गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा कोरोना  महामारी के  दौरान हृदय रोगी का सफल उपचार

गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा कोरोना  महामारी के  दौरान हृदय रोगी का सफल उपचार
 

 
गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा कोरोना  महामारी के  दौरान हृदय रोगी का सफल उपचार
आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। वहीं दूसरी घातक बीमारियों से ग्रसित रोगी अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण व लॉक डाउन के खतरों के बावजूद भी गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा निरंतर रोगियों का इलाज कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा  किया जा रहा है।

उदयपुर। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। वहीं दूसरी घातक बीमारियों से ग्रसित रोगी अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण व लॉक डाउन के खतरों के बावजूद भी गीतांजली हॉस्पिटल द्वारा निरंतर रोगियों का इलाज कुशल डॉक्टरों की टीम द्वारा  किया जा रहा है। ऐसे में ह्रदय की संजीदा बीमारी के रोगी का मामला सामने आया। 

राजसमन्द के रहने वाले 50 वर्षीय मोहनलाल गुर्जर की हार्ट बायपास सर्जरी को हार्ट टीम अप्रोच द्वारा सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया गया। अत्यंत जटिल इलाज को करने वाली कार्डिक टीम में कार्डिक सर्जन डॉ संजय गांधी, डॉ अजय वर्मा, डॉ पार्थ वाघेला, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ कपिल भार्गव, डॉ रमेश पटेल, डॉ डैनी मंगलानी, डॉ शलभ अग्रवाल, डॉ शुभम चेलावत, प्रथम वर्ष के रेजिडेंट डॉ संदीप, राजसमंद हॉस्पिटल से डॉ अनिल शर्मा, डॉ,नेहरू एवं गीतांजली एनेस्थीसिया विभाग से डॉ अंकुर गांधी, डॉ कल्पेश मिस्त्री, डॉ चिंतन पटेल, डॉ अर्चना कैथ लैब, सीसीयू एवं सीटीवीएस ओ.टी. सीटीवीएस आईसीयू टीम आदि का बखूबी योगदान रहा जिससे कि ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।

क्या था मसला

रोगी ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी तबीयत अचानक से खराब हो गई और बेहोश हो गए ऐसी स्थिति में राजसमंद के हॉस्पिटल में उनको लेकर गए व रोगी की बिगड़ती तबीयत को देखकर राजसमंद के डॉ अनिल शर्मा व डॉ नेहरू द्वारा सीपीआर पद्धति से ह्रदय  को पुनः चालू किया गया। स्थानीय डॉक्टर्स के अविलंब एवं सराहनीय प्रयासों से एंबुलेंस लेकर गीतांजली हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गए।

डॉ. संजय गांधी ने बताया की रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल में लाते समय फिर से दिल ने काम करना बंद कर दिया। ऐसे में गीतांजली के डीएम रेजिडेंट डॉ संदीप ने सीपीआर पद्धति से ह्रदय की मसाज की व रोगी की स्थिति में कुछ सुधार देखते ही उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया। हृदय की गति धीमी होने की वजह से रोगी के टेंपरेरी पेसमेकर डाला गया। इसके पश्चात रोगी को वेंटिलेटर पर रखा गया।

डॉ. गांधी ने बताया कि जब रोगी को गीतांजलि हॉस्पिटल लाया गया उस समय उनको बुखार भी था व उनका कोरोना का टेस्ट किया गया। हृदय की गति मात्र 30 प्रति मिनट थी, किडनी और लीवर भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे। रोगी की एंजियोग्राफी करने पर पाया गया कि दिल की तीनों नाड़ियों में रुकावट थी व दो नाड़ियाँ 100 प्रतिशत बंद थी। जिस कारण रोगी के ह्रदय की स्थिति बहुत ही नाजुक और खराब हो चुकी थी। ऐसी स्थिति में रोगी को घर भेजना असंभव था और बायपास सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था।

रोगी के ह्रदय की नाजुक स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन करना भी बहुत हाई रिस्क था। रोगी व उसके परिवार को इस बारे में समस्त जानकारी दी गई। सभी ने सर्जरी करने का निर्णय लिया। रोगी को पहले बैलून पंप डाला गया व धड़कते हुए दिल की बायपास सर्जरी की गई इसके बाद रोगी को 5 दिन तक आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया।

पहले रोगी का बैलून पंप हटाया गया उसके पश्चात रोगी को वेंटिलेटर से हटाया गया। रोगी के स्वयं अपने पैरों से चलने की सामान्य स्थिति होने पर हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।

ज्ञात करा दें की गीतांजली हॉस्पिटल आईसीएमआर व एमओएचएफडब्ल्यू (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) द्वारा सुझाए गए कोरोना व अन्य बीमारियों के संदिग्धों के सभी प्रोटोकॉल्स का पालन भली-भांति कर रहा है।

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