ह्रदय की जटिल व गंभीर बीमारियों से झूझ रहे रोगी का गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल ऑपरेशन


ह्रदय की जटिल व गंभीर बीमारियों से झूझ रहे रोगी का गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल ऑपरेशन

प्रदेश में पहली बार एओर्टा महाधमनी में कैल्सीफाइड एन्यूरिज्म ह्रदय का वाल्व एवं बाईं मुख्य कोरोनरी नाड़ी का बाईपास कर गीतांजली हॉस्पिटल ने बनाया कीर्तिमान

 
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जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तोम्बोली ने बताया कि गीतांजली हॉस्पिटल में ह्रदय के जटिल से जटिल ऑपरेशन निरंतर रूप से किये जा रहे हैं। कार्डियक टीम द्वारा 5000 से अधिक ऑपरेशन किये जा चुके हैं। इस तरह के ऑपरेशन के लिए हाई सेंटर्स की आवश्यकता पड़ती है

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल निरंतर रूप से चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है। यहाँ का कार्डियक सेंटर सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है। यहाँ के ह्रदय शल्य चिकित्सकों द्वारा जटिल से जटिल ऑपरेशन कर ह्रदय की गंभीर बीमारियों से झूझ रोगियों का ऑपरेशन कर उन्हें नया जीवन दिया जा रहा है। अभी हाल ही में चित्तौड़गढ़ के रहने वाले 60 वर्षीय रोगी की गीतांजली हॉस्पिटल के ह्रदय की शल्य चिकित्सकों व उनकी टीम द्वारा जटिल सर्जरी कर उसे नया जीवन प्रदान किया गया। 

क्या था मसला:

डॉ. संजय गाँधी ने जानकारी देते हुए बताया कि रोगी को पिछले छः महीने से चलने पर या कोई भी काम करने पर छाती में दर्द व सांस फूलने की शिकायत थी। रोगी को हॉस्पिटल लाने के 10 दिन पूर्व ये सभी लक्षण और अधिक बढ़ गए थे, ऐसे में चित्तौड़गढ़ के निजी हॉस्पिटल में दिखाया गया, एवं डॉक्टर की सलाह से रोगी को सभी सुविधाओं से लेस गीतांजली हॉस्पिटल जाने की सलाह दी। 

हॉस्पिटल आने पर रोगी की आवशयक जांचे एवं सीटी एंजियोग्राफी की गयी, जिसमें पता चला कि रोगी के दिल की बाईं मुख्य कोरोनरी धमनी में जटिल रुकावट थी और साथ ही एओर्टा जो कि मुख्य धमनी होती है वह भी काफी फूल चुकी थी, जिसे एनयूर्यस्म कहते हैं। इन सब जटिलताओं के साथ रोगी की महाधमनी नाड़ी की दीवार में कैल्शियम जमा हुआ था और वह पत्थर जैसे हो गयी थी। रोगी का बाईपास ऑपरेशन भी करना था और जो नाड़ी फूल गयी थी एवं पत्थर की हो गयी थी उसे भी बदलना था और एओर्टिक वाल्व से होने वाले लीकेज को भी ठीक करना था, इस तरह की तीन जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए एक समय पर ऑपरेशन करना बहुत चुनौतीपूर्ण था। चूँकि रोगी को शुगर की शिकायत थी इसलिए भर्ती करने के बाद सबसे पहले उसके शुगर लेवल को नियंत्रित किया गया। ऑपरेशन के लिए रोगी को शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्णतया तैयार किया गया। 

डॉ. गाँधी ने बताया कि जब रोगी का ऑपरेशन करने हेतु छाती को खोला गया तब पाया कि एओर्टा बिलकुल पत्थर का हो चुका था था ऐसे में यदि एओर्टा को बदला जाये तो टाँके मारने में बहुत दिक्कत आ सकती थी। शरीर के एक नाड़ी जो कि हाथ में खून की आपूर्ति करती है उसे अंग-विच्छेद करके उसमे केनुला डाला गया व खून की सप्लाई उस नाड़ी से दी गयी व रोगी की इस नाड़ी को हार्ट-लंग मशीन से जोड़ दिया गया। रोगी को 16 डिग्री सेंटीग्रेट तक ठंडा किया गया ताकि जब दिल को बंद करें व पूरे शरीर के खून के प्रवाह को बंद करें तो किसी भी अंग किसी भी तरह की कोई क्षति ना हो। सबसे पहले रोगी का वाल्व एवं नाड़ी जो कि पत्थर की हो चुकी थी उसे बदला गया। बदली हुई नाड़ी को बची हुई महाधमनी से जोड़ने के लिए खून की सप्लाई पूरे शरीर में बंद कर दी गयी जिसे कि टोटल सरक्यूलेट्री अरेस्ट कहते हैं। रोगी को लगभग आधा घंटा बिना खून की सप्लाई के रखा गया। इसके पश्चात् रोगी को हार्ट लंग मशीन से पुनः गरम किया गया व खून के प्रवाह को पुनः शुरू किया गया, ऐसा करते ही रोगी के दिल की धड़कन धीरे धीरे वापिस आने लगी। रोगी की नाड़ियों का जहां-जहां ऑपरेशन किया गया उसमे किसी भी तरह का खून का स्त्राव नही था। रोगी के बायपास सर्जरी के लिए दो नाड़ियाँ जो कोरोनरी धमनी जोड़ी गयी उसे भी महाधमनी के साथ जोड़ दिया गया। 

इस तरह रोगी का वाल्व बदला गया, दिल की मुख्य नाड़ी बदली गयी एवं बाईपास सर्जरी सफलतापूर्वक की गयी| इस ऑपरेशन में लगभग 8 घंटे का समय लगा और सीटीवीएस की टीम के अथक प्रयासों से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। रोगी का सफल इलाज करने वाली टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी, डॉ. गुरप्रीत सिंह कार्डियक एनेस्थीसिया टीम से डॉ. अंकुर गाँधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. हर्शील जोशी, डॉ. रामाचंधिरण एवं हार्ट लंग मशीन को कंट्रोल करने के लिए प्रदीप एवं अनीस और साथ ही सीटीवीएस ओटी स्टाफ, आईसीयू स्टाफ व कार्डियक वार्ड स्टाफ शामिल है। रोगी अभी स्वस्थ है एवं उसे छुट्टी दे दी गयीहै। 

जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तोम्बोली ने बताया कि गीतांजली हॉस्पिटल में ह्रदय के जटिल से जटिल ऑपरेशन निरंतर रूप से किये जा रहे हैं। कार्डियक टीम द्वारा 5000 से अधिक ऑपरेशन किये जा चुके हैं। इस तरह के ऑपरेशन के लिए हाई सेंटर्स की आवश्यकता पड़ती है, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल सभी मल्टी सुपरस्पेशलिटी से सुसज्जित है एवं यहाँ  सभी विश्वस्तरीय चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं, यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं एक ही छत के नीचे निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं। 

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