गीतांजली हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट द्वारा महिला रोगी की सफल यूरेथ्रोप्लास्टी

गीतांजली हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट द्वारा महिला रोगी की सफल यूरेथ्रोप्लास्टी

गीतांजली हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती व टीम ने 45 वर्षीय महिला रोगी के जिबान के नीचे से ग्राफ्ट बना सिकुड़े हुए मूत्रमार्ग में प्रत्यारोपित कर मूत्रमार्ग को सामान्य किया। लगभग 3 घंटें चले आॅपरेशन में डाॅ बाहेती ने जिबान के नीचे से श्लेष्मल झिल्ली का भाग (3x1.5 सेंटीमीटर) लेकर, ग्राफ्ट बनाया और मूत्रमार्ग में प्रत्यारोपित कर मूत्रमार्ग को सामान्य (चौड़ा) किया। इस प्रक्रिया को यूरेथ्रोप्लास्टी कहते है। इस प्रक्रिया की सफलता दर लगभग 90 प्रतिशत है जिससे पतले व छोटे मूत्रमार्ग को सामान्य किया जाता है।

 

गीतांजली हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट द्वारा महिला रोगी की सफल यूरेथ्रोप्लास्टीगीतांजली हाॅस्पिटल के यूरोलोजिस्ट डाॅ विश्वास बाहेती व टीम ने 45 वर्षीय महिला रोगी के जिबान के नीचे से ग्राफ्ट बना सिकुड़े हुए मूत्रमार्ग में प्रत्यारोपित कर मूत्रमार्ग को सामान्य किया। लगभग 3 घंटें चले आॅपरेशन में डाॅ बाहेती ने जिबान के नीचे से श्लेष्मल झिल्ली का भाग (3×1.5 सेंटीमीटर) लेकर, ग्राफ्ट बनाया और मूत्रमार्ग में प्रत्यारोपित कर मूत्रमार्ग को सामान्य (चौड़ा) किया। इस प्रक्रिया को यूरेथ्रोप्लास्टी कहते है। इस प्रक्रिया की सफलता दर लगभग 90 प्रतिशत है जिससे पतले व छोटे मूत्रमार्ग को सामान्य किया जाता है।

अधिकतर यूरोलोजिस्ट ऐसे मामलों में गाल के भीतर से ऊतक ले कर ग्राफ्ट बनाते है जिसे बक्कल ग्राफ्ट कहते है। परंतु इस प्रक्रिया में बहुत दर्द होता है। वहीं जिबान के नीचे से ऊतक लेकर ग्राफ्ट बनाना दर्दरहित प्रक्रिया होती है और कोई निशान भी नहीं दिखाई देता है। डाॅ बाहेती के साथ यूरोलोजिस्ट डाॅ पंकज त्रिवेदी, एनेस्थेटिस्ट डाॅ उदय प्रताप, ओटी स्टाफ अविनाश आमेटा, जयप्रकाश साल्वी, पुष्कर सैनी एवं प्रवीण अहारी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। डाॅ बाहेती ने दावा किया है कि जिबान के नीचे से ग्राफ्ट बना सिकुड़े हुए मूत्रमार्ग को सामान्य करने वाला दक्षिणी राजस्थान का यह प्रथम मामला है, क्योंकि महिला रोगियों में यूरेथ्रोप्लास्टी बहुत दुर्लभ होती है। सामान्यतः दूरबीन द्वारा ही मूत्रमार्ग में सिकुड़न का इलाज किया जाता है।

डाॅ बाहेती ने बताया कि आॅपरेशन के बाद रोगी की यूरोफ्लोमेट्री की जांच कराई गई जिसमें मूत्र प्रवाह सामान्य पाया गया। शारीरिक रचना में किए बदलाव के कारण यह सुनिश्चित करना भी जरुरी था कि महिला रोगी के यूरीन लीक होने की शिकायत नहीं है। क्योंकि अकसर ऐसे मामलों में रोगी को यूरीन लीक की परेशानी हो जाती है। किन्तु इस महिला रोगी में मूत्रमार्ग एवं मूत्र प्रवाह दोनों ही सामान्य पाए गए।

उदयपुर निवासी कमला देवी (उम्र 45 वर्ष) ने बताया कि उन्हें पिछले 10 वर्षों से मूत्र विसर्जन करने में काफी दिक्कत आ रही थी। जिसके चलते उन्होंने गुजरात के एक निजी हाॅस्पिटल में दूरबीन द्वारा इलाज कराया था। इससे उन्हें हर महीने इलाज कराने जाने पड़ता था। परंतु 2 वर्ष पूर्व यह परेशानी और गंभीर हो गई और इस बार दूरबीन द्वारा इलाज से भी कोई आराम न मिल सका। इसी क्रम में उन्होंने गीतांजली हाॅस्पिटल में डाॅ बाहेती से परामर्श लिया और इलाज कराया।

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