छोटी आंत में रक्तस्त्राव का अत्याधुनिक प्रक्रिया द्वारा सफल इलाज
गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल में 16 वर्षीय युवक की छोटी आंत में स्थित नसों के गुच्छे से हो रहे रक्तस्त्राव को अत्याधुनिक प्रक्रिया बैलून आॅक्ल्यूडिड एंटीग्रेड ट्रांसवीनस आॅब्लीटरेशन आॅफ वेरायसिस (बीएटीओ) द्वारा इलाज कर न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ ने बंद कर स्वस्थ किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ बारठ के साथ गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता, एनेस्थेटिस्ट डाॅ राजेंद्र, गहन चिकित्सा ईकाई के डाॅ शुभकरण शर्मा एवं डाॅ जावेद और समस्त स्टाफ शामिल है। डाॅ पंकज गुप्ता ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया द्वारा इलाज हेतु यह राजस्थान का प्रथम सफल मामला है।
गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल में 16 वर्षीय युवक की छोटी आंत में स्थित नसों के गुच्छे से हो रहे रक्तस्त्राव को अत्याधुनिक प्रक्रिया बैलून आॅक्ल्यूडिड एंटीग्रेड ट्रांसवीनस आॅब्लीटरेशन आॅफ वेरायसिस (बीएटीओ) द्वारा इलाज कर न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ ने बंद कर स्वस्थ किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ बारठ के साथ गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता, एनेस्थेटिस्ट डाॅ राजेंद्र, गहन चिकित्सा ईकाई के डाॅ शुभकरण शर्मा एवं डाॅ जावेद और समस्त स्टाफ शामिल है। डाॅ पंकज गुप्ता ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया द्वारा इलाज हेतु यह राजस्थान का प्रथम सफल मामला है।
डाॅ बारठ ने किस प्रक्रिया द्वारा इलाज किया?
डाॅ बारठ ने बताया कि इस रोगी का इलाज अत्याधुनिक प्रक्रिया, जिसे बैलून आॅक्ल्यूडिड एंटीग्रेड ट्रांसवीनस आॅब्लीटरेशन आॅफ वेरायसिस (बीएटीओ) कहते है, द्वारा किया गया। इसमें बैलून कैथेटर को छोटी आंत स्थित नसों के गुच्छे के समीप पहुँचाया गया और उस गुच्छे को बंद किया गया। अत्यधिक रक्तस्त्राव हो जाने के कारण रोगी को गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती किया गया। जहां डाॅक्टर्स की समर्पित एवं पूर्ण देखभाल से रोगी अब स्वस्थ है। डाॅ बारठ ने यह भी बताया कि शरीर में हो रहे आंतरिक रक्तस्त्राव का समय पर इलाज कराना अति आवश्यक होता है अन्यथा रोगी की मृत्यु की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।
क्या था मामला?
जिला सागवाड़ा निवासी गजेंद्र मीणा (16 वर्ष) ने चक्कर, बुखार, आंत में आंतरिक रक्तस्त्राव, खून की उल्टी एवं काली दस्त जैसी परेशानियों के चलते गीतांजली हाॅस्पिटल के गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता से परामर्श लिया। एण्डोस्कोपी की जांच में छोटी आंत के प्रथम भाग से भारी मात्रा में रक्तस्त्राव पाया गया जिस कारण रोगी को गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती किया गया। सीटी स्केन की जांच में पाया गया कि छोटी आंत में नसों के असामान्य गुच्छे से रक्तस्त्राव हो रहा था, जिसे रप्चर्ड एकटोपिक वेरायसिस कहते है, जो कि आंत की मुख्य शिरा (च्वतजंस टमपद) के अवरुद्ध हो जाने के फलस्वरुप बन गया था।
इस बीमारी के उपचार के क्या विकल्प थे?
डाॅ पंकज गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर वेरायसिस का इलाज एण्डोस्कोपिक बैंडिंग द्वारा किया जाता है। परंतु छोटी आंत में स्थित एकटोपिक वेरायसिस तक एण्डोस्कोपी विधि द्वारा पहुँचना संभव नहीं होता है। इसलिए इस तरह के रक्तस्त्राव के लिए संभवतः रोगी को न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ के पास रेफर किया गया।
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