जागरूक जनता और सुदृढ़ शासन ही राजस्थान को सच्चे, वास्तविक व सतत विकास की राह में ले जा सकते हैं।
आज उदयपुर शहर में प्री थल सेना NCC केडेट केम्प को सम्बोधित करते हुए, डॉ. नीलम गोयल ने राज्य के चहुँतरफा विकास की दो मुख्य योजनाओं के सन्दर्भ में बताया। कर्नल सुधाकर त्यागी के निर्देशन में राजस्थान राज्य के लगभग सभी जिलों से आये 600 NCC कैडिट्स ने इसमें भाग लिया। भारत की परमाणु सहेली […]
आज उदयपुर शहर में प्री थल सेना NCC केडेट केम्प को सम्बोधित करते हुए, डॉ. नीलम गोयल ने राज्य के चहुँतरफा विकास की दो मुख्य योजनाओं के सन्दर्भ में बताया। कर्नल सुधाकर त्यागी के निर्देशन में राजस्थान राज्य के लगभग सभी जिलों से आये 600 NCC कैडिट्स ने इसमें भाग लिया। भारत की परमाणु सहेली के नाम से जानी जाने वाले डॉ. नीलम गोयल ने बताया कि राजस्थान राज्य के लिए ही नहीं अपितु समूचे भारत की दो बड़ी मुख्य योजनाएं हैं।
पहली, समुचित जल-प्रवाह की योजना व दूसरी समग्र बिजली उत्पादन की योजना। कई वर्षों से पुरानी ये दोनो योजनाएं यदि समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो रही होती तो, आज भारत 1600 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भारत को सालाना 11 लाख अरब रूपये के बराबर का विकास दे रही होती एवं राजस्थान की 187 लाख हेक्टेयर भूमि राजस्थान को सालाना 1 लाख 28 हजार अरब रूपये के बराबर का विकास दे रही होती।
डॉ. नीलम गोयल ने बताया कि, एक प्रजातांत्रिक बहु राजनैतिक पार्टी वाले देश या राज्य में किसी भी योजना का सफलतम क्रियान्वयन क्षेत्रीय जनता के नैतिक समर्थन के बिना असंभव होता है। इस समय जनता जिज्ञासु तो है और कर्मशील भी, लेकिन अज्ञानतावश अपने ही चहुँमुखी विकास की इन योजनाओं का मरने-मारने की हद तक विरोध भी करती रही है। जिसके कारण ये योजनाएं हाशिये पर चली जाती रही है।
राज्य के जिज्ञासु व रोजगार की आस लिए वयस्कों को परमाणु सहेली ने सम्बोधित करते हुए कहा कि, आप सभी को इस बात के लिए जागरूक होना ही होगा कि वास्तविक विकास की ये योजनाएं बहुत ही गहराई व अच्छे से तथा प्रत्येक प्रकार के नफे-नुक्सान को ध्यान में रखते हुए बनाई गयी है हैं। इनके सफल क्रियान्वयन से ही रोजगार उपलब्ध होंगे।
परमाणु सहेली ने बाँसवाड़ा 2800 मेगावाट की अणु विद्द्युत परियोजना का हवाला देते हुए बताया कि, वर्ष 2003 में ही निश्चित हो चुकी इस योजना के रास्ते में मरने-मारने के विरोध नहीं होते तो वर्ष 2008 में ही ये योजना राजस्थान राज्य में समुचित बिजली के उत्पादन का केंद्र बनती। वर्ष 2015 से परमाणु सहेली ने अपने रणनीतिबद्ध ग्रास रुट स्तर के कार्यक्रमों द्वारा क्षेत्रीय जनता में इस योजना के प्रति सकारात्मकता का वातावरण कायम किया। सम्बंधित केंद्रीय सरकार को पत्र भी लिखा, जिसके चलते वहाँ के क्षेत्रीय भूमालिकों को 450 करोड़ रूपये मुआवजा राशि प्रदान की गयी।
परमाणु सहेली ने बताया कि गाय बचाओ, बेटी बचाओ इनसे हमारे सामाजिक संस्कारों का उत्थान होता है यह सही है, लेकिन रोटी, कपड़ा, मकान, जल व बिजली की उपलबधता के लिए तो राष्ट्रीय मुख्य योजनाओं का क्रियान्वयन होना अति आवश्यक है।
राजस्थान में ग्रामीण वयस्क जनता का जागरूक होना और समुचित जल-प्रवाह व समग्र बिजली उत्पादन की योजनाओं का क्रियान्वयन होना अति आवश्यक है। इसमें देरी से अब राजस्थान राज्य दिनों-दिन रेगिस्तान की तरफ बढ़ता जा रहा है। आने वाले 15 से 20 वर्ष और यदि ऐसे ही चलता रहा तो, राजस्थान का 80 प्रतिशत भू भाग रेगिस्तान बन चुका होगा। जागरूक जनता और सुदृढ़ शासन ही राजस्थान व समूचे देश को सच्चे, वास्तविक व सतत विकास की राह में ले जा सकते हैं।
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