जल और वायु प्रदूषण से पार पाना स्मार्ट सिटी की सबसे बड़ी चुनौती


जल और वायु प्रदूषण से पार पाना स्मार्ट सिटी की सबसे बड़ी चुनौती

जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय संकटों से पार पाना उदयपुर स्मार्ट सिटी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। उक्त विचार झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा आयोजित श्रमदान संवाद में व्यक्त किये गए। पर्यावरण विज्ञानी डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जल् व वायु प्रदूषण से नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। जल् व वायु की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समग्र प्रयासों की जरूरत है।

 
जल और वायु प्रदूषण से पार पाना स्मार्ट सिटी की सबसे बड़ी चुनौती

जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय संकटों से पार पाना उदयपुर स्मार्ट सिटी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। उक्त विचार झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति व गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा आयोजित श्रमदान संवाद में व्यक्त किये गए। पर्यावरण विज्ञानी डॉ अनिल मेहता ने कहा कि जल् व वायु प्रदूषण से नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। जल् व वायु की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समग्र प्रयासों की जरूरत है।

झील प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों के प्राकृतिक स्वरूप को लौटाने, पक्षी आवास स्थल सृजित करने व शुध्द हवा को बनाये रखने के लिए झील टापुओं व किनारो पर उचित प्रजाति के वृक्षों का रोपण किया जाना चाहिए। समाजकर्मी नन्द किशोर शर्मा ने शहर की हवा को बेहतर बनाये रखने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम मजबूत बनाना होगा। इलेक्ट्रिक व सोलर ऊर्जा संचालित वाहन उदयपुर के लिए जरूरी है।

कृषि विज्ञानी पल्लव दत्ता ने झीलो के आसपास रासायनिक उत्पादों के उपयोग पर नज़र रखने की आवश्यता बतलाई। वरिष्ठ नागरिक रमेशचंद्र राजपूत व द्रुपद सिंह ने झीलों की पेट्रोलिंग व्यवस्था को कड़ी करने की बात कही।

सम्वाद पूर्व नाथी घाट झीलक्षेत्र से पॉलीथिन, कपड़े, घरेलू सामग्री, शराब की बोतले, पत्थर व जलीय घास निकाली। श्रमदान में रमेश चंद्र राजपूत, द्रुपद सिंह, राम लाल गहलोत, दूर्गा शंकर पुरोहित, पल्लव दत्ता, तेज़ शंकर पालीवाल, नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

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