आदिवासी महिलाएं मुर्गी पालन कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढा़ रही हैं

आदिवासी महिलाएं मुर्गी पालन कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढा़ रही हैं

राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिलें की आदिवासी महिलाएं अब केवल मजदूरी तक सीमित नहीं रहीं है
 
murgi

संभाग के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिलें की आदिवासी महिलाएं अब केवल मजदूरी तक सीमित नहीं रहीं है। राजीविका के तहत ज़िले की 3 हज़ार महिलाए समूह से जुड़ी हुई हैं और मुर्गी पालन कर महिलाए एक साल में एक लाख से डेढ़ लाख तक की कमाई करती हैं। 

आदिवासी घरों में मुर्गी पालन उनकी संस्कृति का हिस्सा है। इसलिए इस क्षेत्र की महिलाएं मुर्ग़ी पालना और अंडा उत्पादन की बारीकियों से भली-भांति परिचित हैं, जिसका उन्हें व्यापक फायदा दिलाने के लिए अब राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद उनकी मददगार बानी है।

डूंगरपुर ज़िले में 12 हज़ार से अधिक स्वयं सहायता समूहों के जरिये 1 लाख 57 हज़ार आदिवासी महिलाए राजीविका से जुड़ी हुई हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा संचालित राजीविका के तहत महिलाओं को विभिन्न रोजगार से जोडकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है।

इसी के तहत राजीविका की 3 हज़ार महिलाओं ने मुर्गी पालन को अपने व्यवसाय से जोड़ा हैं। राजीविका के प्रबंधक असलम शाह ने बताया कि बाजार में एक मुर्गा 1200 से 1500 रुपये तो वहीं देशी अंडा 30 से 40 रुपये में बिकता हैं। ऐसे में ये महिलाये मुर्गी पालन कर सालाना एक से सवा लाख रुपये तक कमा लेती है।

प्रबंधक राजीविका असलम शाह ने बताया कि इधर महिला स्वयम सहायता समूह से जुड़ी महिला ने बताया की राजीवीका योजना में उन्हें मुर्गी पालन के लिए आवास बनाने के लिए 15 हज़ार मिले थे। वही मुर्गियाँ ख़रीदने के लिए 10 हज़ार रुपये मिले थे। राशि मिलने के बाद उन्होंने अलग अलग नस्ल की 200 मुर्गियाँ ख़रीदी। मुर्गियों का पालन कर उसे बेचने पर सवा लाख रुपये तक का मुनाफ़ा हुआ है | वही उन्होंने बताया कि कोरोना काल जब सब कुछ बंद था तब 12 हज़ार में मुर्ग़ी के अंडे बेचे।

महिला स्वयम सहायता समूह कि सदस्य हंसा ने बताया कि राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) डूंगरपुर जिले की आदिवासी महिलाओं को मुर्ग़ी पालन के अलावा बकरी पालन करने ओर लोन दिलाकर विभिन्न प्रकार के व्यवसाय करने में मदद करके आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने का काम कर रही है।

अब ये आदिवासी महिलाए ख़ुद ही अपने परिवार का ख़र्च उठाती हैं और अपने बच्चों कि स्कूल की फ़ीस भी ख़ुद भरती हैं।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal