गीतांजली में भोजन नली के थर्ड स्टेज कैंसर का नवीनतम तकनीक “वीमैट” द्वारा सफलतापूर्वक इलाज


गीतांजली में भोजन नली के थर्ड स्टेज कैंसर का नवीनतम तकनीक “वीमैट” द्वारा सफलतापूर्वक इलाज
 

 
गीतांजली में भोजन नली के थर्ड स्टेज कैंसर का नवीनतम तकनीक “वीमैट” द्वारा सफलतापूर्वक इलाज
वीमैट अर्थात् वॉल्यूमेट्रिक मॉडयूलेटेड आर्क थेरेपी, इसको रैपिड आर्क भी कहा जा सकता है। इस तकनीक में रेडियोथेरेपी मशीन एक आर्क आकार में रोगी के चारों ओर घूमती है एवं विकिरण खुराक को केन्द्रित करती है। यह प्रक्रिया पूरी होने में आमतौर पर लगभग प्रतिदिन  2- 3 मिनट लगते हैं। इस परिशोधित तकनीक से दुष्प्रभावों को कम रखते हुए ट्यूमर को खत्म किया जाता है। अतः मरीज के इलाज को सफलतापूर्वक आसानी से पूरा किया जाता है।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के रेडिएशन ओंकोलोगिस्ट एवं रेडिएशन टीम तथा मेडिकल ओंकोलोगिस्ट एवं कीमोथेरेपी टीम ने 51 वर्षीय भीलवाड़ा की रहने वाली रोगी सोहनी देवी के भोजन नली में 10 सेंटीमीटर की गांठ (थर्ड स्टेज) के कैंसर का 5 हफ्ते रेडियोथेरेपी एवं कीमोथेरेपी द्वारा सफल इलाज कर रोगी को स्वस्थ किया।  

रेडिएशन ओंकोलोगिस्ट ने बताया कि गीतांजली कैंसर सेंटर में ट्यूमर बोर्ड के अंतर्गत सर्जरी, मेडिकल एवं रेडिएशन के डॉक्टर्स की कुशल ऑन्कोलॉजी टीम द्वारा तय किया जाता है कि रोगी का किस पद्धति द्वारा इलाज करना है। ट्यूमर बोर्ड में रोगी व उसका परिवार सम्मिलित रहते हैं तथा रोगी की शारीरिक स्तिथि के अनुसार श्रेष्ठ निर्णय लिया जाता है। 

ट्यूमर बोर्ड के निर्णयानुसार रोगी की गीतांजली कैंसर सेंटर स्थित रेडियोथेरेपी की अत्याधुनिक नवीनतम तकनीक वीमेट द्वारा रोगी का इलाज किया गया।  हालाँकि इसका सर्जरी द्वारा भी इलाज किया जाता है परन्तु रोगी की हालत देखते हुए ट्यूमर बोर्ड में वीमैट तकनीक द्वारा इलाज करने का निर्णय लिया गया, जिसमें की रोगी को कम परेशानी तथा कम समय में इलाज किया गया। 

क्या होती है वीमैट तकनीक?

वीमैट अर्थात् वॉल्यूमेट्रिक मॉडयूलेटेड आर्क थेरेपी, इसको रैपिड आर्क भी कहा जा सकता है। इस तकनीक में रेडियोथेरेपी मशीन एक आर्क आकार में रोगी के चारों ओर घूमती है एवं विकिरण खुराक को केन्द्रित करती है। यह प्रक्रिया पूरी होने में आमतौर पर लगभग प्रतिदिन  2- 3 मिनट लगते हैं। इस परिशोधित तकनीक से दुष्प्रभावों को कम रखते हुए ट्यूमर को खत्म किया जाता है। अतः मरीज के इलाज को सफलतापूर्वक आसानी से पूरा किया जाता है।

रोगी की आपबीती

रोगी ने बताया कि 2019 में काफी ज्यादा खांसी हो गयी थी जिस कारण जाँच कराई पर जाँच में सब ठीक आया। पर खांसी निरंतर बढती रही और खाना पीना भी बंद हो गया ऐसे में एक दिन अचानक खून की उल्टी आई। रोगी को अहमदाबाद लेकर गए वहां बायोप्सी में पता चला कि भोजन नली में 10 सेंटीमीटर की गांठ का थर्ड स्टेज का कैंसर है। ऐसे में 4-5 माह रोगी का इलाज चलता रहा व रोगी के नाक से खाने की नली डाली गयी, जिससे सिर्फ लिक्विड डाइट दी गयी। ऐसे में रोगी को बहुत कमज़ोरी भी आ गयी थी। बिमारी में कोई फर्क भी नही पड़ा। तब रोगी को गीतांजली कैंसर सेंटर में लाने का निर्णय लिया, यहाँ आकर रेडिएशन ओंकोलोगिस्ट तथा मेडिकल ओंकोलोगिस्ट की टीम द्वारा इलाज किया गया। रोगी ने बेहद ख़ुशी से बताया की अब वो बिल्कुल स्वस्थ हैं, सब कुछ खा पी रही हैं एवं घर के काम भी आसानी से कर पा रही है। रोगी एवं उसके परिवार ने गीतांजली कैंसर सेंटर का आभार प्रकट किया। 

गौरतलब है कि सोहनी देवी, आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना की लाभार्थी है। 

जीएमसीएच सीईओ प्रतीम तम्बोली ने बताया की गीतांजली कैंसर सेंटर में सभी प्रकार के कैंसर रोगियों के इलाज की नवीनतम सुविधाएँ एक ही जगह उपलब्ध हैं जिससे कि रोगी को मुश्किलों का सामना नही करना पड़ता। उन्होंने ये भी बताया की गीतांजली हॉस्पिटल पिछले सतत् 13 वर्षों से रिआयती दरों पर इलाज मुहैया करवाता आया है तथा जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।  

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