10 वर्षों से सीलिएक रोग (गेहूं से एलर्जी) से पीड़ित का सफल उपचार


10 वर्षों से सीलिएक रोग (गेहूं से एलर्जी) से पीड़ित का सफल उपचार

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर के गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता ने सीलिएक रोग से पीड़ित 42 वर्षीय महिला रोगी का सफल इलाज कर स्वस्थ किया। पिछले 10 वर्षों से डायरिया से पीड़ित मंफरी कुँवर गेहूँ से एलर्जी, छोटी आंत में सूजन, खाना न पचा पाना, खून की कमी, लगातार उल्टी-दस्त एवं 50 प्रतिशत से अधिक लीवर फेलियर की पेशानियों के चलते गीतांजली हाॅस्पिटल में परामर्श के लिए आई थी।

 

10 वर्षों से सीलिएक रोग (गेहूं से एलर्जी) से पीड़ित का सफल उपचार

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर के गेस्ट्रोएंटरोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता ने सीलिएक रोग से पीड़ित 42 वर्षीय महिला रोगी का सफल इलाज कर स्वस्थ किया। पिछले 10 वर्षों से डायरिया से पीड़ित मंफरी कुँवर गेहूँ से एलर्जी, छोटी आंत में सूजन, खाना न पचा पाना, खून की कमी, लगातार उल्टी-दस्त एवं 50 प्रतिशत से अधिक लीवर फेलियर की पेशानियों के चलते गीतांजली हाॅस्पिटल में परामर्श के लिए आई थी।

चूंकि यह लक्षण सीलिएक डिसीज़ के थे इसलिए तुरंत रोगी का टीटीजी एंटीबाॅडी टेस्ट (खून की जांच) कराया गया एवं एंडोस्कोपी से बायोप्सी के लिए छोटी आंत का एक टुकड़ा लिया गया। एंडोस्कोपी में यह भी पाया गया कि भोजन नली में खून की नसें फूलने लगी थी। तत्पश्चात् रोगी का दवाईयों द्वारा इलाज शुरु किया गया। एवं गेहूँ व जौ से बनी चीजें खाने से मना किया गया। रोगी अब स्वस्थ है एवं आहार में परिवर्तन से लीवर सामान्य परिस्थिति में वापिस आ जाएगा।

क्या होता है सीलिएक रोग?

डाॅ पंकज गुप्ता ने बताया कि भारत में लगभग 1 करोड़ लोग सीलिएक डिसीज़ के मरीज है। यह बीमारी गेहूँ से एलर्जी के कारण होती है। इसमें अकसर उल्टी-दस्तें, खाना न पचना, वजन न बढ़ना, खून की कमी, छोटी आंत में सूजन जैसे लक्षण सामान्यतः पाए जाते है। इस बीमारी का निदान किसी भी उम्र में संभव है। ऐसे रोगियों का इलाज दवाईयां एवं आहार में परिवर्तन से किया जाता है। ऐसे रोगियों को गेहूँ व जौ से बनी किसी भी चीज को खाने से सख्त मना किया जाता है। और बाजरा, मक्की, चावल इत्यादि के सेवन की सलाह दी जाती है।

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डाॅ गुप्ता ने यह भी बताया कि यदि इस बीमारी का निदान सही समय पर न हो तो छोटी आंत में कैंसर, जोड़ों में सूजन, मिर्गी, खून की कमी, पोटैशियम व कैल्शियम की कमी, लीवर फेलियर जैसे जोखिम संभव है। इस बीमारी संबंधित जागरुकता के अभाव के कारण कई रोगी उपर्युक्त लक्षण होने के बावजूद सही इलाज नहीं करा पाते है

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि गीतांजली के गेस्ट्रोएंटरोलोजी विभाग में दक्षिणी राजस्थान की प्रतिष्ठित एवं अनुभवी पेट, आंत एवं लिवर रोग की टीम की संयुक्त सेवाएं उपलब्ध है। इस विभाग में उपलब्ध नवीन पद्धतियों द्वारा इलाज से मेडिसिन एवं सर्जरी में बेहतर परिणाम देखने को मिले है। यह विभाग अनुभवी व प्रशिक्षित चिकित्सकों की समर्पित टीम के साथ एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की पेट, आंत एवं लिवर से संबंधित हर छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान एवं उपचार करने में सक्षम है।

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