पुलिस-अपराध शास्त्री की जोड़ी देगी अपराध से बेहतर सुरक्षा: राष्टीय स्तर शोध

पुलिस-अपराध शास्त्री की जोड़ी देगी अपराध से बेहतर सुरक्षा: राष्टीय स्तर शोध

ये पुलिसिंग में एक आधुनिक विकास है, जिसे एक अपराधशास्त्री शोध व क्राइम एनालिसिस के जरिये आईपीएस अफसर को बता सकता है| अगर अपराधशास्त्रियोंको डिस्ट्रिक्ट, स्टेट व नेशनल लेवल क्राइम डाटा दे दिया जाये तो  वे उसे एसपीएसएस और जी॰आई॰ए॰स सॉफ्टवेयर के द्वारा जांच करके काफी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है

 
पुलिस-अपराध शास्त्री की जोड़ी देगी अपराध से बेहतर सुरक्षा: राष्टीय स्तर शोध

उदयपुर में स्थित सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड पब्लिक पॉलिसी के निर्देशक एवं मुख्य शोधकर्ता आर. रोचिन चंद्रा ने एक चौंका देने वाली ‘पॉलिसी रिपोर्ट’ निकाली है जिससे मालूम हुआ है की जनता को अपराध से बेहतर सुरक्षा देने के लिए भारतीय पुलिस को ऐसी स्किल्स/ हुनरता अपनाने  की जरुरत है जो किसी अन्य पुलिस कर्मचारियों के पास नहीं है।

पुलिस को यह अद्वितीय कौशल ऐसे अपराध शास्त्री के जरिये मिल सकता है, जिसकी ‘रिसर्च मेथड्स’ और ‘क्राइम डेटा एनालिसिस’ पे मजबूत पकड़ हो। ये पॉलिसी रिपोर्ट रोचिन द्वारा की गयी एक राष्ट्रव्यापी अध्यन का हिस्सा है, जिसमे पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो से लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के निर्देशकों के अलावा भारत सरकार के कई उच्च रैंकिंग आईपीएस ऑफिसर्स शामिल है।

इस रिपोर्ट के द्वारा पता चला है की अपराध शास्त्रीयो को ‘विशेषज्ञ‘ के तौर पर भर्ती करने से भारतीय पुलिस, सीमित साधन (स्टाफ शार्टेज ) में भी बेहतर और प्रभावशाली पब्लिक सेफ्टी और सिक्योरिटी दे सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो, इस नीति गत बदलाव से आपराधिक घटनाये कम होगी और आम आदमी को अपराध से हो रहे शारीरिक, मानसिक एवं वित्तीय नुक्सान नहीं उठाने पढ़ेंगे।

इस तरह करेंगे अपराध शास्त्री पुलिस विभाग को मदद

रोचिन ने बताया की जिस तरह अपराध की प्रवृति तीव्रता से बदल रही है, उसी प्रकार हमारी पुलिस को भी सक्रिय (प्रोएक्टिव) रणनीतियां अपनान होगी जिससे अपराध को उसके  ने से पहले ही रोका जा सके। इसके लिए उच्च पुलिस कर्मियों को उनकी रेंज का क्राइम पैटर्न और क्राइम ट्रेंड समझना होगा, और अपनी वर्तमान रणनीतियों को रिव्यु करना होगा।

ये पुलिसिंग में एक आधुनिक विकास है,जिसे एक अपराध शास्त्री शोध व क्राइम एनालिसिस के जरिये आईपीएस अफसर को बता सकता है। अगर अपराध शास्त्रियों को डिस्ट्रिक्ट, स्टेट व नेशनल लेवल क्राइम डाटा दे दिया जाये तो वे उसे एसपीएसएस और  जी॰ आई॰ ए॰ स सॉफ्टवेयर के द्वारा जांच करके काफी महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है।

जैसे की, किस समय पे, किस जगह क्राइम ज़्यादा हो रहा है, विक्टिम और ऑफेंडर के बीच में क्या रिलेशन है, अपराधी किस अंदाज़ से शिकार कर रहा है, वो किस तरह की पापुलेशन ( महिला, बच्चिया, बुजुर्ग) को ज़्यादा टारगेट कर रहा है, और अपराधी की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति क्या है। इन वेरिएबल्स से पुलिस अपराध के मुख्य कारण समझ सकेगी और अपने साधन वहां तैनात कर पाएगी जहाँ अपराध होने की संभावना ज़्यादा है। इस तकनीक को एविडेंस बेस्ड हॉट स्पॉट पोलिसिंग कहते है।

इसके अलावा रिपोर्ट से ये पता चला है की अपराध शास्त्री पुलिस अकादमी में कृमिनोलॉजिकल एवं पोलिसिंग रिसर्च के जरिये पुलिस कर्मियों को  आधुनिक क्राइम हिस्ट्री एवं पब्लिक सिक्योरिटी  सम्बन्धित चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर सकते है। इससे  पुलिस  कर्मियों  के  कौशल  में  इज़ाफ़ा   होगा  और  अपराध  से  लड़ने  के  लिए  वे  समकालीन  बनेंगे।

पूरी रिपोर्ट यहाँ: पढ़ें: http://ccppindia.org/wp-content/uploadsआई /2018/04/rochin-ccpp-policy-provocation-april-2018.pdf

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