छोटी आंत में रक्तस्त्राव का अत्याधुनिक प्रक्रिया द्वारा सफल इलाज

छोटी आंत में रक्तस्त्राव का अत्याधुनिक प्रक्रिया द्वारा सफल इलाज

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल में 65 वर्षीय बुर्जुग महिला रोगी की छोटी आंत में स्थित नसों के गुच्छे से हो रहे रक्तस्त्राव को बिना-चीर फाड़ न्यूरो वेसक्यूलर एवं इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ ने बंद कर स्वस्थ किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ बारठ के साथ गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता, एनेस्थेटिस्ट डाॅ राजेंद्र, गहन चिकित्सा ईकाई के डाॅ शुभकरण शर्मा एवं डाॅ जावेद और समस्त स्टाफ शामिल है।

 
छोटी आंत में रक्तस्त्राव का अत्याधुनिक प्रक्रिया द्वारा सफल इलाज

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल में 65 वर्षीय बुर्जुग महिला रोगी की छोटी आंत में स्थित नसों के गुच्छे से हो रहे रक्तस्त्राव को बिना-चीर फाड़ न्यूरो वेसक्यूलर एवं इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ ने बंद कर स्वस्थ किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में डाॅ बारठ के साथ गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता, एनेस्थेटिस्ट डाॅ राजेंद्र, गहन चिकित्सा ईकाई के डाॅ शुभकरण शर्मा एवं डाॅ जावेद और समस्त स्टाफ शामिल है।

क्या था मामला?

जिला उदयपुर निवासी मीना सक्सेना (65 वर्ष) साल 2012 से लीवर सिरोसिस की बीमारी से पीड़ित है। परंतु पिछले सप्ताह बैचेनी, घबराहट, काली दस्त, लौ ब्लड प्रेशर एवं बार-बार शरीर में आंतरिक रक्तस्त्राव जैसी परेशानियों के चलते उन्होंने गीतांजली हाॅस्पिटल के गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता से परामर्श लिया। एण्डोस्कोपी जांच सामान्य आई पर फिर भी शरीर में रक्तस्त्राव रुक नहीं रहा था जिस कारण रोगी को गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती किया गया। यहां काॅलेनोस्कोपी की जांच की गई जिससे बड़ी आंत में रक्तस्त्राव पाया गया। यह रक्त छोटी आंत से आ रहा था जिसको सुनिश्चित करने के लिए सीटी स्केन की जांच कराई गई। इस जांच से छोटी आंत में नसों का असामान्य गुच्छा, जिसे एकटोपिक वेरायसिस कहते है, का पता चला। इसी गुच्छे से निरंतर रक्तस्त्राव हो रहा था।

इस बीमारी के उपचार के क्या विकल्प थे?

डाॅ पंकज गुप्ता ने बताया कि आमतौर पर वेरायसिस का इलाज एण्डोस्कोपिक बैंडिंग द्वारा किया जाता है। परंतु छोटी आंत में स्थित एकटोपिक वेरायसिस तक एण्डोस्कोपी विधि द्वारा पहुँचना संभव नहीं होता है। इसलिए इस तरह के रक्तस्त्राव के लिए संभवतः रोगी को न्यूरो वेसक्यूलर एवं इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ के पास रेफर किया गया।

डाॅ बारठ ने किस प्रक्रिया द्वारा इलाज किया?

डाॅ बारठ ने बताया कि इस रोगी का इलाज अत्याधुनिक प्रक्रिया, जिसे बैलून आॅक्ल्यूडिड रेट्रोग्रेड ट्रांसवीनस आॅब्लीटरेशन आॅफ वेरायसिस (बीआरटीओ) कहते है, द्वारा किया गया। इसमें रोगी को कैथ लेब में शिफ्ट कर गर्दन की नस से होते हुए एक बैलून कैथेटर को छोटी आंत स्थित नसों के गुच्छे के समीप पहुँचाया गया और उस गुच्छे को बंद किया गया। अत्यधिक रक्तस्त्राव हो जाने के कारण रोगी को गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती किया गया। जहां डाॅक्टर्स की समर्पित एवं पूर्ण देखभाल से रोगी अब स्वस्थ है। डाॅ बारठ ने यह भी बताया कि शरीर में हो रहे आंतरिक रक्तस्त्राव का समय पर इलाज कराना अति आवश्यक होता है अन्यथा रोगी की मृत्यु की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है। और यदि इस मामले में इस प्रक्रिया द्वारा इलाज नहीं हो पाता तो ओपन सर्जरी करानी पड़ सकती थी जो कि अत्यंत जटिल होती।

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