गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग (शिशु शल्य चिकित्सा) में कोरोना महामारी के दौरान सभी निर्धारित कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन करते अब तक अनवरत सेवाएं जारी हैं। पीडीआट्रिक सर्जन डॉक्टर अतुल मिश्रा ने बताया कि कोरोनाकल के समय में भी सभी इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं व गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों का इलाज जैसे ट्रैकियोइसोफेजियल फिस्टुला (नवजात में खाने की नली का विकार), नवजात में मलद्वार का ना होना, अपेंडीसाइटिस, आँतों में रुकावट, गले में बेहद बड़ी रसोली, मूत्राशय की पथरी व लिंग सम्बन्धी विकार इत्यादि के ऑपरेशन निरंतर रूप से हो रहे हैं और साथ ही इलेक्टिव सर्जरी भी शुरू कर दी गयी है।
हाल ही में मात्र 1 वर्षीय मंदसौर निवासी रोगी सौरभ कुमार (परिवर्तित नाम) को खाना ना खा पाने व फूले हुए पेट की परेशानी के चलते गीतांजली हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। रोगी की माँ ने बताया कि बच्चा कुछ भी खा नही पा रहा था, कुछ भी खाते ही उल्टी कर देता था, व हर समय रोता रहता था। गीतांजली हॉस्पिटल में रोगी की सामान्य जांचे एक्स- रे, सोनोग्राफी के बाद बड़ी आंत में संकरापन पाया गया, रोगी का पीडियाट्रिक सर्जन टीम द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया। इसमें व अन्य जटिल ऑपरेशन में पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अतुल मिश्रा के अलावा एच.ओ.डी. डॉ. देवेन्द्र सरीन, नवजात शिशु स्पेशलिस्ट डॉ. धीरज दिवाकर, कामना व ओ.टी. स्टाफ, एन.आई.सी.यू. इंचार्ज अनिल व टीम के अनवरत प्रयासों से रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज कर उन्हें स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया।
डॉ. अतुल ने बताया कि आंत में संकरापन होने की स्तिथि नवजातों के समय से पहले पैदा होने के कारण हो जाती है व एन.ई.सी.( नेक्रोटाइसिंग एंट्रोकोलाइटिस) नामक स्थिति के कारण होती है। यह बीमारी (संकरापन) सामान्यतया बहुत ही कम देखने को मिलती है, जो कि इस रोगी में पाई गयी। रोगी ऑपरेशन होने के पश्चात् अब स्वस्थ है, खाना खा पी रहा है और हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी है।
नेक्रोटाइजिंग एंट्रोकोलाइटिस (एन.ई.सी) एक विनाशकारी बीमारी है जो ज्यादातर समय से पहले पैदा हुए शिशुओं की आंत को प्रभावित करती है। आंत की दीवार पर बैक्टीरिया द्वारा हमला किया जाता है, जो स्थानीय संक्रमण और सूजन का कारण बनता है जो अंततः आंत की दीवार को नष्ट कर सकता है। जिससे कि आंत में छेद हो सकता है या कभी कभार संकरापन आ सकता है। यदि इस बीमारी का समय रहते इलाज ना किया जाये तो बच्चे की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल में नवजात शिशु इकाई (एन.आई.सी.यू), शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पी.आई.सी.यू) वार्ड में सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है। गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चंहुमुखी उत्कृष्ट चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं।
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