केंद्र और राज्य सरकार ने जनता से अच्छे दिनों के किए वादे लेकिन सत्ता मिलते ही भूले - वाम दल


केंद्र और राज्य सरकार ने जनता से अच्छे दिनों के किए वादे लेकिन सत्ता मिलते ही भूले - वाम दल

कांग्रेस और भाजपा नीतियों के धरातल पर एक जैसी ही हैं और सत्ता दोनों के बीच रखकर राजनीति करने का कोई अंदरखाने समझौता

 
left parties

केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही जनता को कौन बड़ा हिंदू हितैषी जैसी जुमले बाजी में उलझाए रखना चाहते हैं

आज उदयपुर स्थित लैक सिटी प्रेस क्लब पर राजस्थान लोकतान्त्रिक मोर्चा के घटक दलों द्वारा सामाजिक न्याय अभियान के तहत प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता को जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) के राज्य अध्यक्ष अर्जुन देथा, भाकपा (माले) के राज्य कमिटी सदस्य कॉमरेड शंकरलाल चौधरी, भाकपा के वरिष्ठ नेता कॉमरेड बी.एल. छानवाल और माकपा के वरिष्ठ नेता अधिवक्ता के.आर.सिद्दीकी ने संबोधित किया।  

केंद्र और राज्य सरकार मंहगाई कम करने के बजाय सत्ता गिराने और सत्ता बचाने के गोरख धंधे में व्यस्त

इस मोके पर बोलते हुए जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) के राज्य अध्यक्ष अर्जुन देथा ने कहा जैसा की यह लगभग सर्वज्ञात है कि  केंद्र की भाजपा सरकार और राज्य की कांग्रेस सरकार जनता से बड़े-बड़े वायदे करके सत्ता में आयी थीं परन्तु दोनों ही जनहित के मुद्दों पर सकारात्मक ठोस काम करने के बजाय सत्ता गिराने और सत्ता बचाने के गोरख धंधे में व्यस्त हैं और उल्टे जनविरोधी काम कर रही हैं। केंद्र की भाजपा सरकार ने बिना किसानों से सलाह मशविरे के कृषि को बर्बाद करने वाले और कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए तीन कृषि कानून बनाये जो किसानों के जबरदस्त विरोध और एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के चलते वापस लेने पड़े।

रोजी रोटी अच्छे दिनों विभिन्न वादे  जो कांग्रेस और भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्रों में किये लेकिन सत्ता संभालने के बाद दोनों ही पार्टियों ने भुला दिए

भाकपा (माले) के शंकरलाल चौधरी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा दोनों सरकारों ने मिलकर कोरोना काल जैसे राष्ट्रीय आपदा के दौर में पेट्रोल ,डीजल, रसोई गैस बिजली जैसी जरुरी सामानों और सेवाओ में जनता को राहत देने की बजाय बेतहाशा टैक्स और मंहगाई बढ़ा कर जनता की दिनों दिन कठिनाइयों बढ़ा दी। आज बेरोजगारी चरम पर है और काम धंधे से  आमजन खासकर मजदूरकिसानदस्तकार ,छोटे व्यापारी और थडी ठेले वाले बर्बाद हो रहे हैं। शिक्षा और चिकित्सा में व्यावसायिक लूट ने कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ किया है। बंद स्कूल कालेजों की फीस वसूली की जा रही है जो पूरी तरह सरकारी संरक्षण में हो रही है।

रोजी रोटी अच्छे दिनों और जनहित के विभिन्न वादे  जो कांग्रेस और भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्रों में किये थे सत्ता संभालने के बाद दोनों ही पार्टियों ने भुला दिए हैं  और जनता के साथ खुली ठगी और घोर अन्याय हुआ है।दोनों ही जनता को कौन बड़ा हिंदू हितैषी जैसी जुमले बाजी में उलझाए रखना चाहते हैं।

केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही जनता को कौन बड़ा हिंदू हितैषी जैसी जुमले बाजी में उलझाए रखना चाहते हैं

भाकपा के बी.एल. छानवाल ने कहा हमारे देश में समाज के सभी तबकों के मध्य  संसाधनों और अवसरों के न्यायपूर्ण वितरण के सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दे को लगातार पृष्ठभूमि में धकेला जा रहा है। जहाँ निजीकरण के माध्यम से लगातार रोजगार के साथ सामाजिक न्याय और आरक्षण पर हमला हो रहा है वही भाजपा-कांग्रेस सामाजिक न्याय के लिए जरूरी 2011 में करवायी गयी जाति आधारित सामाजिक आर्थिक जनगणना के आकड़ो को सार्वजनिक करने के मुद्दे पर मौन है। 

ऐसा लगता है कांग्रेस और भाजपा नीतियों के धरातल पर एक जैसी ही हैं और सत्ता दोनों के बीच रखकर राजनीति करने का कोई अंदरखाने समझौता हो। ऐसे में  आम जनदलित-आदिवासी-पिछडे तबक़ोंमजदूर- किसानछोटे व्यापारी और काम धंधे वालों की आवाज उठाने के लिए वामसमाजवादी धारा बचे हुए जन हितैषी मीडिया और नागरिक संगठनों को आगे आकर कांग्रेस-भाजपा की सरकारों को कठघरे में खड़े करते हुए इन तबकों की और से दावेदारी पेश करनी होगी।

