नगर अनुकूल वृक्षो, पौधों व झाड़ियों का हो रोपण

नगर अनुकूल वृक्षो, पौधों व झाड़ियों का हो रोपण

रविवार को "नगर अनुकूल वृक्ष" विषयक संवाद हुआ आयोजित 
 
नगर अनुकूल वृक्षो, पौधों व झाड़ियों का हो रोपण
संवाद से पूर्व पिछोला झील के अमरकुण्ड पर आयोजित श्रमदान

उदयपुर शहर व मास्टर प्लान में वर्णित समीपवर्ती नगरीय-उपनगरीय क्षेत्र को हरा भरा बनाने के लिए स्थानीय जलवायु, मौसम, मिट्टी, देशी,  प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों के अनुकूल वृक्षो, पौधों व झाड़ियों का रोपण करना चाहिए। यह विचार रविवार को "नगर अनुकूल वृक्ष" विषयक संवाद में रखे गए। संवाद का आयोजन इंडिया वाटर पार्टनरशिप के साझे में झील संरक्षण समिति, झील मित्र संस्थान व गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा किया गया।

संवाद की अध्यक्षता करते हुए राज्य के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वेंकटेश शर्मा ने कहा कि शहरी क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से वनस्पति के उगने की जगह ही नही बची है। नगरीय उपनगरीय क्षेत्र को रहने योग्य बनाने में पार्क और सड़कों के किनारे व बीच में लगे वृक्ष और वनस्पति का बड़ा योगदान है।  

शहर की घनी आबादी के सेहतमंद और सुखी जीवन यापन में सहयोग सहित ये पेड़ पौधे पक्षियों, छोटे जानवरों के लिए आश्रय स्थल हैं और इनके कारण क्षेत्र में जीवन बना रहता है। स्थानीय प्रजाति के पेड़ जल एवं वायु से विषाक्त पदार्थ सोख कर वायु एवं जल को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। शर्मा ने कहा कि स्थानीय वृक्ष प्रजाति जैसे नीम, कचनार, पीपल, बरगद, अमलतास, अर्डू, पारिजात, हवन, सेमल, आंवला, बेलपत्र आदि अनेक प्रकार की औषधियां भी उपलब्ध कराते हैं। इस कोरोना काल में स्थानीय रूप से बहुतायत में उपलब्ध गिलोय आदि के लाभ सभी को प्राप्त हुए हैं । 

इसी क्रम में पूर्व वन संरक्षक ओ पी शर्मा ने कहा कि शीशम, हरसिंगार, सहजन, मीठा नीम सहित स्थानीय फलदार वृक्षों को लगाने का सुझाव दिया। विद्या भवन पोलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने कहा कि आयड़ नदी सहित झीलों से प्रदूषण व अन्य हानिकारक विसर्जन को अवशोषित करने में कई प्रकार की स्थानीय वृक्ष, झाड़ी की प्रजातियां प्रभावी साबित हुई है। इन्हें पुनः स्थापित करने की जरूरत है।

झील संरक्षण समिति के सचिव डॉ तेज राज़दान ने कहा कि वृक्षों व पक्षियों से मिलकर बना पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्जीवित करने की जरूरत है। झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों के आस-पास मानवीय गतिविधियो से पक्षी दूर दराज गावों के छोटे तालाबो की और प्रवास कर रहे हैं । हमे फलदार दीर्घ आयू वाले वृक्षो को लगाना चाहिए ताकि पक्षियों के आवास एवं भोजन की व्यवस्था हो ।

गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि ग्रामीण व जनजातीय समुदाय से सीख कर नगर की हरितिमा में अभिवृद्धि करनी चाहिए। पर्यावरण चिंतक विक्रम सिंह राव ने कहा कि  शहर को *ग्रीन सिटी* बनाने के लिए सबसे पहले शहर के मास्टर प्लान को ग्रीन सिटी के सिद्धान्त के आधार पर बनाना होगा। शहर के मूलभूत करेक्टर, इतिहास व संस्कृति को भी वृक्ष प्रजाति के चयन का आधार बनाना होगा।

पर्यावरण विद पल्लब दत्ता व दानिश हाकिम ने आग्रह किया कि हर नागरिक उपयुक्त प्रजाति का वृक्ष लगाए व उसका परिवार के सदस्य की तरह पालन पोषण करे। संवाद से पूर्व पिछोला झील के अमरकुण्ड पर आयोजित श्रमदान में रमेश चंद्र राजपूत, रामलाल गहलोत,द्रुपद सिंह,तेज शंकर पालीवाल व नन्दकिशोर शर्मा ने झील क्षेत्र से घरेलू कचरा, नारियल, पॉलीथिन, पानी शराब की बोतले व जलीय घास झीलक्षेत्र से बाहर निकाली।
 

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