हृदय में छेद का सफल उपचार

हृदय में छेद का सफल उपचार

शनिवार 23 मार्च, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर के इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी विभाग की टीम ने 5 वर्षीय बालक के हृदय में दो छेद को दो डिवाइस एक साथ लगाकर स्वस्थ किया। दो डिवाइसों को दोनों छेदों पर एक ही समय में एक साथ स्थापित करने का यह संभाग पहला सफल मामला है।

 

हृदय में छेद का सफल उपचार

शनिवार 23 मार्च, गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर के इंटरवेंशनल कार्डियोलोजी विभाग की टीम ने 5 वर्षीय बालक के हृदय में दो छेद को दो डिवाइस एक साथ लगाकर स्वस्थ किया। दो डिवाइसों को दोनों छेदों पर एक ही समय में एक साथ स्थापित करने का यह संभाग पहला सफल मामला है।

इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डाॅ रमेश पटेल ने बताया कि ऐसे रोगी जिनके हृदय में दो छेद एक साथ होते है उनमें एक डिवाइस लगाने के बाद दूसरा डिवाइस लगाना जटिल होता है। दूसरा डिवाइस लगाते वक्त पहला वाला डिवाइस अपने स्थान से न हट जाए इसका बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इसलिए आमतौर पर अन्य चिकित्सक ओपन हार्ट सर्जरी करना पसंद करते है। या फिर एक डिवाइस लगाने के कुछ समय बाद दूसरा डिवाइस लगाया जाता है। इससे रोगी को लम्बे समय तक भर्ती रहना पड़ता है।

डाॅ पटेल ने बताया कि प्रतापगढ़ निवासी प्रवीण मीना (उम्र 5 वर्ष) सांस लेने में परेशानी के साथ गीतांजली हाॅस्पिटल आया था। ईकोकार्डियोग्राफी की जांच में हृदय में दो छेद पाए गए। सामान्यतः इस बीमारी का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी द्वारा किया जाता है। परंतु इस बच्चे में डिवाइस क्लोज़र द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया गया। 1 घंटें की प्रक्रिया में कैथ लेब में ही फैमोरल आर्टरी (जांघ की धमनी) के रास्ते से हृदय तक पहुँच कर वायर के माध्यम से बटन नुमा दो डिवाइस लगा दोनों छेद को साथ में बंद किया गया।

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डाॅ पटेल व उनकी टीम ने दोनों डिवाइस साथ में प्रतिस्थापित किए जिससे बच्चे को दूसरे ही दिन हाॅस्पिटल से छुट्टी प्रदान कर दी गई। बटन को हृदय में सही जगह पर प्रतिस्थापित करने के बाद वह हृदय का ही हिस्सा बन जाता है जिससे भविष्य में कोई परेशानी नहीं होती है। यह बटन एक जालीदार नुमा आकार का होता है जिससे हृदय के ऊतक चिपक जाते है। सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ पटेल के साथ इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट डाॅ कपिल भार्गव, डाॅ डैनी कुमार एवं डाॅ शलभ अग्रवाल भी शामिल थे।

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने बताया कि ‘‘गीतांजली का एकमात्र उद्देश्य रोगी को बीमारी से निजात दिलाने के साथ-साथ सामान्य जीवन प्रदान करना है। गीतांजली हाॅस्पिटल चिकित्सा के हर क्षेत्र में उत्कृष्ट एवं गुणात्मक चिकित्सा सेवा के साथ नवीनीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है। वर्तमान में गीतांजली क्वार्टरनरी केयर प्रदान कर रहा है एवं जटिल व दुर्लभ बीमारियों का उपचार करने में सक्षम है। हमारे लिए हर रोगी महत्वपूर्ण है जिसका सही एवं सर्वश्रेष्ठ उपचार उपलब्ध कराने में हम तत्पर है। इस रोगी में भी चुनौतीपूर्ण विकल्प होने के बावजूद इस प्रक्रिया द्वारा इलाज कर हमारे अनुभवी व प्रशिक्षित चिकित्सकों ने उदाहरण पेश किया है। हम बच्चे के उज्जवल भविष्य एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है।’’

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