मायस्थेमिया ग्रेनिस से पीड़ित का दूरबीन पद्धति से सफल ऑपरेशन


मायस्थेमिया ग्रेनिस से पीड़ित का दूरबीन पद्धति से सफल ऑपरेशन

सीने के रास्ते फेफड़े के अंदर स्थित 5 सेंटीमीटर ट्यूमर की दूरबीन पद्धति द्वारा सफल सर्जरी
 
मायस्थेमिया ग्रेनिस से पीड़ित का दूरबीन पद्धति से सफल ऑपरेशन
लेप्रोस्कोपी द्वारा इलाज से कई फायदे शामिल है जैसे कम रक्तस्त्राव, कम दर्द, रोगी को हाॅस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है, रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है एवं कम दवाईयों का सेवन इत्यादि। साथ ही ओपन सर्जरी नहीं करनी पड़ी।
 

उदयपुर, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के कैंसर शल्य चिकित्सक डाॅ आशीष जाखेटिया एवं डाॅ अरुण पांडेय ने मायस्थेमिया ग्रेनिस से पीड़ित 55 वर्षीय रोगी का दूरबीन पद्धति (वेट्स थायमेक्टोमी) द्वारा सफल ऑपरेशन कर रोगी को सामान्य जीवन प्रदान किया। 

केवल 5 घंटें चले ऑपरेशन में दूरबीन द्वारा सीने के रास्ते फेफड़े के अंदर स्थित 5 सेंटीमीटर ट्यूमर को हटाया गया। सामान्यतः थायमोमा या मायस्थेमिया ग्रेनिस का ऑपरेशन सीने में बड़ा चीरा लगाकर किया जाता है। चूंकि यह ट्यूमर हद्य के उपर होता है इसलिए ऑपरेशन से पूर्व हद्य की हड्डी को हटाया जाता है और ओपन सर्जरी की जाती है। जिस कारण रोगी के फेफड़ों में संक्रमण, न्यूमोनिया, सांस लेने में परेशानी एवं आईसीयू  में लम्बे समय तक भर्ती रहने की सम्भावना ज्यादा रहती है। 

परंतु इस मामले में लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया द्वारा मात्र तीन छेद कर लेप्रोस्कोपी से ही ट्यूमर को हटाया गया। रोगी को मात्र एक दिन में आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया तथा सात दिन बाद छुट्टी प्रदान कर दी गई। इस सर्जरी को वेट्स एसस्टिडिड थायमेक्टोमी कहते है। यह एक दर्दरहित सर्जरी होती है जिससे रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है। इस ऑपरेशन में शल्य चिकित्सकों के साथ एनेस्थेटिस्ट डाॅ नवीन पाटीदार ने भी महत्वपूर्ण निभाई।

लेप्रोस्कोपी प्रक्रिया द्वारा ऑपरेशन के फायदे:

डाॅ अरुण पांडे्य ने बताया कि लेप्रोस्कोपी द्वारा इलाज से कई फायदे शामिल है जैसे कम रक्तस्त्राव, कम दर्द, रोगी को हाॅस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है, रोगी जल्दी स्वस्थ हो जाता है एवं कम दवाईयों का सेवन इत्यादि। साथ ही ओपन सर्जरी नहीं करनी पड़ी।

रोगी शंभूलाल ने बताया कि वह पिछले कई समय से चलने-फिरने में असमर्थ, सांस चलना एवं पलकों का झुक जाना जैसी परेशानियों से जूझ रहा था। 

उदयपुर के न्यूरोलोजिस्ट डाॅ विनोद मेहता से परामर्श एवं कुछ समय तक दवाईयों द्वारा नियंत्रण के बाद रोगी ने गीतांजली कैंसर सेंटर में ऑन्को सर्जन डाॅ आशीष जाखेटिया एवं डाॅ अरुण पांडेय से परामर्श के बाद सीटी स्केन की जांच में फेफड़ें के अंदर 5 सेंटीमीटर कैंसर के ट्यूमर का पता चला एवं वेट्स एसस्टिडिड थायमेक्टोमी सर्जरी की गई। शंभूलाल अब स्वस्थ है एवं उनकी सर्जरी को 4 माह हो चुके हैं।

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि, ‘गीतांजली कैंसर सेंटर में एक ही छत के नीचे मेडिकल, सर्जिकल एवं रेडिएशन ऑन्कोलोजिस्ट की विशाल एवं अनुभवी टीम मौजूद है। देश के कुछ चुनिंदा सेंटरों पर ही अत्याधुनिक तकनीकों द्वारा कैंसर की सर्जरी सुविधा उपलब्ध है जिसमें उदयपुर के गीतांजली कैंसर सेंटर का भी नाम शामिल है।’  


 

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags