पॉकेटमार रंगमंडल ने बताई रंगकर्मियों कि दास्तान


पॉकेटमार रंगमंडल ने बताई रंगकर्मियों कि दास्तान

नाट्यांश नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संस्थान और क्षैत्रिय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें अजगर वजाहत द्वारा लिखित और रेखा सिसोदिया द्वारा निर्देशित नाटक पॉकेटमार रंगमंडल का मंचन किया गया।

 

पॉकेटमार रंगमंडल ने बताई रंगकर्मियों कि दास्तान

नाट्यांश नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संस्थान और क्षैत्रिय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय नाट्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें अजगर वजाहत द्वारा लिखित और रेखा सिसोदिया द्वारा निर्देशित नाटक पॉकेटमार रंगमंडल का मंचन किया गया।

नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि किस प्रकार से कला से जुडा हुआ इंसान बुराईयों और अपराध से दुर रहता है। नाटक की कहानी भगवान नाम के एक किरदार के आस पास की है, जो कि एक पॉकेटमार हैं। एक दिन किसी शिकार का पीछा करते हुए वह नाटक देखने चला जाता हैं। नाटक से प्रभावित हो वो आपराधिक दुनिया को छोड कर कलाकार बनना चाहता है।

कई वर्षों तक कला साधना करने और काबिलियत होने के बावजूद भी भगवान का अतीत उसे हर बार उसके सामने आ खडा होता है। कई नाट्य निर्देशक उसे अपने नाटक में मुख्य किरदार न देकर साइड रोल ही देते हैं। इससे दुखी भगवान अपना एक अलग नाट्य समूह बनाता है और ग्रुप का नाम “पॉकेटमार रंगमंडल” रख देता है। इस ग्रुप में भगवान छोटे-मोटे चोर-उच्चकों को बतौर कलाकार शामिल कर लेता है और सभी से चोरी छुड़वा कर रंगमंच के माध्यम से सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता हैं।

लेकिन भगवान का संर्घष यहाँ खत्म नही होता। नाटक करने के कई संसाधन जुटाने और थिएटर हॉल की बुकिंग जैसी परेशानियों से जूझना पडता है। आखिरकार इस सब से परेशान हो कर भगवान दोबारा चोरी करने जाता है और पकडा जाता है। परन्तु इंस्पेक्टर उसकी कहानी सुनने के बाद नाटक के सभी टिकट खरीदकर भगवान को सम्मानपुर्ण जीवन जीने में मदद करता है।

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इस नाटक में कलाकारों के रूप में मंच पर भगवान – अमित श्रीमाली, मुन्ना त्यागी – चक्षु सिंह रुपावत, वीरा – राघव गुर्जरगौड़, लालू – पियूष गुरुनानी, बबली – दिशा सक्सेना, आबदा बेगम – रेखा सिसोदिया, नसरीन – ईशा जैन, मैनेजर – महेश जोशी, इंस्पेक्टर धर्मपाल – अगत्स्य हार्दिक नागदा ने अहम भुमिका निभाई। साथ ही कई अलग-अलग किरदारों में हर्षुल पंड्या और अंशुल पालीवाल ने भी अपने अभिनय की छाप छोडी।

मंच पार्श्व में प्रकाश संयोजक व संचालन – अशफ़ाक नूर खान, प्रस्तुति प्रबंधक एवं संगीत संचालन – मोहम्मद रिज़वान मंसूरी, रूप सज्जा एवं वस्त्र विन्यास – योगिता सिसोदिया और सहायक – प्रणव दवे, सलोनी पटेल, निति शर्मा, जतिन सोलंकी, राहुल सोलंकी और फोटोग्राफी में संजय सोलंकी ने सहयोग किया। नाटक का लेखन वरिष्ठ नाट्य लेखक असग़र वजाहत ने किया और निर्देशन रेखा सिसोदिया का रहा।

कार्यक्रम के समापन पर क्षैत्रिय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के प्राचार्य मुकेश सैनी, DEN पी सी व्यास, SPO ए के जैन और ATM आर एस शेखावत ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किये। साथ ही संस्थान के प्राचार्य मुकेश सैनी ने कहा कि इस तरह के मंचन भविष्य में लगातार रूप से होते रहने चाहिए ताकि प्रशिक्षणार्थियों को शेक्षणिक प्रशिक्षण के साथ-साथ सांस्कृतिक एवं नाट्य कला कि जानकारी मिले और इससे जुड़े रहे।

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