रुण्डेड़ा में रंग तेरस का ऐतिहासिक उत्सव: 458 वर्षों की परंपरा का भव्य नजारा
रुण्डेड़ा की रंग तेरस: शौर्य, परंपरा और उल्लास का अद्भुत संगम
रुण्डेड़ा, 27 मार्च 2025: एक ऐसा गांव जहां इतिहास केवल किताबों में नहीं, बल्कि जन-जन के रोम-रोम में जीवित है। यहां की मिट्टी में पराक्रम की गूंज है, हवाओं में शौर्य की महक है और धड़कनों में परंपरा की लय है। रंग तेरस, जिसे इस गांव के लोग केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि शूरवीरों की परंपरा का जीवंत उत्सव मानते हैं, इस बार भी उसी शान, गरिमा और गौरव के साथ मनाया गया, जिसने राजस्थान की वीरभूमि को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
जी हां, हम बात कर रहे हैं उदयपुर जिले से 45 किलोमीटर दूर स्थित रुण्डेड़ा गांव की, जो वल्लभनगर उपखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक रूप से गौरवशाली गांव है।
रुण्डेड़ा गांव का ऐतिहासिक पर्व रंग तेरस राजस्थान प्रसिद्ध है, बुधवार को रंग तेरस पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। रुण्डेड़ा में रंग तेरस पर गैर नृत्य, घूमर, पट्या, तलवार बाजी, आग के गोलों से हैरतअंगेज करतब, नेजा सहित आतिशबाजी हुई। इस गांव में यह परंपरा पिछले 458 सालों से चली आ रही है और आज भी ग्रामीण इस परम्परा ओर संस्कृति का निर्वहन कर रहे है। बुधवार को हज़ारो की संख्या में लोग इस आयोजन के साक्षी बने। इस आयोजन में गांव की बहन बेटियां सहित मेनार, ईंटाली, रोहिड़ा,नवानिया,गवारड़ी,खरसान,बाठरड़ा खुर्द,विजयपुरा, भटेवर, खेरोदा, बांसड़ा, बामनिया, राजसमन्द, चित्तौड़गढ़,उदयपुर,मालवा,मध्यप्रदेश से लोग देखने के लिए लोग शामिल हुए। इस पर्व को लेकर पूरे गांव को सतरंगी रोशनियों से जगमगाया गया। इस दिन गांव के अधिकांश युवा जो बाहर विदेश दुबई,मस्कट,अफ्रीका,अमेरिका,ब्रिटेन सहित अन्य जगहों पर कार्यरत है वहाँ से इस ऐतिहासिक घड़ी का साक्षी बनने के लिए खास तौर से इस कार्यक्रम में शरीक होने के लिए आये। इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया पर प्रसारित करने के लिए प्रिंस स्टूडियो रूंडेडा के द्वारा लाइव प्रसारण किया गया ओर एलइडी वॉल पर भी इसे दिखाया गया जिसे गांव सहित देश सहित विदेश में बैठे हज़ारों लोगों ने देखा।
दोपहर 12.30 बजे महात्मा जत्तीजी की धूणी से शुरू हुआ कार्यक्रम
बुधवार को रंग तेरस पर दोपहर 12.30 बजे गांव के पंच 3 ढोल,थाली और मादल के साथ गांव की उतर दिशा मे स्थित धूणी पर पहुँचे,जहाँ पूजा अर्चना कर महात्मा जत्तीजी का ध्यान कर उन्हे इस कार्यक्रम मे हिस्सा लेने लिए आमन्त्रित किया गया। जत्तीजी को आमन्त्रित करने के बाद ग्रामीण तीनो ढोल के साथ वहाँ से रवाना होकर मार्ग में सीनियर सेकेंडरी स्कूल के यहाँ स्थित डेमण्ड बावजी को ढोल नगाड़ों से गाजे बाजे से आमन्त्रित किया गया व आमंत्रण पश्चात उनका आर्शीवाद लेेकर ग्रामीण