झीलों, नदियों में प्रदूषण से होगी कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बीमारियाँ - मेहता


झीलों, नदियों में प्रदूषण से होगी कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बीमारियाँ - मेहता
 

 
झीलों, नदियों में प्रदूषण से होगी कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बीमारियाँ - मेहता

उदयपुर 8 मार्च 2020। जीवनदायिनी मातृवत झीलों को अतिक्रमण, प्रदूषण मुक्त रखना जरूरी है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए। झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण समिति के साझे में आयोजित कार्यक्रम बोलते हुए डॉ अनिल मेहता ने झीलों, तालाबो, नदियों में प्रदूषण से कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक बीमारियां फैलने का अंदेशा जताया। 

मेहता ने कहा कि उदयपुर का सम्पूर्ण झील तंत्र प्रदूषण व  अतिक्रमण की आपदाओं से जूझ रहा है। व्यापारिक फायदों के लिए जयसमंद, उदयसागर के टापुओं को खुर्द बुर्द कर दिया गया है। वँहा नेताओं, अफसरों एवं  बड़े होटल व्यापारियों की मिलीभगत से टापुओं के पर्यावरण व पशु पक्षी, पेड़ पौधों को नष्ट कर होटलें बन रही है। 

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पीछोला, फतेहसागर सहित सभी झीलों की सीमाओं को घटा कर उनके पेटे पर होटलों, रिसोर्ट के अनियंत्रित निर्माणों की खुलेआम जालसाज़ी हुई है। पालीवाल ने कहा कि पेयजल को प्रदूषित कर देने व झील पर्यावरण को तहस करने के लिए पेट्रोल डीजल चालित मोटर बोट पर रोक नही है। आश्चर्य है कि पानी की सतह पर क्रूज रेस्टोरेंट बनाने के लिए मानवीयता व पर्यावरण संवेदनशीलता को ताक पर रख दिया गया है।

गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने याद दिलाया कि राजस्थान उच्च न्यायालय के वर्ष आदेशों के अनुसार झीलों के पेटे में किसी भी  प्रकार का निर्माण अवैध है। लेकिन, स्वरूप सागर में झील सतह पर कॉन्क्रीट स्लैब बिछाकर रेस्टोरेंट बनाने, होटलों को लाभ पंहुचाने के लिए पीछोला में सड़क बनाने की योजनाएं बना ली गई है। छोटे तालाबों में भराव भर कर कॉलोनियां बना दी गई है। 

द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि झीलों के आसपास पर्यटकों की कारों, वाहनों को एक सुव्यवस्थित ट्रैफिक प्रबंधन से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन पर्यटकों की भीड़ का बहाना लेकर झीलों के पेटे पर आघात किया जा रहा है। क्रुणाल कोष्ठी व बसंत स्वर्णकार ने कहा कि यह कैसा वक्त आ गया है जब नियमो, कानूनों को खुद सरकारी एजेंसिया तोड़ रही है। इंसान के स्वास्थ्य व भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

पूर्व मत्यसकी उपनिदेशक इस्माइल अली दुर्गा ने कहा कि झीलों में प्रदूषण का सीधा असर मछलियों पर होता है। झीलों में मूल प्रजाति की मछलियां व अन्य जलीय जीव समाप्त होते जा रहे है। इसके परिणाम खतरनाक होंगे। जसवंत सिंह टांक ने कहा कि उदयपुर के नागरिकों को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए सभी को मिलकर झीलों की चिंता करनी होगी।

इस अवसर पर श्रमदान कर पीछोला में प्रदूषण से मरी मछलियां, मृत इंसानों के कपड़े, झील में उग आई खरपतवार, प्लास्टिक पॉलीथिन, शराब को बोतलों को हटाया गया। श्रमदान में द्रुपद सिंह, रमेश चंद्र राजपूत, क्रुणाल कोष्ठी, जसवंत सिंह टांक, बसंत स्वर्णकार, इस्माइल अली दुर्गा, तेज शंकर पालीवाल, नंदकिशोर शर्मा, अनिल मेहता ने भाग लिया। 

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal