बदलते परिदृश्य में एग्रोनोमी के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करने पर संगोष्ठी

बदलते परिदृश्य में एग्रोनोमी के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करने पर संगोष्ठी

बदलते परिदृश्य में सस्य विज्ञान (एग्रोनोमी) के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करने के प्रयासों में इंडियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी की 21 वीं द्विवार्षिक संगोष्ठी दिनांक 24-26 अक्टूबर, 2018 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान में आयोजित की जाएगी ।

 

बदलते परिदृश्य में एग्रोनोमी के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करने पर संगोष्ठी

बदलते परिदृश्य में सस्य विज्ञान (एग्रोनोमी) के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करने के प्रयासों में इंडियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी की 21 वीं द्विवार्षिक संगोष्ठी दिनांक 24-26 अक्टूबर, 2018 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान में आयोजित की जाएगी ।

भारत में कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के क्षेत्र में इंडियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी, नई दिल्ली सबसे बड़ी व्यावसायिक संस्थाओं में से एक है। 1955 में स्थापित सोसायटी ने अपने गौरवशाली अस्तित्व के 64 साल पूरे किए हैं। वर्तमान में सोसायटी में लगभग 2400 आजीवन सदस्य, 56 वार्षिक सदस्य, 43 विदेशी सदस्य तथा 53 संस्थागत सदस्य हैं। सस्य विज्ञान के ज्ञान को प्रसारित करने, मिट्टी, पानी और फसल प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने एवं शोधकर्ताओं के विचारों के आदान-प्रदान के लिए उपयुक्त मंच प्रदान करने के अपने उद्देश्यों के अनुसरण में सोसायटी ने अतीत में 4 अंतर्राष्ट्रीय सस्य विज्ञान कांग्रेस, 1 अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और 20 राष्ट्रीय संगोष्ठी/सेमिनार आयोजित किए हैं। सन् 1956 से सोसायटी शोधकर्ताओं, सस्य विज्ञान के छात्रों और शिक्षकों की सहायता हेतु विभिन्न पुस्तकों, प्रकाशनों सहित लोकप्रिय वैज्ञानिक पत्रिका ’’इंडियन जर्नल आॅफ एग्रोनोमी’’ प्रकाशित करती है। इसके अलावा सोसायटी सस्य वैज्ञानिकों के योगदान को बढ़ावा देने के लिए कई पुरस्कार और फैलोशिप प्रदान करती है। इंडियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी अपने समर्पित पेशेवर वैज्ञानिकों के माध्यम से कृषि में सर्वोंत्तम प्रबंधन विधियां (बीएमपी) प्रदान करते हुए देश के किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

वर्तमान में सोसायटी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली तथा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के साथ मिलकर उदयपुर में 24-26 अक्टूबर,2018 को ‘बदलते परिदृष्यमें सस्य विज्ञान के हस्तक्षेपों के माध्यम से किसानों की आय दुगुनी करना’ पर 21 वीं द्विवार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है। इस संगोष्ठी के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य उपलब्ध ’प्रौद्योगिकी पूंजी’’ के भंडार की विवेचना कर किसानों की आय में वृद्धि के मुद्दों को हल करना है। विगत कार्यनीतियों में भारत में कृषि क्षेत्र के विकास के लिए किसानों की आय बढ़ाने की जरूरत महसूस नहीं की गई और किसानों के कल्याण के लिए किसी भी प्रत्यक्ष उपाय का उल्लेख स्पष्ट रूप से नजर नहीं आया।

अनुभव से पता चलता है कि कुछ मामलों में तो उत्पादन में वृद्धि किसानों की आमदनी में वृद्धि लाती है, लेकिन अधिकांश मामलों में देखने में आया है कि उत्पादन में वृद्धि की तुलना में किसानों की आमदनी में वृद्धि नहीं हुई है। इससे किसानों की आय कम स्तर पर रही, जो कि कृषक परिवारों में पाई जाने वाली गरीबी से स्पष्ट है। एनएसएसओ आंकड़े बताते हैं कि कुछ राज्यों में गरीबी से पीड़ित किसान परिवारों का अनुपात काफी अधिक है। देश में औसतन 23% किसान परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं। गैर कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की आय के मुकाबले भी किसानों की आय कम रही है। कम और अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली प्रक्षेत्र आय, कृषि और कृषि-निवेष में रूचि पर हानिकारक प्रभाव डाल रही है और खेती छोड़ने के लिए अधिक से अधिक किसानों, विशेष रूप से युवा वर्ग को मजबूर कर रही है। इससे देश में कृषि के भविष्य पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह स्पष्ट है कि कृषि से किसान द्वारा अर्जित आय कृषि संकट को दूर करने और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।

यह संगोष्ठी वैज्ञानिकों, प्रशासको, उद्योगपतियों, नीति निर्माताओं, शोध विद्वानों और किसानो के बीच विचार-विमर्ष के लिए मंच प्रदान करेगी जिससे खेती की लागत में कमी, उत्पादकता में सुधार, फसल सघनता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसलों सहित कृषि विविधीकरण और किसानों द्वारा बेहतर मूल्य प्राप्ति आदि विषयों पर चर्चा होगी, जो कि किसान की आय बढ़ाने में ज़रूरी है। इन मुद्दों पर भारतीय कृषि की उभरती चुनौतियों के हल हेतु ठोस सिफारिशो को विकसित करने के लिए गहराई से चर्चा की जाएगी और इस प्रकार 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुनी करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान दिया जाएगा। इसके अलावा, संगोष्ठी के दौरान किसानों की आमदनी में वृद्धि करने की क्षमता वाली सन्तुत कृषि-प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करने हेतु कृषि विष्वविद्यालयों, भाकृअनुप के राष्ट्रीय संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों आदि द्वारा एक प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें प्राइवेट कम्पनियां एवं राष्ट्रीयकृत बैंक भी अपने योगदान को दर्शाएंगे। सम्मेलन का उद्घाटन प्रो. रमेश चन्द, सदस्य, नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा किया जायेगा। इस समारोह के अध्यक्ष प्रो. उमा शंकर शर्मा, कुलपति, एमपीएयूटी, उदयपुर एवं डा. एन एस राठौड़, उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा), भाकृअनुप, नई दिल्ली विशिष्ठ अतिथि होेंगे। इस अवसर पर तकनीकी सत्रोें के मुख्य वक्ता अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डा. टी. सी. जैन, पूर्व वरिष्ठ कृषिविद् विश्व बैंक; डा. ए. एस. फरोदा, पूर्व अध्यक्ष एएसआरबी, आईसीएआर, नई दिल्ली; डा. अरविन्द कुमार, कुलपति-आरएलबी सीएयू, झांसी; डा. प्रवीण राव, कुलपति- पी जे तेलंगाना राज्य कृषि वि.वि., हैदराबाद; डा. पी. एस. राठौर, कुलपति-एसके एनएयू, जोबनेर, राजस्थान; डा. जी. एल. केशवा, कुलपति-कृषि विवि, कोटा; प्रो. अरूण के. पुजारी, कुलपति केन्द्रीय विवि, अजमेर; डा. वी. एम. भाले, कुलपति- डा. पंजाब राव देशमुख कृषि विद्यापीठ, कृषि नगर, अकोला; डा. एस पशुपालक, कुलपति- ओयूएटी, भुवनेश्वर; डा. ए के सिंह, कुलपति- बीएयू, सोबोर; डा. ए के दहामा, पूर्व कुलपति- एसकेआरएयू, बीकानेर; डा. डी पी सिंह, पूर्व कुलपति- जेएनकेवीवी, जबलपुर; डा. एस एल मेहता, पूर्व कुलपति- एमपीयूएटी, उदयपुर और डा. ए के सिंह, उपमहानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप एवं निदेशक, आईएआरआई, नई दिल्ली होंगे। देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 400 प्रतिनिधि और विदेश से कुछ सस्य विज्ञानी अपनी प्रस्तुति मुख्य स्पीकर, लीड स्पीकर, रैपीड फायर स्पीकर और पोस्टर प्रस्तुति के माध्यम से संगोष्ठी के विषय पर प्रस्तुत करेंगे। चार राज्यों से आए प्रगतिशील किसानों का अनुभव और अपेक्षाएं संगोष्ठी के लिए शोधनीय मुद्दों के स्रोत के रूप में कार्य करेगी।

24 अक्टूबर, 2018 को संगोष्ठी में अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तुतियों में अध्यक्षीय सम्बोधन डा. ए. के. व्यास, अध्यक्ष, इंडियन सोसायटी आॅफ एग्रोनोमी, नई दिल्ली द्वारा दिया जाएगा; डा. पी एस लाम्बा स्मृति व्याख्यान, प्रो. रमेश चन्द, सदस्य, नीति आयोग, भारत सरकार के द्वारा ’’भारत की कृषि चुनौतियांः अवसर और विकास नीतियां’’ विषय पर दिया जाएगा; डा. टी सी जैन, वरिष्ठ कृषिविद्, विश्व बैंक के द्वारा ’’बदलते परिदृष्य में किसानों की आय दुगुनी करने में सस्य वैज्ञानिकों की भूमिका का रेखांकन’’ विषय पर व्याख्यान दिया जाएगा तथा ’’प्रबंधन परिप्रेक्ष्य में किसानों की दुगुनी आय’’ विषय पर संध्याकाल अभिभाषण प्रो. जनत शाह, निदेशक, आई आई एम, उदयपुर, राजस्थान का होगा।

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किसानों की आय को दुगुनी करने से संबंधित इन सभी मुद्दों पर संगोष्ठी में 3 दिनों की प्रस्तुतियों के दौरान विस्तार से विचार-विमर्ष किया जाएगा और व्यावहारिक और व्यवहार्य सिफारिशें विकसित की जाएंगी, जो कि समापन सत्र के दौरान सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के साथ साझा की जाएगीं। संगोष्ठीे उपरांत इन्हें नीति निर्माताओं, प्रशासको, शोधकर्ताओं से साझा किया जाएगा एवं शिक्षकों, छात्रों और अन्य हितधारकों के लिए उसको लागू किया जाएगा।

संगोष्ठी के दौरान टिकाऊ कृषि उत्पादकता और लाभप्रदता को प्रभावित करने वाले पहलुओं पर किसानों की समस्याओं के लिए व्यावहारिक समाधान हेतु विचार विमर्ष किया जाएगा। यह किसानों की आय सुरक्षा प्राप्त करने के लिए बदलते परिदृष्य के तहत उपयुक्त सन्तुत कृषि तकनीकियों का अविष्कार और शोध के लिए नए विचार उत्पन्न करेगा। नीति निर्माताओं को बेहतर भंडारण, बाजार, उचित मूल्य, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन सुनिष्चित करने के लिए प्रक्षेत्र और किसान परिवार को उचित नीति सहायता का कार्य करेगा। उद्योगपति भविष्य के कृषि उत्पादों के बारे में अंतर्दृष्टि प्राप्त करेंगे जो कि किसानों को लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करेंगे। शिक्षाविदों को भावी सस्य विज्ञानी शिक्षा, अनुसंधान और कौशल विकास को विकसित करने और पुनः स्थापित करने के लिए मदद करेगा। संगोष्ठी किसानों और कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के विभिन्न संसाधनों के लिए फसलों, उद्यमों, कृषि प्रणालियों और कृषि संबंधी हस्तक्षेपों की पहचान करने में मदद करेगी, जिसमें खाद्य, पोषण, पर्यावरण और आजीविका सुरक्षा के साथ किसानों की आय सुरक्षा प्राप्त करने के लिए मूल्यवर्धन की संभावनाएं तलाशनें में मदद करेगी।

उद्घाटन समारोह में सोसायटी द्वारा डा. कल्याण सिंह, पूर्व डीन, बीएचयू, वाराणसी और डा. बी गंगवार, पूर्व निदेशक, आईसीएआर-आईआईएफएसआर, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश को लाईफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा सोसायटी 8 प्रसिद्ध सस्य वैज्ञानिकों को आईएसए गोल्ड मेडल तथा 16 को आईएसए फेलो से सम्मानित करेगी। साथ ही 5 सस्य वैज्ञानिकों को आईएसए एसोसिएटशिप, 2 सस्य वैज्ञानिकों को डा. पी एस देशमुख युवा सस्य विज्ञानी अवार्ड, 4 सर्वश्रेष्ठ पीएच.डी थीसिस अवार्ड, 4 सर्वश्रेष्ठ एम.एस सी थीसिस अवार्ड तथा 2 सर्वश्रेष्ठ आईएसए शोधपत्र अवार्ड दिए जाएंगे। इस अवसर पर सोसाइटी द्वारा लाए गए विभिन्न प्रकाशन प्रतिनिधियों, छात्रों, शिक्षकों, विकास कर्मियों और नीति निर्माताओ के लाभ के लिए भी जारी किए जाएंगे।

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