्यूरोलॉजिस्ट, कार्लो अल्बर्टो तैस्सीनारी, द्वारा वर्णित किया गया था जिससे इसको इसका नाम भी मिला। यह एक दुर्लभ बीमारी है और यह ज्यादातर छोटे बच्चों को प्रभावित करती है जिसमे शरीर में तेज़ झटके और भ्रम जैसी गतिविधियां होती है। प्रतिदिन 50-100 ऐसे एपिसोड हो सकते हैं और इसी वजह से वीडियो-ईईजी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो 3 प्रति सेकंड स्पाइक्स दिखा कर इस बीमारी का निश्चितता के साथ निदान करने में मदद करता हैं।  

हमारी बाल मरीज़ का वैल्प्रोएट और लैमोट्रिजिन का संयोजन शुरू करने के साथ ही उसे दौरे आना बंद हो गए और यही नहीं, उसके बौद्धिक प्रदर्शन में भी सुधार हुआ।

यह मामला इस तथ्य को रेखांकित करता है कि "मिर्गी में सही निदान और उपचार किसी व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।"
 

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