सीने में जमे हुए पानी एवं जालों का मेडिकल थोरेकोस्कोपी द्वारा सफल इलाज

सीने में जमे हुए पानी एवं जालों का मेडिकल थोरेकोस्कोपी द्वारा सफल इलाज

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के श्वास रोग विभाग के डाॅ अतुल लुहाड़िया व उनकी टीम ने 65 वर्षीय रोगी की सफल मेडिकल थारेकोस्कोपी कर स्वस्थ किया। दो घंटें की इस प्रक्रिया में सीने में जमे हुए पानी एवं एड्हीशन्स (जालों) को हटाया गया जिनका सामान्यतः इलाज ओपन सर्जरी द्वारा किया जाता है।

 

सीने में जमे हुए पानी एवं जालों का मेडिकल थोरेकोस्कोपी द्वारा सफल इलाज

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के श्वास रोग विभाग के डाॅ अतुल लुहाड़िया व उनकी टीम ने 65 वर्षीय रोगी की सफल मेडिकल थारेकोस्कोपी कर स्वस्थ किया। दो घंटें की इस प्रक्रिया में सीने में जमे हुए पानी एवं एड्हीशन्स (जालों) को हटाया गया जिनका सामान्यतः इलाज ओपन सर्जरी द्वारा किया जाता है।

डाॅ लुहाड़िया ने बताया कि डूंगरपुर निवासी कृष्णा (उम्र 65 वर्ष) काफी समय से सांस चलने एवं खांसी से परेशान थे। सीने में पानी भर गया था जिसको निकाला भी गया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। एक्स रे एवं सोनोग्राफी की जांच में पाया गया कि सुई द्वारा पानी निकालने के बावजूद इंफेक्शन बढ़ गया था तथा सीने में एड्हीशन्स (जाले) बन गए थे जिस कारण सुई द्वारा पानी निकल नहीं पा रहा था और जमने लग गया था। विशेष प्रशिक्षित व अनुभवी डाॅ लुहाड़िया व उनकी टीम ने मेडिकल थोरेकोस्कोपी (दूरबीन द्वारा इलाज) की और उन जालों को हटाया (एडीसिओलिसिस) और जमे हुए पानी को सीने से निकाला और प्लूरा की बायोप्सी ली। बायोप्सी की जांच में कैंसर नहीं पाया गया और केवल संक्रमण के कारण सीने में पानी जम गया था और जाले बन गए थे।

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तत्पश्चात् सीने में ट्यूब डाल के रखी गई और एंटीबायोटिक्स शुरु कर दी गई। इसके चलते धीरे-धीरे नली से पानी आना कम होता गया और जब नली में पानी आना बिल्कुल बंद हो गया तब नली निकाल दी गई। अंततः रोगी का फेफड़ा एवं रोगी दोनों स्वस्थ हो गए।

इस प्रक्रिया में डाॅ अतुल लुहाड़िया व उनकी टीम में डाॅ गौरव डिंडोरिया व टेक्नीशियन लोकेन्द्र व कमलेश शामिल थे। उन्होंने बताया कि यदि किसी को लम्बे समय से खांसी, सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, कमजोरी, न्यूमोनिया, टीबी, कैंसर या संक्रमण और सीने में 2-3 बार पानी निकालने की जरुरत पड़े और बार-बार पानी भरने का कारण पता नहीं चल रहा हो, तो उसे यह जांच करा लेनी चाहिए ताकि जटिलताएं कम हो, समय पर उपचार हो सके व ओपन सर्जरी करवाने की जरुरत भी न पड़े।

डाॅ लुहाड़िया ने बताया कि मेडिकल थोरेकोस्कोपी एक प्रकार की सीने की एंडोस्कोपी है जिसमें सीने में एक छोटा सा छेद करके थोरेकोस्कोप सीने के अंदर डाला जाता है और सीने के अंदर क्या खराबी है उसको दूरबीन द्वारा देखा जाता है, सीने में जमे हुए पानी को निकाला जाता है और बायोप्सी ली जाती है। इसमें जटिलताएं, खर्च, जोखिम कम होता है, भर्ती कम दिन रहना पड़ता है, निशान कम रहता है, छोटे से भाग को सुन्न किया जाता है व छोटा सा छेद करके ही थोरेकोस्कोपी की जाती है। इसके विपरीत सामान्यतः होने वाली ओपन सर्जरी में सीने में जिस तरफ बीमारी होती है, उस तरफ की छाती के भाग को खोल के आॅपरेशन करते हैं, जटिलताएं, खर्च, जोखिम ज्यादा होता है, मरीज को बेहोश करना होता है व निशान भी ज्यादा रह जाता है। सामान्यतः ऐसे मामलों में ओपन सर्जरी के माध्यम से कार्डियो थोरेसिक सर्जन द्वारा इलाज किया जाता है, परंतु इस मामले में श्वास रोग चिकित्सकों द्वारा उपचार किया गया।

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