माकपा के के.आर.सिद्दीकी ने बताया इस संबंध में  राजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चेजिसमें जनता दल (सेक्युलर)माकपा, भाकपाभाकपा-माले समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल शामिल  हैंने 12 अक्टूबर को जयपुर में इन मुद्दों पर राजस्थान मेंसामाजिक न्याय अभियानशुरू कर जनता के बीच जाने का निर्णय लिया है। आज की यह प्रेस वार्ता इसी संदर्भ में है।

 

राजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चा इस अभियान में निम्न मांगों को प्रमुख तौर उठायेगा:-

  1-वर्ष 2011 में करवायी गयी सामाजिक आर्थिक जनगणना के आंकड़े तुरंत सार्वजनिक करो और जाति आधारित जनगणना कराओ। हमे राजस्थान सरकार से माग करते है कि राज्य विधानसभा में जाति आधारित जनगणना हेतु प्रस्ताव पास के बिहार के तर्ज पर केंद्र सरकार को भेजे।

2-किसानों पर कर्जे सरकारों की गलत कृषि नीतियों के चलते चढ़े हैं इसलिए किसानों के समस्त कर्जे माफ करो। राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही किसानों के समस्त कर्जे माफ करना विधानसभा चुनावों के अपने घोषणा पत्रों में शामिल किए थे, अब कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को सत्ता संभाले तीन साल हो गये, वादा अधूरा है इसलिए अगले विधानसभा सत्र से पूर्व इस पर अब अमल करें।

3- केंद्र सरकार समस्त कृषि उत्पादों का समर्थन मूल्य तय करें और किसान के समस्त बेशी कृषी उपज की समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी कानून बनाकर करें।

4-सरकारों ने खेती, जल जंगल जमीन कार्पोरेट कम्पनियों को सोपे जाने की अनौपचारिक नीति  अख्तियार की हुई है। जनता से अपील करते हैं इसके खिलाफ 'खेती बचाओ,जल जंगल जमीन बचाओआंदोलन खड़ा करे।

5- सरकारों ने कार्पोरेट पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए ताबड़तोड़ निजीकरण की नीति अख्तियार की है जो एक तरह से मध्यम वर्ग और गरीब जनता के रोजगार  खाने और जनता की गाढ़ी कमाई से निर्मित सार्वजनिक संपतियों को कार्पोरेट घरानों को लुटाने का कार्य हैइसलिए निजीकरण तुरंत बंद किया जाए और सार्वजनिक उपक्रमों में खाली जगहों को भरकर नौजवानों को रोजगार दिया जाये।

6- मजदूरों की अबाकेध लूट को आसान बनाने के मकसद से समाप्त किए गये चवालीस श्रम कानूनों की पुनर्बहाली करो और चारों श्रम संहिताओं को रद्द करो।

7-- सरकारी विभागों में ठेकेदारी प्रथा बंद करें और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और केंद्र सरकार प्रायोजित प्रोजेक्ट्स में राज्य में नियोजित ठेके पर चल रहे दो लाख से अधिक ठेके कर्मचारियों को नियमित करो।

8- चुनाव घोषणा के अनुसार राज्य के तमाम बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दो।

9- संविधान सम्मत आरक्षण को कड़ाई से लागू करो। अनुसूचित जातियोंअनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों उनके जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण संविधान संशोधन कर सुनिश्चित करो।

10- सरकारी भर्तियों में फार्म फीस और परीक्षा फीस समाप्त करो। बेरोजगारों से किसी भी तरह की फीस वसूलना उनका शोषण है‌।

11- भर्तियों के लिए परिक्षा निर्विवादसमयबद्ध और फूल प्रूफ व्यवस्था निर्मित करो।

12- जनजाति क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों को कड़ाई और इमानदारी से लागू करो।

 13- दलितोंमहिलाओं और तमाम कमजोर तबकों पर हमले करने बंद करो। ऐसे प्रत्येक मामले में त्वरित कार्रवाई करें और जरूरी है तो विशेष न्यायालयों का गठन कर न्याय सुनिश्चित करें।

14-समस्त कोरोना मृतकों के परिजनों को अविलंब पर्याप्त मुआवजा दो।

15- कोरोना काल में बंद स्कूलों ने अभिभावकों से 85 पर्सेंट फीस वसूली है, जबकि कर्मचारियों को या तो वेतन दिया नहीं या फिर नाममात्र का दिया है‌! जिस अनुपात में फीस वसूल की गयी है उनसे कर्मचारियों को कम से कम उस अनुपात में वेतन दिलवाया जाना सुनिश्चित करें।

 

 राजस्थान लोकतांत्रिक मोर्चा इन मुद्दों को लेकर विभिन्न जिलों में जनता के बीच जायेगा  और जनता को इन मांगों के आधार पर राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ एक व्यापक जनांदोलन खड़ा करेगा। मोर्चा विधानसभा सत्र के दौरान जयपुर में इन मांगों को लेकर धरना देकर प्रदर्शन भी करेगा। मोर्चे को आशा है कि मीडिया व्यापक  जनहित में इन मांगों को पर्याप्त स्थान देकर अपनी भूमिका निभाएगा ।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal