10 घंटे तक फेफड़े को बाहर निकाल कर गीतांजली कैंसर सेंटर में हुई सफल जटिल सर्जरी


10 घंटे तक फेफड़े को बाहर निकाल कर गीतांजली कैंसर सेंटर में हुई सफल जटिल सर्जरी

 
10 घंटे तक फेफड़े को बाहर निकाल कर गीतांजली कैंसर सेंटर में हुई सफल जटिल सर्जरी
घातक मेसोथेलियोमा फेफेड़े का कैंसर नहीं बल्कि ये फेफड़ों के आस पास की दो परतें जिसे प्ल्युरा कहते हैं में होता है, यह कैंसर फेफड़े को पूरी तरह से फंसा देता है।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए सुचारू रूप से रोगियों का इलाज किया जा रहा है। गीतांजली कैंसर सेंटर के सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया एवं डॉ. अरुण पांडेय, मेडिकल ओन्कोलोजिस्ट डॉ. अंकित अग्रवाल, ह्रदय रोग विभाग के सर्जन डॉ. संजय गाँधी, एनेस्थेसिस्ट डॉ. नवीन पाटीदार, आई.सी.यू इंचार्ज डॉ. संजय पालीवाल व टीम, ओ.टी. इंचार्ज अविनाश व टीम ने 36 वर्षीय रोगी के घातक मेसोथेलियोमा का सफल ऑपरेशन कर रोगी को नया जीवन प्रदान किया।

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प्रतापगढ़ निवासी 36 वर्षीय रोगी ने बताया कि लम्बे समय से उसे सीने में दर्द,  खांसी, सांस लेने में तकलीफ की शिकायत चल रही थी, ऐसे में स्थानीय डॉक्टर ने जाँच कर फेफड़े में पानी भरे होने की पुष्टि हुई, जब स्थानीय डॉक्टर ने रोगी का पानी निकला तो देखा की पानी का रंग लाल था, डॉक्टर ने रोगी को सर्व चिकित्सा सुविधाओं से लेस गीतांजली हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। 

घातक मेसोथेलियोमा फेफेड़े का कैंसर नहीं बल्कि ये फेफड़ों के आस पास की दो परतें जिसे प्ल्युरा कहते हैं में होता है, यह कैंसर फेफड़े को पूरी तरह से फंसा देता है। डॉ. आशीष ने बताया कि जब रोगी गीतांजली कैंसर सेंटर आया तब उसके प्ल्युरा में पूरी तरह से पानी भरा हुआ था जिसे खाली करने के बाद जाँच में मेसोथेलियोमा की पुष्टि हुई। 

मेसोथेलियोमा का मुख्य कारण प्रायः एस्बेस्टोस (खनिज फाइबर की धूल सांस द्वारा स्थाई रूप से शरीर में फंस जाना) एवं धूम्रपान पाया जाता है। प्रायः इस बीमारी से ग्रसित रोगियों को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है क्यूंकि यह बीमारी बहुत ही उत्तेजित होती है एवं इसके जयादातर रोगी ऑपरेशन को सहन कर पाने परिस्थितियों के अनुकूल नही होते। इस बीमारी का मानक इलाज कीमोथेरेपी, सर्जरी व रेडियोथेरेपी है जिसके मेल द्वारा सर्वोतम परिणाम प्राप्त किये जाते हैं। डॉ. आशीष ने यह भी बताया कि दुर्भाग्यवश इस बीमारी से ग्रसित रोगी बहुत ही बुरी स्तिथि में आते हैं जिसमे कि ऑपरेशन की सम्भावना नही होती ऐसे में रोगी को पेलिएटिव कीमोथेरेपी दी जाती है परन्तु जब कोई रोगी उचित स्तिथि में आता है ऐसे में ऑपरेशन किया जाता है जैसा कि इस रोगी में देखने को मिला, रोगी को सर्वप्रथम मेडिकल ओन्कोलोजिस्ट डॉ. अंकित अग्रवाल द्वारा कीमोथेरपी के 3 साइकिल दिए गये। कीमोथेरपी द्वारा प्ल्युरा में उपस्थित पानी जब पूरी तरह से खत्म हो गया, रोगी की स्थिति में सुधार को देखते हुए रोगी की ई.पी.पी (एक्स्ट्रा प्ल्यूरल न्यूमोनेक्टोमी) की योजना बनायी गई, न्यूमोनेक्टोमी घातक मेसोथेलियोमा के लिए एक शल्य चिकित्सा उपचार है। इसमें फेफड़े को हटाना, डायाफ्राम का एक हिस्सा, फेफड़ों और दिल की परतें (पार्श्व प्लूरा और पेरिकार्डियम) शामिल हैं। सर्जरी के दौरान ह्रदय की मुख्य नसे जिसे पेरिकार्डियम कहते है उसे भी बहुत सावधानीपूर्वक हटाया जाता है, इसके कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी व टीम द्वारा हटाया गया| पेरिकार्डियम व डायफ्राम को जो क्षति हुई उसके लिए मेश (कृत्रिम सतह) को पुनः नया बनाया गया ऐसा ना करने पर दिल बाहर भी निकल सकता है। 

डॉ. अरुण ने बताया कि रोगी इस तरह के गंभीर ऑपरेशन को बर्दाश्त कर सकेगा या नही इसके लिए रेस्पिरेटरी विभाग द्वारा ब्रोंकोस्कोपी (फेफड़ों की जाँच), पीएफटी यानी पल्मोनरी फंक्शन टैस्ट, 2 डी इको की जांचे की गयी व जाँच की योग्यता के अनुसार ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। रोगी का 10 घंटे लगभग चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन चला, इसके अंतर्गत रोगी का दाहिना फेफड़ा व प्ल्युरा को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया गया। यह ऑपरेशन व्यापक जटिलताओं से भरा हुआ था, ऐसे रोगियों को हार्ट अटैक आने की या अन्य किसी जटिलता की संभावना भी बनी रहती है। ऑपरेशन के पश्चात् रोगी को किसी प्रकार का दर्द ना हो इसके लिए रोगी को एपीड्यूरल एनेस्थिसिया डॉ. नवीन पाटीदार द्वारा व आई.सी.यू इंचार्ज डॉ. संजय पालीवाल व टीम द्वारा रोगी की ख़ास ध्यान रखा गया। चूँकि ऑपरेशन के पश्चात् रोगी को एक फेफड़े पर अपना जीवनयापन करना पड़ता है इसलिए यह ऑपरेशन बहुत की चुनिन्दा रोगीयों का किया जाता है। 

जी.एम.सी.एच सी.ई.ओ. प्रतीम तम्बोली ने बताया कि उक्त रोगी का सम्पूर्ण उपचार राज्य सरकार की महत्ती योजना आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निःशुल्क हुआ है। इस तरह के ऑपरेशन के लिए बहुत ही उच्च उन्नत केंद्र की आवयशकता पड़ती है क्योंकि इस रोगी को मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जरी, सीटीवीएस, व्यापक आईसीयू, मल्टीमोडिलिटी सपोर्ट की आवयशकता थी। गीतांजली मेडिसिटी पिछले13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी उत्कृष्ट चिकित्सा सेंटर बन चुका है। 

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