छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 मे गोबरदंगा के कलाकारों ने दिखाया अपना रंग
नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वाधान में छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 का शुभारंभ भारतीय लोक कला मंडल के मुक्ताकाशी मंच पर हुआ। इस वर्ष यह समारोह भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हे
नाट्यांश सोसाइटी ऑफ ड्रामेटिक एंड परफोर्मिंग आर्ट्स और भारतीय लोक कला मंडल के संयुक्त तत्वाधान में छठे राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अल्फाज 2018 का शुभारंभ भारतीय लोक कला मंडल के मुक्ताकाशी मंच पर हुआ। इस वर्ष यह समारोह भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पद्मश्री देवीलाल सामर की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें समर्पित है।
नाट्य महोत्सव की शुरुआत आउटडोर परफॉरमेंस से हुई जिसमे नाट्यांश के सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक “तेरी मेरी पार्टी“ का मंचन किया। इस नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जन साधारण को चुनाव और मतदान के महत्व के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया गया।
अल्फाज़ 2018 के पहले दिन पश्चिम बंगाल के नाट्यदल गोबरदंगा नक्शा के कलाकारों ने नाटक “बिनोदिनी – अ वुमन अ ह्यूमन“ का मंचन किया। मैनाक सेनगुप्ता द्वारा लिखित और आशीष दास द्वारा निर्देशित यह नाटक बिनोदिनी दास या नटी बिनोदिनी की आत्मकथा “आमार कथा“ पर आधारित है। बिनोदिनी यूं तो एक वेश्या परिवार में जन्मी थी लेकिन उसने वेश्यावृत्ति का रास्ता नहीं चुना। उस समय के प्रसिद्ध रंगकर्मी कोलकाता के नेशनल थियेटर के संस्थापक श्री गिरीश घोष के संरक्षण में उन्होंने 12 वर्ष की आयु में अपना रंग मंच पर अभिनय करने के सफल कैरियर की शुरुआत की। 23 वर्ष की अवस्था तक उन्होंने लगभग 80 नाटकों में अभिनय किया। लेकिन पुरुष प्रधान समाज की धन लोलुपता के कारण उन्होंने अपने जीवन मे कई बार धोखा खाया।
एक वैश्या की बेटी होते हुए भी उन्होने रंगकर्म को अपना जीवन बनाया न की वैश्यावृति को। उस ज़माने में ऊचे खानदान की औरतों का नाटक करना स्वीकार्य नहीं था इसलिए उनको यह मौका मिला। किन्तु समाज द्वारा उनको एक रंगकर्मी के रूप में न अपनाये जाने की कारण 23 वर्ष की आयु में उनको रंगमंच से अपना नाता तोड़ना पड़ा।
रंगमंच के लिए एक प्रेक्षागृह के बदले उन्होंने अपने से तीन गुने अधिक आयु के एक धनी व्यक्ति से शादी की और रंगमंच की दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। बहुमुखी प्रतिभाशा की धनी अभिनेत्री बिनोदिनी दासी ने जो रंगमंच के लिए बलिदान किया उससे वो रंगमंच के इतिहास में अमर हो गयी।
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पर कही ना कही एक सवाल जो हमेशा से ही सभी को झकझोरता रहा है कि रंगमंच की दुनिया के बाहर बिनोदिनी का कोई अस्तित्व है या कि उसकी कहानी उसकी आत्मकथा की किताब पर जमी धूल की परतों में खो जाएगी? यह नाटक उन्नीसवी सदी की महान अभिनेत्री के अस्तित्व को तलाशने की कोशिश करता है – ना कि उस वेश्या के जीवन पर और ना ही उस अभिनेत्री का – बल्कि हम उस इंसान के मानवीय दर्द को सामने लाने का प्रयास है।
मैनाक सैनगुप्ता द्वारा लिखित नाटक में बडी बिनोदिनी के किरदार को दिपनविता बनिक दास, छोटी बिनोदिनी के किरदार में सुमौना मित्रा, गिरीश चन्द्र बाॅस के किरदार में अनिमेंश चन्द्र भट्टाचार्या, ए. बाबु के किरदार में इलयास मांडल, प्रताप जौउरी और गुरूमुख राॅय के किरदार में निलंजन भौमिक ने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस प्रस्तुति के मंच पाश्र्व में प्रकाश व्यवस्था संजोय नाथ प्रकाश संचालन जोयदेब दास की रही, संगीत संचालन अरित्रा पाल और इल्यास मांडल प्रोडक्शन मेनेजर देबबानी मित्रा चेटेर्जी का भी अमुल्य सहयोग रहा। इस नाटक का निर्देशन गोबरंदगा के वरिष्ठ रंगकर्मी आशिष दास ने किया।
कार्यक्रम के अन्त में लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन और वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे ने कलाकारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सभी का उत्साहवर्धन किया।
आज की प्रस्तुति
आज दिनांक 1 दिसम्बर 2018 को लोक कला मण्डल के मंच पर शाम 6ः30 बजे दिल्ली के प्रस्ताव ग्रुप द्वारा नाटक – महुआ चरित का मंचन किया जायेगा। जन सहभागीता से आयोजित इस नाट्य महोत्सव के सभी नाटकों मे दर्शको का प्रवेश निशुल्क रहेगा।
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