जांघ के ट्यूमर से पीड़ित रोगी को कैंसर एवं ह्रदय शल्य चिकित्सकों द्वारा ट्यूमर को बाहर कर ग्राफ्ट लगाकर दिया नया जीवन

जांघ के ट्यूमर से पीड़ित रोगी को कैंसर एवं ह्रदय शल्य चिकित्सकों द्वारा ट्यूमर को बाहर कर ग्राफ्ट लगाकर दिया नया जीवन

रोगी के जांघ के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन करके रोगी को नया जीवन प्रदान किया गया

 
GMCH

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में ह्रदय रोग विभाग एवं कैंसर सेंटर के अथक प्रयसों से 47 वर्षीय रोगी के जांघ के ट्यूमर का सफल ऑपरेशन करके रोगी को नया जीवन प्रदान किया गया। सफल इलाज करने वाली टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशीष जखेटिया, डॉ. अरुण पाण्डेय, एनेस्थेटिस्ट डॉ. नवीन पाटीदार एवं कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी व टीम, आईसीयू स्टाफ, ओ.टी स्टाफ इत्यादि शामिल हैं। 

क्या था मसला?

डॉ. आशीष जखेटिया ने रोगी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जब रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया उस समय रोगी की दाहिने जांघ में 10 सेंटीमीटर का ट्यूमर था| रोगी की सभी आवश्यक जांचे जैसे कि एम.आर.आई., बायोप्सी करने पर पाया गया कि रोगी के सॉफ्ट टिश्यू सार्कोमा है यह एक प्रकार बहुत ही कम पाया जाने वाला कैंसर था क्यूंकि इसने रोगी पैर की खून की मुख्य नाड़ियाँ फेमोरल आर्टरी, फेमोरल वेन को चारों ओर से घेर रखा था। 

इस रोगी के इलाज को लेकर ट्यूमर बोर्ड की मीटिंग में चर्चा के दौरान पाया गया कि फेमोरल वेन जो कि पैर का खून पुनः शरीर में घूमाने का कार्य करती है उसमे कैंसर उत्पन्न हो रहा था। सामान्यतौर पर इस तरह के कैंसर का सर्जरी ही विकल्प होता है, हालाँकि ये सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि रोगी के पैर की मुख्य नाड़ियाँ फेमोरल आर्टरी और फेमोरल वेन लगभग 8 से 10 सेन्टीमीटर इसमें शामिल थी। ऐसी स्थिति में पैर को बचाने का काफी खतरा होता है और कई बार पूरा पैर ही काटना पड़ता है। इन सभी चुनौतियों की चर्चा रोगी व उसके परिवार से करने के पश्चात् कैंसर सर्जन एवं ह्रदय शल्य चिकित्सकों द्वारा रोगी का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया।

कैंसर सर्जरी टीम द्वारा रोगी का ऑपरेशन करके ट्यूमर को हटाया गया और साथ ही दोनों मुख्य नाड़ियों जिनका लगभग 8 से 10 सेन्टीमीटर भाग शामिल था ,वो भाग एक साथ निकाला गया और दूसरे पैर की जो सुपरफिशियल नाड़ी में से एक ग्राफ्ट सीटीवीएस टीम द्वारा लिया गया। ग्राफ्ट लेकर दोनो नाड़ियों को पुनः बनाया गया। टीम द्वारा रोगी के इलाज में साकारात्मक परिणाम देखने को मिले और रोगी की रिपोर्ट्स देखने पर पाया गया कि रोगी को अच्छा स्वास्थ लाभ मिला। इसके पश्चात् गीताजंली केंसर सेन्टर में रोगी के रेडियशन के साइकिल पूरे किये गए। 

डॉ. संजय गाँधी ने जानकारी देते हुए बताया कि रोगी अपनी दैनिक कार्यों को करने में समर्थ है। इस तरह के ट्यूमर काफी दुर्लभ होते है उसको इनके इलाज के लिए हाई सेंटर एवं समर्पित डॉक्टर्स की टीम की आवश्यकता होती है। इस तरह के रोगी की ज़्यादा समय के लिए पैर की नाड़ियों को बंद नही कर सकते क्योकि इससे रोगी के पैर को खतरा हो सकता है पैर खराब हो सकता है या काटने की जरूरत पड़ सकती है। सफ़िनस नाड़ी से जो ग्राफ्ट लेकर नाड़ी का पुनर्निर्माण किया गया यदि पुनर्निर्माण सही तरीके से ना हो तो ग्राफ्ट में रुकावट आ सकती है जिससे फिर से पेर काटने का खतरा बन सकता है परन्तु अच्छी देखभाल और कुशल डॉक्टर्स की टीम द्वारा इस रोगी में सफल परिणाम मिले। 

जीएमसीएच सी.ई.ओ. प्रतीम तम्बोली ने कार्डियक रोग विभाग एवं कैंसर सेंटर के डॉक्टर्स की सराहना की एवं जानकारी दी कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल मल्टी स्पेशलिटी होने के साथ यहाँ डॉक्टर्स व स्टाफ में बहु अनुशासनात्मक दृष्टिकोण है जिस कारण यहाँ आने वाले प्रत्येक रोगी को सही निदान कर उसका सही इलाज पिछले सतत् 14 वर्षों से एक ही छत के नीचे विश्वस्तरीय सुविधाओं द्वारा किया जा रहा है।  

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  WhatsApp |  Telegram |  Signal

From around the web