बच्चों के भविष्य के लिए अभिभावक एवं अध्यापक को मिलकर कार्य करने की ज़रूरत

बच्चों के भविष्य के लिए अभिभावक एवं अध्यापक को मिलकर कार्य करने की ज़रूरत

हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने शुक्रवार को महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के 50 से अधिक अध्यापकों को मोटिवेशनल कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए बताया कि बच्चों के भविष्य के लिए अभिभावक एवं अध्यापक को मिलकर कार्य करना चाहिए। हर स्कूलों में टीचर्स एवं अभिभावकों की एक एडवाईजरी बोर्ड होना चाहिए। अभिभावक एवं अध्यापक के विचार-विमर्श से बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। अध्यापक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को आधुनिक टेक्नोलाॅजी के बारे में भी अपडेट करते रहना चाहिए।

 

बच्चों के भविष्य के लिए अभिभावक एवं अध्यापक को मिलकर कार्य करने की ज़रूरत हिन्दुस्तान जिंक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेशन पवन कौशिक ने शुक्रवार को महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के 50 से अधिक अध्यापकों को मोटिवेशनल कार्यशाला में सम्बोधित करते हुए बताया कि बच्चों के भविष्य के लिए अभिभावक एवं अध्यापक को मिलकर कार्य करना चाहिए। हर स्कूलों में टीचर्स एवं अभिभावकों की एक एडवाईजरी बोर्ड होना चाहिए। अभिभावक एवं अध्यापक के विचार-विमर्श से बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। अध्यापक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को आधुनिक टेक्नोलाॅजी के बारे में भी अपडेट करते रहना चाहिए।

पवन कौशिक ने कार्यशाला में एक प्रजेन्टेशन के माध्यम से गुरूक्षे़त्र एवं गुरूकुल के शिक्षकों, शिक्षा एवं शिष्यों के सम्बन्धों एवं जुड़ाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

कौशिक ने बताया कि हर माता-पिता की बच्चों के प्रति कुछ अपेक्षाएं होती है जो स्कूल में दाखिले के साथ ही पूरी होने लगती है। जैसे-जैसे बच्चा स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा होता हैं वैसे – वैसे माता-पिता को उसके भविष्य की चिंता होने लगती है। स्कूल में माता-पिता, टीचर्स और स्टूटेन्डस को किसी भी बच्चों के भविष्य को बनाने में सांझा योगदान होता है। किसी एक भी कमी से बच्चे का भविष्य नहीं सुधर पाता।

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उन्होने अपने अनुभव की रूपरेखा से ना सिर्फ एक स्पीकर की भांति बल्कि एक पिता होने के नाते भी स्कूल में कार्पोरेट स्ट्रक्चर प्रणाली अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक कार्पोरेट में विभिन्न विभाग अपनी कार्यदक्षता में निपुणता दिखाते है उसी प्रकार स्कूलों में भी विभिन्न विषयों में निपुणता आनी चाहिए। इस निपुणता का आकंलन भी करना आसान हो जाएगा और स्कूलों को अनेक नये विषयों को सम्मिलित करने का मौका भी मिलेगा।

कौशिक ने अन्य विषय जैसे स्कूलों में स्टूडेन्टस की दिनचर्या, स्कूल टीचर्स का बच्चों के प्रति व्यवहार, टीचर्स के प्रति पेरेन्टस के विचार, स्कूल की रेप्यूटेशन, स्टूडेन्टस का टीचर्स के प्रति विश्वास, स्कूल से बच्चों को अपेक्षाएं, बच्चों से टीचर्स एवं स्कूल को अपेक्षाएं, अनुशासन, स्टूडेन्टस का प्रोफेशनल एवं कैरियर के प्रति रूचि, गलती एवं अपराध के लिए दण्ड, इमोशनल जुड़ाव, टीचर्स के साथ पेरेन्टस की मीटिंग, स्टूडेन्टस में लीडरशिप, पर्सनल डवलपमेंट, पेरेन्टस एवं अध्यापकों के प्रयासों से सोशल ग्रूमिंग, टीचर्स के लिए आॅरियन्टेशन कार्यक्रम, टीचर्स के साथ-साथ माता-पिता की भी शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी, टीचर्स के साथ काउन्सलिंग, स्कूलों में एडवायजरी बोर्ड का गठन, गरीब बच्चों की सहायता, टाइम लाइन एजेन्डा तथा टीचर्स के लिए होम वर्क पर विस्तार से जानकारी दी।

एमएमपीस के प्रींसिपल श्री संजय दत्ता एवं अध्यापकों ने कार्यक्रम की सराहना की एवं उपयोग बताया। एमएमपीएस के अध्यापको ने कहा कि स्कूल में बच्चों एवं अध्यापकों को आधुनिक टेक्नोलाॅजी से अपडेट रहने के लिए इस तरह की कार्यशालाएं होती रहनी चाहिए।

अध्यापकों ने प्रश्न-उत्तर सेशन में पूछे कि बच्चों के इंटेलीजेंट होते हुए भी व्यवहार में बदलावा कैसे लाया जाए। श्री पवन कौशिक ने बताया कि बच्चों में बदलाव उम्र के साथ-साथ मोटिवेट करने से आता है। बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए बल्कि उनकी हाॅबी के अनुसार कार्य पर जोर देना चाहिए। सभी टीचर्स बच्चों के प्रति समर्पित होते हैं लेकिन अभिभावकों का सहयोग मिलने से और अधिक श्रेष्ठ परिणाम मिल सकते हैं। अभिभावकों को बच्चों के द्वारा अध्यापकों के बारे में शिकायतों के बारे में टीचर्स के साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए तथा बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

शिक्षकों ने विद्यार्थियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी पर जोर दिया तथा यह भी कहा कि अभिभावकों को भी सहभागीदार होना चाहिए एवं बच्चों को स्कूल समाप्त होने के पश्चात् व्यवहारिक बोध कराना चाहिए। अभिभावकों, शिक्षकों को शिक्षा प्रणाली को समझना होगा तथा समन्वय विकास के लिए कंधा से कंधा मिलाकर कार्य करना होगा।

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