गीत, संगीत और अभिनय से स्टेज पर जीवन्त हुए पंचम दा

गीत, संगीत और अभिनय से स्टेज पर जीवन्त हुए पंचम दा

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘‘ऋतु वसंत’’ के के आखिरी दिन रविवार की शाम बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार राहुल देव बर्मन (पंचम दा) को एक अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में गायन, अभिनय और दृश्य बिम्ब के जरिये पंचम दा को जीवन्त बनाया गया।

 

गीत, संगीत और अभिनय से स्टेज पर जीवन्त हुए पंचम दा

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय ‘‘ऋतु वसंत’’ के के आखिरी दिन रविवार की शाम बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार राहुल देव बर्मन (पंचम दा) को एक अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में गायन, अभिनय और दृश्य बिम्ब के जरिये पंचम दा को जीवन्त बनाया गया।

शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर पुणे की संस्था नीश एन्टरटेनमेन्ट्स के कलाकारों ने बाॅलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार और पंचम के नाम से विख्यात राहुल देव बर्मन पर विशेष प्रस्तुति दी जिसमें कलाकारों ने गायन, वादन, अभिनय के माध्यम से पंचम दा को सुरांजलि दी।

गीत, संगीत और अभिनय से स्टेज पर जीवन्त हुए पंचम दा

नीश के कलाकारों ने इस अवसर पर राहुल देव बर्मन के कृतित्व को बखूबी दर्शाया जिसमें एक अभिनेता, एक संगीतकार, एक गायक एक कम्पोज़र और म्यूज़िक अरेन्जर राहुल देंव बर्मन को बखूबी जीवन्त बनाया।

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प्रस्तुति में पंचम के बचपन से ले कर उनके अवसान तक के प्रसंगों को रोचक ढंग से दर्शाया गया। प्रस्तुति में पंचम दा को एक ऐसा संगीतकार दर्शाया गया जिसने हिन्दुस्तानी क्लासिकल और पश्चिमी संगीत के अनूठी ब्लैंडिंग के साथ लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। प्रस्तुति की शुरूआत ‘‘अपना देश’’ के गीत ‘‘दुनिया में लोगो को धोखा कभी हो जाता है..’’ से हुई इसके बाद एक-एक करके पंचम के संगीत का जादू प्रस्तुति में परवान चढ़ने लगा।

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प्रस्तुति में तीसरी मंज़िल, शोले, मासूम, आंधी, शान जैसी पिक्चरों के गीतों के साथ बांग्ला में गाये गानों का अनूठा मिश्रण किया गया। वहीं प्रस्तुति में गीत ‘‘जागो सोने वालों सुनो मेरी कहानी..’ गीत को आकर्षक ढंग से पेश किया गया।

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नीश के कलाकारों ने प्रस्तुति में पंचम के जीवन के उस दौर का ज़िक्र भी किया जब पंचम इंडस्ट्री में विलमत से हो गये थे व उनके पास कम काम था। ऐसे में 1942 लव स्टोरी से उन्होंने ध्माकेदार वापसी की किन्तु इस कामयाबी को देखने से पहले पंचम इस दुनिया से अलविदा हो गये।

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कुणाल फड़के द्वारा परिकल्पित इस प्रस्तुति में मिलिन्द ओक के साथ-साथ गायन में जितेन्द्र अभंयकर, सवारदा गोडबोले, चैतन्य कुलकर्णी, रसिका ने अपने सुरीले अंदाज से और गायकी से पंचम के गीतों को प्रस्तुत किया वहीं नर्तक कुणाल फड़के, रूतुजा इंगले, अभिषेक हवारगी ने अपने नर्तन से बाॅलीवुड में फिल्माये गये गीतों को शिल्पग्राम के मंच पर जीवंत बनाया।

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इससे पूर्व कारगिल युद्ध के वीर चक्र कर्नल दीपक रामलाल, एडिीशनल एस.पी. स्वाति शर्मा तथा प्रावदायी भविष्य निधी के कमिश्नर धनवंत सिंह तथा केंद्र के निदेशक प्रभारी सुधांशु सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

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