उदयपुर 17 मार्च 2020। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सूरज गुप्ता एवं आईसीयू इंचार्ज डॉ. संजय पालीवाल एवं उनकी टीम ने उदयपुर निवासी, 28 वर्षीय रोगी अज़मा बानो का सफल इलाज कर रोगी को स्वस्थ किया।
रोगी अज़मा बानो के पति मंज़ूर खान ने बताया कि जब रोगी गर्भवती थी तो अचानक 9 महीने के आसपास गर्भाशय में दर्द होने के साथ खून का स्त्राव शुरू हो गया। ऐसे में रोगी को किसी अन्य हॉस्पिटल में सोनोग्राफी की जाँच कराने पर पता चला कि भ्रूण में किसी तरह की कोई हलचल नही थी व ह्रदय की धड़कन भी रुक चुकी थी। तब ऑपरेशन करके मृत भ्रूण को रोगी के शरीर से बाहर निकला गया। प्रसव के बाद अत्यधिक रक्तस्राव हुआ जिसे पीपीएच कहा जाता है, जिसके कारण रोगी के शरीर में सेप्टिसेमिया (एक गंभीर रक्त प्रवाह संक्रमण), टोक्सीमिया (रक्त में बैक्टीरियल जहरीले पदार्थों के कारण रक्त विषाक्तता) की स्तिथि उत्पन्न हो गयी।
ऐसी जटिल परिस्तिथियां उत्पन्न होने पर रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया। डॉ. सूरज द्वारा रोगी का जायज़ा लेने के बाद तुरंत रोगी को 2 दिन आईसीयू में रखा गया। जाँच में पाया कि शरीर से भारी मात्रा में खून बह जाने की वजह से रोगी का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था इन्फेक्शन बुरी तरह फ़ैल चुका था जिस कारण दोनों ही किडनियां ठीक से काम नही कर रही थी। ऐसे में सबसे पहले रोगी के ब्लड प्रेशर को नार्मल किया गया, खून बहने से रोका गया में शरीर में मौजूद इन्फेक्शन को ठीक किया गया। इसके पश्चात लगभग एक माह तक रोगी का डायलिसिस किया गया। धीरे धीरे रोगी की किडनियां सही से काम कर रही हैं, क्रिएटिनिन लेवल भी सामान्य हो चुका है। रोगी की डायलिसिस प्रक्रिया पूरी होने के बाद छुट्टी दे दी गयी है।
डॉ. सूरज ने बताया कि किडनी की हर बीमारी स्थायी नहीं होती, यदि रोगी का समय रहते ईलाज शुरू करा दिया जाये तो यह बीमारी खत्म की जा सकती है एवं रोगी पुनः पहले की तरह स्वस्थ हो सकता है। इसी का उदहारण है रोगी अज़मा बानो जिन्हें हॉस्पिटल समय रहते लाया गया व ईलाज किया गया। आज वो स्वस्थ है एवं सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या का निर्वहन कर रही हैं।
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