गीतांजली हॉस्पिटल में पेट के जटिल कैन्सर का हुआ सफल ऑपरेशन


गीतांजली हॉस्पिटल में पेट के जटिल कैन्सर का हुआ सफल ऑपरेशन 

 
गीतांजली हॉस्पिटल में पेट के जटिल कैन्सर का हुआ सफल ऑपरेशन

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवम्‌ हॉस्पिटल, उदयपुर के कैंसर सेंटर में कोरोनाकाल में रोगी के पेट के कैंसर का ऑपरेशन करने से पहले ट्यूमर बोर्ड में एक ही छत के नीचे मेडिसिन, सर्जिकल एवं रेडिएशन ऑंकोलॉजी टीम द्वारा सबसे लाभदायक इलाज को निर्धारित किया गया, जिसमे सर्जरी का विकल्प चुना गया। ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाली टीम में ऑन्कोलॉजी सर्जन डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ.अरुण पांडेय, डॉ. शांतनु, स्टॉफ से अविनाश, राजू, उत्तम व अनिल तथा आईसीयू से डॉ .संजय पलीवाल व टीम में शामिल हैं। 

70 वर्षीय उदयपुर निवासी, रोगी निर्मला देवी (परिवर्तित नाम) ने बताया कि पीलिया हो जाने पर उनको गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया। रोगी ने बताया कि उसे हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत बहुत समय है परंतु पिछले कुछ समय से बहुत थकान महसूस होती थी व भूख नहीं लग रही थी। 

डॉ. आशीष ने बताया कि रोगी इन सभी लक्षणों को देखते हुए रोगी के पेट एम.आर.आई की गयी जिसमें पैनक्रिया के मुख पर छोटे से कैन्सर की पुष्टि हुई जिसे पेनक्रिएटिक कैन्सर कहा जाता है। डॉ. ने यह भी बताया कि  यह पेनक्रिएटिक कैंसर पेट के कैंसर का सबसे जटिल कैंसर है। उन्होंने कहा कि हालांकि  इस तरह के ऑपरेशन  वह निरंतर करते रहते हैं, परंतु रोगी की बड़ी उम्र व साथ में हाई ब्लड प्रेशर जैसी जटीलताओं व कोरोना महामारी के कारण इस सर्जरी को करने में बहुत सी बाधाएं व जोखिम थे। रोगी का ऑपरेशन 7-8 घंटे तक चला। यह समय रोगी के साथ साथ उसके परिवार व डॉक्टर्स के लिये भी बहुत बड़ी चुनौती था क्यूँकि रोगी को पीलिया होने के कारण यदि ऑपरेशन समय रहते ना होता तो सेप्टीसीमिआ हो सकता था जिससे कि शरीर में इन्फेक्शन होते ही उसके शरीर के कई अंग विकृत हो सकते थे। इस तरह के कैन्सर में कीमो या अन्य कोई विकल्प कारगर नहीं होने के कारण ऑपरेशन ही एकमात्र उपाय है, इस तरह के ऑपरेशन को व्हीपल सर्जरी भी कहा जाता है। बहुत ही लंबे व जटिल ऑपरेशन  को कुशल डॉक्टर्स की टीम द्वारा सफलतापूर्वक पूरा किया गया। ऑपरेशन के 9 दिन उपरांत रोगी के अच्छे सवास्थ को देखते हुए उसे घर भेज दिया गया है। 

डॉ. अरुण पांडेय ने बताया कि एब्डोमिनल कैंसर अर्थात् पेट के कैंसर कई प्रकार के होते हैं जो कि भोजन नली से लेकर लीवर, अमाशय, अग्नाशय और आँतों के कैन्सर के रूप में देखे जा सकते हैं। दुर्भाग्यवश  भारत में पेट के कैन्सर के रोगी बढ़ते जा रहे हैं जिसका मुख्य कारण बदलता खानपान व बदलती जीवनशैली है। परंतु यदि खानपान व जीवन शैली को सुधारा जाये जैसे कि फल, हरी सब्जियों का सेवन, व्यायाम को रोज़मर्रा में शामिल किया जाए तो इस कैन्सर से बचा जा सकता है। ज्यादातर लोग लापरवाही करते रहते हैं, जिससे कैन्सर एडवांस स्टेज में पहुँच जाता है, और ऐसे में कई बार रोगी का इलाज नहीं हो पाता। बेहतर है कि जैसे ही कुछ लक्षण सामने आते ही रोगी को तुरंत एक्सपर्ट डॉक्टर को मिलना चाहिये जिससे कि समय रहते रोगी का इलाज हो सके। 

ज्ञात करा दें कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवम्‌ हॉस्पिटल, उदयपुर पिछले  13 वर्षों से सतत् स्वास्थ के क्षेत्र में निरंतर अपनी नवीनतम तकनीकों द्वारा उत्कृष्ट सेवाएँ देता आया है। गीतांजली कैन्सर सेंटर में सभी प्रकार के पेट के कैन्सर का इलाज संभव है व सफलतापूर्वक किया जा रहा है। गीतांजली हॉस्पिटल को चिकित्सा क्षेत्र में एक मील की ईकाई के रूप में देखा जाता है। आज दुनियाभर में जहाँ कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और वहीं दूसरी तरफ जानलेवा बीमारियों से ग्रसित लोग अपनी जंग लड़ रहे हैं। गीतांजली हॉस्पिटल में कोरोना वायरस के सभी प्रशासनसिक व चिकित्सकीय मापदंडों को ध्यान में रखते हुए निरंतर आवश्यकतानुसार ऑपरेशन किये जा रहे हैं। 

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