ओज़ोन दिवस :जंगलों, पहाड़ों, नदियों, तालाबों के संरंक्षण से बचेगी ओज़ोन परत
विश्व ओजोन दिवस पर रविवार को इस वर्ष की थीम " कीप कूल - केरी ऑन " पर आयोजित संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि ओजोन परत को बचाने के लिए जंगलों, पहाड़ों, नदियों, तालाबों जैसे हरे व नीले प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाना होगा।
विश्व ओजोन दिवस पर रविवार को इस वर्ष की थीम ” कीप कूल – केरी ऑन ” पर आयोजित संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि ओजोन परत को बचाने के लिए जंगलों, पहाड़ों, नदियों, तालाबों जैसे हरे व नीले प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाना होगा।
मेहता ने कहा कि हरे व नीले क्षेत्रों के बचने से गर्मी में कमी होकर तापक्रम अनुकूल बनेगा तथा रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर इत्यादि पर निर्भरता कम होकर ओजोन परत को कम नुकसान पंहुचेगा। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण समिति के तत्वावधान में किया गया।
संवाद में “अन्न बचाओ – ओज़ोन परत बचाओ ” का संदेश देते हुए तेजशंकर पालीवाल ने कहा कि अधिक अनाज उत्पादन की होड़ में अत्यधिक फर्टिलाइजर व केमिकल का उत्पादन व प्रयोग हो रहा है। इससे ओज़ोन परत को नुकसान पंहुच रहा है।
नंद किशोर शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी के संदेश के अनुरूप प्रकृति मूलक जीवन ,स्थानीय उत्पादन एवं दैनिक जीवन मे अवांछित आवश्यकताओं को नियंत्रित कर ओजोन परत को बचाया जा सकता है। पल्लब दत्ता व द्रुपद सिंह ने कहा कि ओजोन परत क्षय से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रबंधन व मिटिगेशन के लिए जंगलों व झीलों को बचाना जरूरी है।
इस अवसर पर ‘स्वच्छता ही सेवा ‘ मुहिम में भागीदारी करते हुए पीछोला के जाट वाड़ी घाट से कचरे व गंदगी को हटाया गया। श्रमदान में रामलाल गहलोत, कुशल रावल, रमेश चंद्र राजपूत, द्रुपद सिंह, पल्लब दत्ता, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, अनिल मेहता ने भाग लिया।
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