पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए स्वच्छ जल, स्वच्छ हवा जैसी मूलभूत चीजों की परम आवश्यकता हैं, परन्तु बढती हुई जनसंख्या के कारण कही न कही मूलभूत सुविधाओं में कमी आयी हैं। अगर हम जल की बात करे तो मनुष्य जल का प्रयोग अथाह रूप से कर रहा हैं। जिससे भविष्य में जल संकट की गम्भीर समस्या होने वाली हैं। भविष्य में जल संकट से बचने के लिए इसका महज एक उपाय जल संरक्षण हैं। इसी को जन जन तक पहुंचाने के लिए गीतांजली इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज के विद्यार्थियों द्वारा रैली निकालकर जंल सरंक्षण का संदेश दिया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ. एन.एस. राठौड ने बताया कि जल संरक्षण की जिम्मेदारी किसी एक समाज की नहीं हैं अपितु इस सृष्टि में रह रहे हर व्यक्ति की जिम्मेदारी हैं। क्योंकि जल है तो कल हैं। धरती पर जीवन का सबसे जरूरी स्त्रोत जल हैं। हम सभी को इसको बिना प्रदुषित किये भविष्य की पीढी के लिए बचाने की जरूरत हैं।
जल एक प्राकृतिक अमूल्य सम्पति हैं। जल का व्यर्थ उपयोग हमारे जीवन को संकट में डाल सकता हैं, क्योंकि पृथ्वी पर 01 प्रतिशत जल ही हमारे लिए उपयोगी हैं। जनसंख्या और औद्योगिकीकरण दुनिया के सभी देशों के सामने जल संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
विद्यार्थियों द्वारा निकाली गई रैली का मुख्य उद्देश्य जल का व्यर्थ उपयोग तथा इसको दूषित होने के बचाने के साथ-साथ लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करना हैं। गीतांजली परिवार प्राकृतिक सम्पतियों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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