पंतजलि, डाबर, झंडू सहित 10 ब्रांड के शहद में मिलावट, आप भी उपयोग से पहले रखें ध्यान

पंतजलि, डाबर, झंडू सहित 10 ब्रांड के शहद में मिलावट, आप भी उपयोग से पहले रखें ध्यान

भारत के 13 छोटे-बड़े ब्रैडस में केवल 3 पास - पतंजलि आई बचाव की मुद्रा में, डाबर ने की निंदा

 
पंतजलि, डाबर, झंडू सहित 10 ब्रांड के शहद में मिलावट, आप भी उपयोग से पहले रखें ध्यान

सफोला, मार्कफेड-सोहना और नेचर्स नेक्टर के शहद शुद्ध पाए गए...

सर्दियों में शहद का सेवन सेहत लिए बेहद खास होता है। वजन कम करने के साथ शहद आपके शरीर को डिटॉक्स करता है। यदि आप भी पंताजलि और डाबर का शहद काम में लेते है तो ध्यान रखे। जर्मनी की एक लैब में हुए टेस्ट के नतीजे में भारत में बिक रहे 13 छोटे-बड़े ब्रैंडस के शहद का इस लैब में सैपल भेजा गया, और टेस्ट कराया गया।

इन ब्रैड्स में डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू प्योर, एपिस हिमालयन और सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, आदि का टेस्ट कराया गया। नतीजा देखा गया तो पता चला कि  सिर्फ तीन ब्रैंड्स के शहद शुद्ध पाए गए - सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर

जर्मनी में भेजे गए इन 13 में से 10 ब्रैड्स के सैंपल फैल हो गए। फैल होने के साथ मिलावटी भी पाए गए। हैरानी की बात तो यह है कि जब इन सभी सैंपल को भारत में टेस्ट किया तो सभी पास हो गए लेकिन जब इन्हें विदेश में टेस्ट करवाया गया तो ज़्यादातर फैल हो गए।

“Rampant adulteration in honey sold by top brands in India has been revealed in investigations with laboratory studies in India and Germany,” said CSE.

भारत के सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके बताया कि साथ ही ये बात भी निकली है कि शहद तैयार करने में जिन शुगर सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो चीन से आ रहे हैं

कंपनियों ने दी सफाई:

डाबर: इन रिपोर्ट्स का उद्देश्य है हमारी छवि खराब करना। हम अपने ग्राहकों को यकीन दिलाना चाहते हैं कि डाबर का शहद 100 फीसदी शुद्ध है। हम चीन से कोई शुगर सिरप नहीं मंगाते। हमारी शुगर का स्रोत भारतीय मधुमक्खी पालक ही हैं। शहद बनाने के FSSAI के 22 पैरामीटर्स पर डाबर खरा उतरता है। हमारे शहद में एंटीबॉयोटिक भी है। हमारी तो खुद की लैब में NMR टेस्टिंग की सुविधा है। हमारा शहद शुद्ध है।

पंतजलि: ये भारतीय ब्रैंड्स की छवि को खराब करने की साजिश है। साथ ही जर्मन टेक्नॉलजी और वहां की मशीनों को प्रमोट करने का एक तरीका है। जिनका इस्तेमाल करने पर करोड़ों रुपए खर्च बढ़ेगा। वहीं फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के CEO का कहना है कि NMR टेक्नॉलजी से टेस्ट कराना तो काफी महंगा पड़ता है। लेकिन अथॉरिटी की कोशिश होगी कि तरीकों में सुधार करके ये एनश्योर किया जाए कि सिर्फ शुद्ध शहद ही मार्केट में पहुंचे।

क्या है NMR टेस्ट:

Nuclear Magnetic Resonance Spectroscopy (NMR) टेस्ट की ज़रूरत FSSAI की तरफ से भारत में प्रोडक्ट्स बेचने के लिए आवश्यक नहीं है। शहद या किसी और अन्य खाद्य पदार्थ का निर्यात करते वक़्त इस टेस्ट इस आवश्यकता है।

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