रंग ग़ुलाल लगाते झूमते एवं जयकारों के साथ बड़े मंदिर पहुँचे तथा वहा पर भांग लेने की रस्म पूरी की,तत्पश्चात वही पर ग्रामीणों ने जत्तीजी की अमानत माला, चिमटा व घोडी लेकर गैर नृत्य किया एवं कुछ देर गैर खेलने के बाद ग्रामीण यहा से तलहटी मंदिर,निमडीया बावजी,जुना मंदिर,लक्ष्मी नारायण मंदिर, महादेव मंदिर,जणवा समाज का मंदिर होते हुए पुन: बडे (ठाकुरजी) मंदिर पहुचे एवं वहा पूजा अर्चना के बाद सभी अपने घर के लिए रवाना हो गए। तत्पश्चात शाम को 6 बजे से 8 बजे तक गाँव में आए मेहमानो की मेहमानवाजी हुई। पुरे गांव में खास तौर से तली हुई चीजे जैसे मक्के की पपड़ी,मीठी भुजिया,पकौड़े,सहित अन्य व्यंजन बनाये गए।
रात में जमी भव्य गैर, ढोल-मादल की थाप पर थिरके हजारों लोग
रात 8 बजे बाद ग्रामीण अपनी पारंपरिक वेशभूषा धोती, कुर्ता,सिर पर मेवाड़ी लाल पगड़ी एवं महिलाएं चमकीली लाल चुनरी ओढ़ सजधज तैयार होकर आई। ब्राह्मण समाज के लोग मुख्य मंदिर श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर,जणवा समाज के जणवा मंदिर और जाट समुदाय के ग्रामीण जाटो की बावड़ी एकत्र हुए, जहाँ तीनो जगह एक साथ 9 बजे से गैर नृत्य शुरू हुआ। जो देर रात तक चलती रही। गैर नृत्य में गोले के अंदर की तरफ ढोल एवं मादल की थाप बजती रही, जिस पर पुरूष कतारबद्ध तरीके से वृत्ताकार में बाहर की तरफ गैर नृत्य किया,तो महिलाएं पुरुषों के बीच में गोले में सिर पर कलश लेकर घूमर नृत्य किया।ढोल की थाप पर गैर ओर घूमर का संगम सिर्फ इसी गांव में देखने को मिलता है। गैर नृत्य के दौरान युवाओं के द्वारा आसमान में भव्य रंगारंग आतिशबाजी की गई जिससे इस आयोजन में ओर चार चांद लग गए।
हैरतअंगेज करतब और नेजा प्रदर्शन
गैर नृत्य के बाद अपनी तलवारों और पारंपरिक शस्त्रों का अद्भुत प्रदर्शन किया। तलवारबाजी और आग के गोलों के हैरतअंगेज करतब देखकर हर कोई अचंभित रह गया। योद्धाओं ने हवा में तलवारें लहराते हुए शौर्य का प्रदर्शन किया, जिससे दर्शकों की रगों में भी वीरता का संचार हो गया।
सबसे रोमांचक क्षण तब आया जब नेजा प्रदर्शन हुआ। यह परंपरा गांव की पहचान है। नेजा निकालने के दौरान पूरा गांव शोर, जयकारों और ढोल की ध्वनि से गूंज उठा।
सुरक्षा और मेहमानों के लिए विशेष व्यवस्था
वल्लभनगर पुलिस स्टेशन की टीम पूरे दिन गांव में सुरक्षा व्यवस्था संभाले रही। बाहर से आए मेहमानों के लिए नि:शुल्क चाय काउंटर लगाए गए, जहां उन्होंने चाय की चुस्कियों के साथ इस उत्सव का आनंद लिया।
रंग तेरस: परंपरा, आस्था और उल्लास का अनूठा संगम
रुण्डेड़ा की रंग तेरस सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि परंपरा, वीरता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। इस आयोजन ने न केवल गांव को एकजुट किया, बल्कि दूर-दराज बसे प्रवासियों को भी अपनी जड़ों से जोड़े रखने का काम किया।
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