पूर्वोत्तर के आठ प्रांतों की कलाओं का पर्व आॅक्टेव नागपुर की रंगारंग शुरूआत
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र एवं दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में नागुपर में आयोजित ‘‘आॅक्टेव / नागुपर’’ की शनिवार को प्रारम्भ हुआ। जिसमें भारत के उत्तर पूर्व के आठ राज्यों की सतरंगी कलाओं और वहां की मनोरम संस्कृति का दिग्दर्शन करने का अवसर कला रसिकों को मिल सका।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र एवं दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में नागुपर में आयोजित ‘‘आॅक्टेव / नागुपर’’ की शनिवार को प्रारम्भ हुआ। जिसमें भारत के उत्तर पूर्व के आठ राज्यों की सतरंगी कलाओं और वहां की मनोरम संस्कृति का दिग्दर्शन करने का अवसर कला रसिकों को मिल सका।
पूर्वोत्तर भारत की कला, संस्कृति और शिल्प कलाओं को देश के अन्य राज्यों में प्रदर्शित कर ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ की भावना को प्रबल करने के ध्येय से आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन नागपुर की मेयर माननीय नन्दाताई जिचकार ने दी प्रज्ज्वलित करके किया। आॅक्टेव के उद्घाटन अवसर पर प्रसिद्ध कोरियोग्राफर तरूण प्रधान द्वारा परिकल्पित कार्यक्रम प्रदर्शित किया गया जिसमें असम का ‘‘भोरताल’’, मणिपुर का ‘‘पुंग ढोल चोलम’’, मिजोरम का चेराव आदि नृत्य सुरम्य और मनोरम बन सके। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर के परिसर में आयोजित इस चार दिवसीय उत्सव के उद्घाटन अवसर पर असम के बरपेटा का भोताल नृत्य में नर्तकियों की भाव भंगिमाएं दर्शनीय बन सकी वहीं संकीर्तन परंपरा से जुड़े इस नृत्य की संरचना दर्शकों को का मोह गई। इस अवसर पर ही मणिपुर के ढोल वादको ने पुंग ढोल चोलम नृत्य से दर्शकों को रोमांचित सा कर दिया। एक ताल पर ढोल की धमक और पुंग की मीठी टंकार ने दर्शकों को पूर्वोत्तर की अनूठी संस्कृति से रूबरू करवाया।
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मिजोरम का ‘‘चेराव’’ (बैम्बू डांस) दर्शकों को खूब रास आया। प्रस्तुति में लोक वाद्यों की लयकारी पर कलाकारों व नृत्यांगनाओं ने लंबे बांसों के बीच लय के साथ संतुलन बनाते हुए आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अरूणाचल प्रदेश का ‘‘जू जू झाझा’’ नृत्य का गीत ‘‘जू जू झाझा जामिन जा तमिल मुला….’’ का गायन तो सुंदर था ही नृत्यांगनाओं ने नृत्य से वहां की निशी जनजाति की परंपराओं से दर्शकों को अवगत करवाया। उद्घाटन अवसर पर मणिपुर का ‘‘लाय हरोबा’’ मेतेई समुदाय की संस्कृति को मोहक अंदाज में दर्शाने वाला नृत्य रहा।
कार्यक्रम में मेघालय की गारो जनजाति ‘‘वांगला’’ युगलों को अपने जीवन साथी को चुनने का अवसर प्रदान करता है। आॅक्टेव में पारंपरिक ढोल की थाप पर अपने भावी जीवन साथी के साथ थिरकती नृत्यांगनाओं ने अपनी लोक संस्कृति का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक फुरकान खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए आॅक्टेव के बारे में जानकारी दी। दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र नागपुर के निदेशक दीपक खिरवाड़कर ने केन्द्र की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। आॅक्टेव नागपुर में ही ट्राइफेड द्वारा शिल्प कलाओं की प्रदर्शनी व बिक्री के लिये हाट बाजार लगाया गया है जिसमें पूवोत्तर राज्यों के शिल्पकार अपनी शिल्प कलाओं का प्रदर्शन कर रहे हैं। आॅक्टेव में ललित कला अकादेमी नई दिल्ली द्वारा पूर्वोत्तर के चित्रकारों द्वारा बनाई चित्रों की प्रदर्शनी दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र परिसर में आयोजित की गई है।
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